अभी अभी: छत्‍तीसगढ़ में अनजान बीमारी से 61 की मौत, दहशत में लोग

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रायपुर। । छत्‍तीसगढ़ के सुकमा जिला मुख्यालय से 90 किमी दूर कोंटा ब्लाक के रेगड़गट्टा गांव में बीते ढाई वर्ष में 61 आदिवासियों की मौत के कारण का पता लगाने के लिए जिला प्रशासन डिटेल मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। नईदुनिया ने 29 जुलाई को सुकमा के गांव में 61 लोगों की मौत, ढाई वर्ष से अज्ञात बीमारी से ग्रस्त हैं शीर्षक से खबर प्रकाशित कर इस मामले को उजागर किया था।

डाक्टरों की टीम लगातार काम कर रही है किंतु मौतों के सही कारण का अब तक पता नहीं लगाया जा सका है। प्रशासन ने माना है कि गांव में 47 लोगों की मृत्यु हुई है। इनमें बीमारी से या प्राकृतिक रूप से मरने वालों की संख्या शामिल है। गांव के जल या मृदा में आर्सेनिक जैसे भारी धातु की मौजूदगी का पता लगाने के लिए सैंपल लैब में भेजे गए हैं। रेगड़गट्टा गांव की आबादी करीब एक हजार है। गांव में 130 मकान हैं। आठ अगस्त को गांव में विशेषज्ञों की एक टीम को भेजा जाएगा जो गांव के पर्यावरण की सूक्ष्मता से जांच करेंगे।

सुकमा कलेक्टर हरीश एस ने कहा कि ग्रामीण खुद बता रहे हैं कि मृत्यु अलग-अलग कारणों से हुई है। कुछ मृतकों के शरीर में सूजन थी परंतु इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं। गांव में 20 हैंडपंप हैं। पानी की प्रारंभिक जांच में दो हैंडपंप में फ्लोराइड का स्तर निश्चित सीमा से ऊपर मिला। कुछ हैंडपंपों के पानी में आयरन की अधिकता भी पाई गई।

कलेक्टर ने कहा कि इससे यह नहीं कहा जा सकता है कि दूषित पेयजल मौतों की वजह है। फ्लोराइड से हड्डियों में कमजोरी आती है किंतु यहां किसी मृतक में यह लक्षण नहीं मिला। आयरन की अधिकता से समस्याएं हो सकती हैं किंतु इससे अचानक मौत नहीं होती है। गांव में अज्ञात बीमारी से मौतों की सूचना मिलने के बाद मेडिकल टीम को वहां भेजा गया था। डाक्टरों को वहां 41 ऐसे मरीज मिले जिनके शरीर में सूजन थी और किडनी संबंधी समस्या से ग्रसित थे।

जांच में पता चला कि उनके शरीर में यूरिक एसिड व क्रेटामाइन की मात्रा सामान्य से ज्यादा थी। इन सभी का उपचार किया जा रहा है और हालत स्थिर है। एनीमिया से पीड़ित दो गंभीर मरीजों को सुकमा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कुछ की मौत किडनी की बीमारी से हुई है किंतु किनकी मौत इससे हुई है यह पता नहीं लगाया जा सका है। गांव में किडनी संक्रमण के और भी मामले पाए गए हैं। गांव के 20 हैंडपंपोें में से 12 बंद कर दिए गए हैं, आठ को ही सुरक्षित माना गया है। मौत के कारणों का सही पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।