जानिए, कैसे 44 रुपये का पेट्रोल मिलता है 105 में, ये है फ्यूल पर टैक्स और चार्जेस का पूरा गणित

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नई दिल्ली: पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) की कीमतें घटने का नाम नहीं ले रही हैं। रविवार को भी पेट्रोल और डीजल के दाम (Price of Petrol Diesel) में 35-35 पैसे की तगड़ी बढ़ोतरी हुई। इसके बाद दिल्ली में रविवार को इंडियन ऑयल (IOC) के पेट्रोल पंप पर पेट्रोल 105.84 रुपये प्रति लीटर और डीजल 94.57 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया। बीते 16 दिनों में पेट्रोल 4.65 रुपये महंगा हो चुका है, जबकि पिछले 19 दिनों में ही डीजल करीब छह रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है।

पेट्रोल और डीजल की उच्च कीमतों में इस पर लगने वाले टैक्स (Tax on Fuel) और चार्जेस का बहुत बड़ा हाथ है। पेट्रोल और डीजल पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों टैक्स वसूलते हैं। इसके अलावा फ्रेट, डीलर चार्ज और डीलर कमीशन भी रहता है। इन सब को पेट्रोल और डीजल के बेस प्राइस में जोड़ देने के बाद रिटेल कीमत सामने आती है। पेट्रोल और डीजल पर टैक्स और चार्जेस का स्ट्रक्चर इस तरह है-

44.06 रुपये के पेट्रोल पर 57.24 रुपये का टैक्स
पेट्रोल और डीजल पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क की दर पूरे भारत में समान है। लेकिन वैट की दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है। भारत में पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा वैट राजस्थान में लगता है।

70 फीसदी क्रूड विदेश से आयातित
भारत में पेट्रोल और डीजल की जितनी खपत है, उसके मुकाबले कच्चे तेल का उत्पादन (Production of Crude Oil) काफी कम है। देश में इस समय करीब 70 फीसदी क्रूड ऑयल (Crude Oil) विदेशों से आता है। फिर उसे देश में स्थित रिफाइनरी में साफ किया जाता है और उससे पेट्रोल, डीजल, एलपीजी आदि निकाला जाता है। इस समय कच्चे तेल की कीमतें (Crude Oil Prices) 85 डॉलर के आसपास चल रही हैं।

6 सालों में पेट्रोल-डीजल पर कितना बढ़ा गया केन्द्रीय उत्पाद शुल्क
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2014 में पेट्रोल पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duty) 9.48 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर था। यह शुल्क अब बढ़कर 32.90 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इसी तरह डीजल पर साल 2014 में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क 3.56 रुपये प्रति लीटर लग रहा था, जो अब बढ़कर 31.80 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच चुका है।