रसोई गैस सब्सिडी को लेकर सरकार का नया प्लान, जानें किसके खाते में आएंगे पैसे?

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नई दिल्ली. रसोई गैस सिलेंडर की सब्सिडी (LPG cylinder Subsidy) को लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है. सरकार के एक आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) में संकेत मिल रहा है कि एलपीजी सिलेंडर के लिए ग्राहकों को प्रति सिलेंडर 1,000 रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है. हालांकि, इस पर सरकार का क्या विचार है यह अभी पूरी तरह साफ नहीं है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने सब्सिडी के मुद्दे पर कई बार चर्चा की है लेकिन अभी तक कोई योजना नहीं बनाई है. मीडिया रिपोर्ट्स की बात मानें तो सरकार के पास 2 विकल्प है. पहला बिना सब्सिडी के सिलेंडर सप्लाई करे. दूसरा, कुछ ग्राहकों को सब्सिडी का लाभ दिया जाए.

जानें क्या है सरकार का प्लान?
सब्सिडी देने के बारे में सरकार की तरफ से कुछ भी साफ तौर पर नहीं कहा गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी तक 10 लाख रुपये इनकम के नियम को लागू रखा जाएगा और उज्ज्वला योजना (Ujjwala Scheme) के लाभार्थियों को सब्सिडी का लाभ मिलेगा. बाकी लोगों के लिए सब्सिडी खत्म हो सकती है. आपको बता दें कि यह योजना 2016 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को एलपीजी कनेक्शन (LPG connection) प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी. भारत में लगभग 29 करोड़ से अधिक के पास एलपीजी कनेक्शन हैं, इसमें उज्जवला योजना के तहत करीब 8.8 एलपीजी कनेक्शन हैं. FY22 में, सरकार योजना के तहत एक और एक करोड़ कनेक्शन जोड़ने की योजना बना रही है.

सब्सिडी की क्या है स्थिति?
साल 2020 में जब कोरोनोवायरस महामारी के चलते दुनियाभर में लाॅकडाउन लगाया गया था उस समय कच्चे तेल की कीमतें गिर गईं. इससे भारत सरकार को एलपीजी सब्सिडी (LPG Subsidy) के मोर्चे पर मदद मिली क्योंकि कीमतें कम थीं और सब्सिडी को लेकर बदलाव की आवश्यकता नहीं थी. मई 2020 से, कई क्षेत्रों में एलपीजी सब्सिडी बंद हो गई है, कुछ को छोड़कर जो दूर-दराज के और एलपीजी प्लाटं से दूर हैं.

सब्सिडी पर सरकार का कितना खर्च?
सब्सिडी पर सरकार का खर्च वित्तीय वर्ष 2021 के दौरान 3,559 रुपये रहा. वित्तीय वर्ष 2020 में यह खर्च 24,468 करोड़ रुपये का था. दरअसल ये डीबीटी स्कीम के तहत है जिसकी शुरुआत जनवरी 2015 में की गई थी जिसके तहत ग्राहकों को गैर सब्सिडी एलपीजी सिलेंडर का पूरा पैसा चुकाना होता है. वहीं, सरकार की तरफ से सब्सिडी का पैसा ग्राहक के बैंक खाते में रिफंड कर दिया जाता है. चूंकि यह रिफंड डायरेक्ट होता है, इसलिए स्कीम का नाम DBTL रखा गया है.