न रोका न मनाया, एग्जिट प्लान जानते हुए भी BJP ने क्यों नहीं की नीतीश से बात?

Neither stopped nor celebrated, why did BJP not talk to Nitish despite knowing the exit plan?
Neither stopped nor celebrated, why did BJP not talk to Nitish despite knowing the exit plan?
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नई दिल्ली। नीतीश कुमार बिहार में एनडीए को छोड़ महागठबंधन के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। भाजपा उनके इस कदम को धोखेबाजी के रूप में देख रही है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि उनकी बार-बार साथी बदलने की आदत के चलते वह अपनी विश्वसनीयता भी खो चुके थे। सिर्फ इतना ही नहीं, भाजपा को नीतीश के हर कदम की जानकारी थी। उसे पता था कि नीतीश साथ छोड़कर जाने वाले हैं, इसके बावजूद भाजपा की तरफ से न तो उन्हें रोकने की कोशिश हुई न ही मनाने का जतन किया गया।

भाजपा का दावा-निभा रहे थे गठबंधन धर्म
हालांकि आज नीतीश के इस्तीफे के बाद बिहार से लेकर दिल्ली तक के नेता हमलावर हैं। लेकिन कल नीतीश के गठबंधन छोड़ने की खबरें सामने आने के बाद भी भाजपा नेताओं ने चुप्पी साध रखी थी। इस बीच बताया गया था कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कुछ अन्य भाजपा नेताओं ने उनसे बात की थी, लेकिन वह उनका मन नहीं बदल सके। एनडीटीवी के मुताबिक केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था कि भाजपा गठबंधन धर्म निभा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास 63 और जेडीयू के पास 36 सीटें थीं, इसके बावजूद उन्हें सीएम बनाया गया। फिर भी वो नया साथी तलाश रहे हैं।

भाजपा की ‘बड़े भाई’ रवैये से नाखुश थे नीतीश
हालांकि सरकार बनने के बाद से ही बिहार में भाजपा हमेशा बड़े भाई की भूमिका में रहा। इस बात ने नीतीश कुमार के मन में लगातार चिढ़ बनाए रखी। बताते हैं कि इसके बाद नीतीश के मन में यह डर समा गया कि भाजपा बिहार में महाराष्ट्र जैसा कुछ कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक उन्हें इस बात का डर था कि भाजपा जेडीयू को तोड़कर नया मुख्यमंत्री बनाएगी, जिसे वो कंट्रोल कर सके।

आरसीपी पर भी था संदेह
नीतीश को संदेह था कि केंद्रीय मंत्रालय में जेडीयू के एकमात्र चेहरे आरसीपी सिंह भाजपा के इशारे पर काम कर रहे थे। गौरतलब है कि जेडीयू ने राज्यसभा में आरसीपी सिंह का कार्यकाल बढ़ाने से इंकार कर दिया था। इसके बाद बीते हफ्ते आरसीपी सिंह ने तमाम आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच जेडीयू छोड़ दी थी। इससे पहले जेडीयू ने उनके ऊपर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए थे।