किसान आंदोलन के बीच मुजफ्फरनगर में भाकियू को फिर जोर का झटका, मचा हडकंप

इस खबर को शेयर करें


मुजफ्फरनगर। किसान आंदोलन के एक वर्ष के संघर्ष पर सरकार को घेरने और यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मैदान में उतरने की तैयारियों में जुटी भारतीय किसान यूनियन के पहलवान ही अब अखाड़े में उतरते ही मैदान छोड़ने वाले साबित हो रहे हैं। 10 दिन पहले जिस पहलवान की यूनियन के शीर्ष नेतृत्व ने जोर शोर से ताजपोशी करते हुए अपने गृह जनपद के संगठन की कमान सौंपी थी। वह मुख्यालय घेराव प्रदर्शन के बाद ही संगठन की जिम्मेदारी संभालने से कतराने लगे और कुछ दिनों की जद्दोजहद के बाद नये जिलाध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा देकर हलचल मचा दी। पहले से ही टूट और बगावत का सामना कर नही यूनियन के समक्ष जिला अध्यक्ष के इस्तीफे से कई चुनौती खड़ी हुई और चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया। इस इस्तीफे के साथ ही मुजफ्फरनगर में नया जिलाध्यक्ष घोषित करने में यूनियन के शीर्ष नेतृत्व ने देर नहीं की और योगेश शर्मा को संगठन की कमान सौंपने के साथ ही कई अन्य नये पदाधिकारियों का ऐलान किया गया।

भारतीय किसान यूनियन की कर्मस्थली जनपद मुजफ्फरनगर में यूनियन की टीम में लगातार बिखराव, बगावत और गुटबाजी देखने को मिल रही है। पहले सदर ब्लॉक के पूर्व अध्यक्ष विकास शर्मा और फिर भाकियू के मजबूत स्तम्भ एवं उत्तराखंड के प्रभारी तथा मण्डल महासचिव राजू अहलावत ने यूनियन की हरी टोपी का त्याग राजनीतिक चोला पहन लिया। इसके बाद भाकियू में कई महत्वपूर्ण दायित्व निभाने वाले चौ. शक्ति सिंह ने भी इस्तीफा देकर यूनियन से किनारा कर लिया। इसी बीच संगठन को शक्तिशाली बनाने के प्रयासों में जुटे नेतृत्व ने जिले की भंग चल रही जिला कार्यकारिणी का गठन कर दिया। 21 अक्टूबर को प्रदेशाध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने नये पदाधिकारियों की घोषण की और मन्सूरपुर क्षेत्र के गांव पुरबालियान निवासी नीरज पहलवान को जिला मुजफ्फरनगर इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था। अध्यक्ष बनने के बाद 26 अक्टूबर को नीरज पहलवान के नेतृत्व में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्नान पर जिला मुख्यालय घेराव प्रदर्शन किया गया। नीरज पहलवान के मनोनयन के साथ ही यूनियन में अंदरूनी स्तर पर गुटबाजी हावी हो गई थी। कुछ लोगों ने नीरज पहलवान को जिलाध्यक्ष बनाये जाने को भाकियू में परिवारवाद से जोड़ते हुए इस बात पर सवाल उठाये थे कि बालियान खाप का ही जिलाध्यक्ष क्यों बनाया गया है? इसी को लेकर लगातार गुटबाजी हावी होने लगी थी। इसका प्रभाव भी यूनियन की संगठन शक्ति पर पड़ने लगा था। 26 अक्टूबर के जिला मुख्यालय घेराव प्रदर्शन में भी कई पूर्व पदाधिकारी और यूनियन के मजबूत नेता इस आंदोलन में शामिल नहीं हो पाये थे। चरथावल ब्लॉक के पूर्व अध्यक्ष ठा. कुशलवीर सिंह भी इस दिन यूनियन के आदेशों के विपरीत अलग ही मीटिंग करते हुए नजर आये थे।

यूनियन में इसी गुटबाजी के कारण नवनियुक्त जिलाध्यक्ष नीरज पहलवान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा प्रदेशाध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन को भेजा है। उनके पद को स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने यह भी साफ किया है कि वह यूनियन में बने रहेंगे। यूनियन में पूर्व की भांति एक कार्यकर्ता के रूप में वह कार्य करेंगे। जिलाध्यक्ष के इस्तीफे पर प्रदेशाध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने बताया कि वह व्यक्तिगत कारणों से पार्टी में मिले इस दायित्व को नहीं निभा पा रहे थे। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि नीरज पहलवान को जिलाध्यक्ष बनाने के बाद यह भी सवाल उठा कि बालियान खाप से ही जिलाध्यक्ष बनाया गया है। इसी को लेकर नीरज पहलवान ने नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा कि यूनियन किसान और संगठन के हितों के लिए संघर्ष कर रही, सभी एकजुट हैं। यूनियन में कोई टूट या बगावत नहीं है। नीरज पहलवान को इसलिए ही बदला गया कि खुद नीरज इस बात के लिए राजी नहीं थे कि जिलाध्यक्ष भी बालियान खाप से ही बनाया जाये। जबकि यूनियन के मुखिया बालियान खाप के चौधरी हैं। उन्होंने बताया कि नीरज पहलवान को अब संगठन में सहारनपुर मण्डल इकाई में सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गयी है, जबकि योगेश शर्मा को मुजफ्फरनगर इकाई का जिलाध्यक्ष बनाया गया है। योगेश शर्मा पूर्व में संगठन में जिला महासचिव और जिला उपाध्यक्ष का दायित्व भी निभा चुके हैं। यूनियन में राजू अहलावत, विकास शर्मा और अन्य लोगों के इस्तीफे और यूनियन से किनारा करने के सवाल पर राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि राजू अहलावत का राजनीतिक एजेण्डा है और वह इसलिए ही यूनियन से अलग हुए हैं। वह कहते हैं कि बिना राजनीतिक ताकत हासिल किये किसानों का भला नहीं हो पायेगा। हम उनको शुभकामनाएं देते हैं कि वह विधायक बने और मंत्री भी बनाया जाये तो वह किसानों के भले के लिए काम करें। यूनियन पूरी तरह से एकजुट है और कोई गुटबाजी नहीं है।