कर्ज में डूबी सुखविंदर सरकार के लिए नया सिरदर्द, कैसे चुकाएंगे 6% ब्याज सहित एरियर की रकम

New headache for debt-ridden Sukhwinder Sarkar, how will it repay the arrears amount including 6% interest?
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शिमला: भारी-भरकम कर्ज में डूबी हिमाचल सरकार के लिए एक नया सिरदर्द सामने आया है. छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद हिमाचल सरकार पर एरियर के भुगतान की जिम्मेदारी आ गई थी. राज्य सरकार को इस मद में कर्मचारियों व पेंशनर्स के 10,500 करोड़ रुपए चुकाने हैं. अब नया सिरदर्द हाईकोर्ट के एक के बाद एक आए चार आदेश के रूप में है. दरअसल, कुछ विभागों के सेवानिवृत कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंचे और गुहार लगाई कि उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद बढ़े हुए वेतन का एरियर दिया जाए. हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को छह फीसदी ब्याज सहित एरियर चुकाने के आदेश जारी किए हैं. अब सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार के सामने भारी-भरकम रकम का जुगाड़ करने की चुनौती आ गई है.

6 हफ्ते में एरियर चुकाने के आदेश: हिमाचल हाईकोर्ट ने इसी हफ्ते लेटेस्ट ऑर्डर में राज्य सरकार को कृषि एवं ग्रामीण विकास विभाग से सेवानिवृत डिप्टी डायरेक्टर को छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ की बकाया राशि जारी करने के आदेश दिए हैं. यह लाभ छह फीसदी ब्याज सहित जारी करने को कहा गया है. हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने इस संदर्भ में दाखिल की गई याचिका की सुनवाई पर हिमाचल सरकार के वित्त सचिव प्रधान महालेखाकार को यह लाभ 6 सप्ताह में जारी करने के आदेश दिए हैं. यानी नवंबर महीने के पहले पखवाड़े में सरकार को इस मामले में कोई न कोई निर्णायक कदम उठाना ही पड़ेगा.

2016 से लाभ देने की घोषणा: हिमाचल हाईकोर्ट ने 1 जनवरी 2016 से 30 अप्रैल 2018 तक का बकाया संशोधित वेतनमान 6 फीसदी ब्याज सहित और प्रार्थियों की पेंशन, ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट के अलावा कम्यूटेशन ऑफ पेंशन का लाभ ब्याज सहित अदा करने को कहा है. विभाग से सेवानिवृत डिप्टी डायरेक्टर का कहना था कि सरकार ने 3 जनवरी 2022 को संशोधित वेतनमान संबंधी नियम बनाए. इन नियमों के तहत सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को अपनाया और कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से यह लाभ देने की घोषणा की थी.

याचिकाकर्ताओं की मांग: प्रार्थियों के अनुसार वे भी संशोधित वेतनमान की बकाया राशि पाने के हकदार हैं, क्योंकि वे 1 जनवरी 2016 के बाद रिटायर हुए थे. राज्य सरकार ने 25 फरवरी 2022 को सरकार ने पेंशन नियमों में संशोधन कर पहली जनवरी 2016 के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों की डीसीआर ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख से 20 लाख कर दी थी. फिर 17 सितंबर 2022 को सरकार ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर वित्तीय लाभ देने के लिए किश्तें बनाई. इस प्रावधान के अनुसार वित्तीय लाभों की बकाया राशि का भुगतान पांच किश्तों में करना था.

रिटायरमेंट के लाभ कर्मचारियों का अधिकार: सेवानिवृत्त डिप्टी डायरेक्टर का कहना है कि उन्हें किश्तों में वित्तीय लाभ दिए जाने का प्रावधान बिल्कुल गलत है. रिटायरमेंट से जुड़े लाभ पाना उनका अधिकार है और सरकार ये लाभ देकर उन पर कोई एहसान नहीं कर रही है. सरकार को सेवानिवृत कर्मचारियों के वित्तीय लाभ किश्तों में देने की इजाजत नहीं दी जा सकती और वो भी बिना ब्याज अदा किए. प्रार्थियों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा था कि जो कर्मचारी 1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत हुए हैं. उन्हें वित्तीय लाभ पांच किश्तों में और जो 1 मार्च 2022 से बाद सेवानिवृत हुए हैं, उन्हें सभी लाभों का बकाया एक साथ दिया जा रहा है. कोर्ट ने प्रार्थियों की दलीलों से सहमति जताते हुए इसे भेदभाव का मामला पाया.

शिक्षकों को भी नहीं मिला 6ठें वेतन आयोग का लाभ: इसी तरह की याचिका कुछ रिटायर्ड टीचर्स की तरफ से भी दाखिल की गई है. उस याचिका में भी यही दलील दी गई है कि पांच किश्तों में वित्तीय लाभ देने का प्रावधान करना गलत है. शिक्षकों को भी रिटायरमेंट के बाद छठे वेतन आयोग के बकाया लाभ नहीं मिले हैं. इस मामले की सुनवाई 16 अक्टूबर को है. इस केस में भी ब्याज सहित एरियर के भुगतान के आदेश संभावित हैं, क्योंकि मामला सेम नेचर का है. इसके अलावा 19 सितंबर को सुरेंद्र सिंह बनाम स्टेट ऑफ हिमाचल प्रदेश केस में भी यही मामला पेश आया है. एक अन्य मामले में एचआरटीसी से रिटायर चालक भगत राम बनाम हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन का मामला भी है.

10500 करोड़ की देनदारी से ही फूले हैं हाथ-पांव: कर्मचारियों को पहली जनवरी 2016 से लागू हुए पे कमीशन के एरियर के तौर पर अभी 10500 करोड़ से अधिक की देनदारी राज्य सरकार के सिर पर है. कर्मचारी और पेंशनर्स का बकाया चुकाया जाना है. इसमें से 5500 करोड़ रुपए से अधिक की देनदारी सिर्फ पेंशनरों की है. वहीं, करीब 5000 करोड़ की रकम कर्मचारियों की चुकानी है. राज्य में जयराम सरकार के कार्यकाल के दौरान पे कमीशन के लाभ दिए गए थे. पूर्व सरकार ने एरियर की सिर्फ एक किस्त 50000 रुपये की सीलिंग के साथ दी थी. उसके बाद से अब तक कर्मचारियों व पेंशनर्स को कोई और किश्त नहीं मिली है.

एक-दूसरे के सिर ठीकरा फोड़ रही सरकारें: हिमाचल के वित्त सचिव रहे केआर भारती का कहना है कि कर्मचारियों व पेंशनर्स की देनदारी की रकम चुकाना आसान नहीं होगा. राज्य सरकार के पास खुद के संसाधन न के बराबर हैं. कांग्रेस सरकार इस देनदारी का ठीकरा पूर्व की जयराम सरकार पर फोड़ती है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि पूर्व सरकार ने विरासत में कर्ज और कर्मचारियों की देनदारी के अलावा और कुछ नहीं छोड़ा है. वहीं, पूर्व सीएम जयराम ठाकुर का कहना है कि ये कंटीन्यूअस प्रोसेस है. फिलहाल, राज्य सरकार को हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश के बाद पे-कमीशन की देनदारियां चुकाने में पसीने छूटने वाले हैं. राज्य की अर्थव्यवस्था मानसून सीजन के बाद वैसे ही खस्ताहाल है. हिमाचल को मानसून सीजन में दस हजार करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान झेलना पड़ा है. ऐसे में कर्मचारियों व पेंशनर्स की देनदारी का बोझ सुखविंदर सरकार को चैन की सांस नहीं लेने देगा.