आज के वक्त में हर नौजवान सलमान खान और टाइगर श्रॉफ जैसी बॉडी चाहता है. इसके लिए घंटों जिम में पसीना बहाता है, पाउडर और प्रोटीन के सहारे सेहत बनाना चाहता है मगर उनके अंदर लगन और जज्बे की कमी होती है. मगर भारत में एक शख्स ऐसा भी रहा है जिसने अपनी लगन, जज्बे और कड़ी मेहनत से दुनिया के तमाम पहलवानों (Indian wrestler world champion) को धूल चटाई थी और उसे हराने वाला कभी पैदा नहीं हुआ. हम बात कर रहे हैं द ग्रेट गामा (The Great Gama) यानी गामा पहलवान (Gama Pehalwan) की.
अगर हम आपको गुलाम मुहम्मद बक्श बट्ट (Ghulam Mohammad Baksh Butt) का नाम बताएं तो मुमकिन है कि आप उन्हें नहीं पहचान पाएंगे लेकिन अगर हम गामा पहलवान (Gama Pehlwan) कहेंगे तो जरूर आपने अपनी जिंदगी में उनका नाम सुना होगा. द ग्रेट गामा वो शख्स हैं जो दारा सिंह (Dara Singh) से भी पहले ‘रुस्तम-ए-हिन्द’ (Rustam-e-Hind) का खिताब अपने नाम कर चुके हैं. यही नहीं, वो वर्ल्ड चैंपियन (Wrestling world champion) भी बने थे और उन्होंने बड़े-बड़े दिग्गजों को प्रेरित किया था.
पिता ने बोया था बेटे के मन में पहलवान बनने का बीज
22 मई 1878 को कपूरथला जिले के जब्बोवाल गांव में गामा पहलवान का जन्म हुआ था. वो एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार से आते थे और उनके पिता मुहम्मद अजीज बक्श दतिया के महाराजा भवानी सिंह के दरबार में कुश्ती लड़ा करते थे. अजीज दक्षिण भारतीय रेस्लिंग कुश्ती धुरंदर पहलवान थे. जब गामा पहलवान 6 साल के थे तब पिता की मौत हो गई मगर तबतक उन्होंने अपने बेटे के अंदर कुश्ती की अलख जगा दी थी. गामा पहलवान के नाना नून पहलवान ने उन्हें और उनके भाई को पहलवानी सिखाने का जिम्मा उठाया. फिर गामा पहलवान के मामा ईदा पहलवान ने उन्हें कुश्ती के पैंतरे सिखाए.
15 घंटे करते थे प्रैक्टिस
बचपन से ही गामा का नाम भारत में होने लगा और वो अपने पिता की तरह गामा भी दतिया के महाराजा के दराबर में पहलवान बन गए. वो रोज 15 घंटे प्रैक्टिस करते थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि वो हर दिन 3000 बैठक और 1500 दंड किया करते थे. इसके अलावा वो रोज अपने गले से 54 किलो का पत्थर बांधकर 1 किलोमीटर तक भागा करते थे. यही नहीं, वो रोज 10 लीटर दूध, आधा लीटर घी, डेढ़ लीटर मक्खर, और दो किलो फल खाया करते थे. ‘The Wrestler’s Body: Identity and Ideology in North India’ नाम से किताब लिखने वाले जोसफ ऑल्टर ने इस बारे में अपनी किताब में भी विस्तार से बताया है.
रुस्तम-ए-हिन्द से लेकर विश्व चैंपियन बने थे गामा
इंग्लैंड में उन्होंने पोलैंड के रहने वाले (Stanislaus Zbyszko) नाम के शख्स को कुश्ती में भी हराया जो उस वक्त विश्व चैंपियन थे. उसे हराकर जब वो भारत लौटे तो उन्होंने नेशनल चैंपियन रहीम को भी मात दी जिसका कद 6 फीट 9 इंच था जबकि गामा सिर्फ 5 फीट 8 इंच के थे. तब उन्हें रुस्तम-ए-हिन्द का खिताब मिला था. बंटवारे के वक्त गामा पहलवान पाकिस्तान में ही रह गए मगर उन्होंने उस वक्त की हिंसा में कई हिंदू परिवारों की जान बचाई थी. पाकिस्तान की सरकार ने उनका ध्यान नहीं रखा और जीवन के आखिरी दिनों में वो पैसों की कमी के साथ गुजारा करते थे. 82 साल की उम्र में उनकी मौत साल 1960 में हुई मगर आज भी भारत और पाकिस्तान में उनका नाम का डंका गूंजता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि महान मार्शल आर्टिस्ट और एक्टर ब्रूस ली भी गामा पहलावन से प्रेरित होकर अपनी एक्सरसाइज में दंड बैठक को शामिल कर लिया था.