धक्का-मुक्की नहीं, अब चीनियों को सीधे इजरायल वाला ‘धोबी-पछाड़’ देंगे भारतीय जवान

No push-pull, now the Israeli soldiers will directly 'wash-out' the Chinese
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नई दिल्‍ली: भारतीय सुरक्षा बलों को इजरायल के ‘धोबी-पछाड़’ की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस युद्ध कला का नाम ‘क्राव मागा’ (KRAV MAGA) है। वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पैट्रोलिंग के वक्‍त चीनियों को सबक सिखाने में यह कारगर साबित होगी। पंचकुला स्थित आईटीबीपी ट्रेनिंग एकैडमी में 50 इंस्‍ट्रक्‍टरों वाले पहले बैच को इसमें ट्रेंड किया जा रहा है। इंडो तिब्‍बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) के साथ भारतीय सेना एलएसी पर गश्‍त करती है। इस दौरान अक्‍सर चीनी सैनिकों से इनकी कहासुनी हो जाती है। बढ़ते-बढ़ते कई बार यह धक्‍का-मुक्‍की में भी बदल जाती है।

आईजी (ट्रेनिंग) आईएस दुहान ने हमारे सहयोगी न्‍यूजपेपर इकनॉमिक टाइम्‍स को बताया कि पहले बैच में 50 इंस्‍ट्रक्‍टरों को ट्रेनिंग दी जा रही है। फिर ये फील्‍ड में जाकर आईटीबीपी कमांडोज को प्रशिक्षण देंगे। एक्‍सपर्ट्स के अनुसार, क्राव मागा मिक्‍स्‍ड मार्शल आर्ट्स का एडवांस्‍ड वर्जन है। यह बिना हथियार की लड़ाई में सुरक्षा बलों के मदद आती है। यह युद्ध कला वहां भी मददगार है जहां हथियार लेकर नहीं जा सकते हैं। सेना भी एलएसी पर तैनात अपने जवानों को क्राव मागा की ट्रेनिंग दे रही है।

क्‍यों पड़ रही है जरूरत?
पहले भारत और चीनी सेना के बीच तकरार एक-दूसरे झंडे फहराकर दिखाने तक सीमित रहती थी। लेकिन, पिछले कुछ सालों में चीनी सेना काफी आक्रामक हो गई है। उसने एलएसी पर जमावड़ा बढ़ा दिया है। भारत की ओर से भी उसी तरह से जवाब दिया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि इजरायल के क्राव मागा को सबसे बेहतरीन मार्शल आर्ट्स में से एक माना जाता है। यह युद्ध कला आकिडो, कराटे और जूडो का मिश्रण है। यह गश्‍त करने वाली यूनिटों को जवाबी कार्रवाई में मदद करेगी। चीन की आक्रमकता के कारण एलएसी पर तनाव बना रहता है। जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद से चीन के साथ रिश्‍तों में लगातार गिरावट आती चली गई।

क्राव मागा क्‍या है?
क्राव मागा सेल्‍फ डिफेंस के लिए एक युद्ध कला है। इसे इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) के लिए विकसित किया गया था। 1950 के दशक में इस युद्ध कला को विकसित करने के लिए मार्शल आर्ट्स और हाथ-पैसे लड़ाई की कई विधाओं को शामिल किया गया। पहले इसकी ट्रेनिंग सिर्फ इजरायली सैनिकों को दी जाती थी। 70 के दशक में नागरिकों को भी यह सिखाई जाने लगी।

किसने की विकसित?
इस युद्ध कला को हंगरी में जन्‍मे इजरायली मार्शल आर्टिस्‍ट इमी लिचेनफेल्‍ड ने विकसित की। 1948 में जब इजरायल का जन्‍म हुआ और आईडीएफ गठित हुई तो लिचेनफेल्‍ड को फिजकल फिटनेस के लिए चीफ इंस्‍ट्रक्‍टर बनाया गया। उन्‍होंने आईडीएफ में करीब 20 साल का वक्‍त बिताया। इस दौरान उन्‍होंने सेल्‍फ डिफेंस की कई तकनीकें ईजाद कीं।