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लखनऊ : अब संस्कृत छात्रों को प्रथमा (आठवीं कक्षा) की बोर्ड परीक्षा नहीं देनी होगी। संस्कृत शिक्षा परिषद ने गृह परीक्षाएं कराने का निर्णय लिया है। यह निर्णय इसी सत्र 2022-23 से लागू होगा। वहीं नौवीं(पूर्व मध्यमा प्रथम) और ग्यारहवीं(उत्तर मध्यमा प्रथम) की भी बोर्ड परीक्षाएं खत्म कर गृह परीक्षाएं कराने की तैयारी है। इसके लिए शासन से नियमावली में संशोधन करवाना होगा। ऐसे में अगले सत्र 2023-24 से गृह परीक्षाएं कराने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
सभी बोर्ड करवाते हैं गृह परीक्षाएं
संस्कृत स्कूलों में आठवीं से लेकर बारहवीं तक सभी वार्षिक परीक्षाएं बोर्ड खुद करवाता है। बोर्ड के सचिव आरके तिवारी का कहना है कि सभी बोर्ड आठवीं की गृह परीक्षाएं ही करवाते हैं। वैसे भी जब से आरटीई लागू हुआ है। 8वीं तक छात्रों को फेल नहीं करना होता है। ऐसे में आठवीं की बोर्ड परीक्षा कराने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर बोर्ड में नौवीं और ग्यारहवीं की भी गृह परीक्षाएं ही होती हैं। सिर्फ 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं जाती हैं। आठवीं कक्षा में करीब 6 हजार और नौवीं व ग्यारहवीं कक्षा में करीब 40 हजार छात्र हैं।
नौवीं और ग्यारहवीं पर असहमति
आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं खत्म करने पर तो संस्कृत स्कूलों के प्रधानाचार्य और अन्य विद्वान खुश हैं लेकिन वे नौवीं और ग्यारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं खत्म करने के लिए सहमत नहीं हैं। बोर्ड की कार्यकारीणी बैठक में भी कई सदस्यों ने असहमति जताई थी। उनका कहना है कि संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। कई विद्यालय एक-दो शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं। ऐसे में गृह परीक्षाएं होने पर इतने सारे विषयों की कॉपियां जांचने में दिक्कत आएगी। उ. प्र. संस्कृत शिक्षक संघ के अध्यक्ष और बोर्ड की कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. विनोद कुमार मिश्र का कहना है कि ग्यारहवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं खत्म कीं तो छात्र गंभीरता से नहीं लेंगे। बोर्ड में छात्रों की संख्या काफी कम हो जाएगी। ऐसा ही प्रयोग पहले सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने लिया था लेकिन असफल रहा। बाद में फैसला वापस लेना पड़ा था।