हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश, सरकार के नाम हुई जमीन दोबारा भू-मालिक को नहीं मिलेगी

Order of Himachal High Court, the land owner will not get it again in the name of the government
Order of Himachal High Court, the land owner will not get it again in the name of the government
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शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भू अधिग्रहण के मामलों में महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि भूमि अधिग्रहण के सरकार के नाम हुई भूमि दुबारा भू मालिक को वापिस नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए NHAI की मांग को अस्वीकार करते हुए उन्हें आदेश दिए कि वह प्रार्थियों की जमीन की मुआवजा राशि 28 दिन के अंदर जारी करें।

ये है पूरा मामला
मामले के अनुसार प्रार्थियों की जमीन का अधिग्रहण पठानकोट मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए नेशनल हाइवे अधिनियम 1956 के तहत किया गया था। नियमानुसार इसकी अधिसूचना 20 अक्टूबर 2020 को की गई। 11 दिसंबर 2020 को अधिग्रहण की घोषणा कर दी गई। इसलिए इसी दिन से अधिगृहित भूमि सरकार के नाम हो गई। इसका अवार्ड भी 15 मार्च 2013 को पारित हो गया।

प्रार्थियों ने ये आरोप लगाया
प्रार्थियों का आरोप था कि अवार्ड पारित होने के बावजूद सरकार उन्हें मुआवजा राशि जारी नहीं कर रही है। NHAI का कहना था कि अधिगृहित भूमि वास्तविक सुरंग से ऊपर 60 मीटर दूर है। इसलिए प्रार्थियों की भूमि सुरंग निर्माण के लिए नहीं चाहिए। न ही यह भूमि हाइवे प्रोजेक्ट के निर्माण में इस्तेमाल की जानी है। इन परिस्थितियों में NHAI​​​​​​​ ने उक्त भूमि को वापिस कर भू मालिकों द्वारा पुनः इस्तेमाल के लिए छोड़ने की अनुमति मांगी।

कोर्ट बोला कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं
न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि सरकार अधिगृहित भूमि वापिस भू मालिक के नाम कर दें। कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहण के बाद जब भूमि सरकार के नाम हो जाती है उस जमीन के इस्तेमाल को लेकर भू मालिक का कोई लेना देना नहीं रहता। भू मालिक केवल उचित मुआवजे का हक रखता है।

सरकार को नियमों का पालन करना होगा
सरकार अधिग्रहण करने के पश्चात यह कहते हुए भूमि के मुआवजे से नहीं बच सकती की अधिगृहित भूमि उसे नहीं चाहिए। सरकार के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है कि वह अधिगृहत भूमि संबंधित भू मालिक को वापिस करें और न ही भू मालिक किसी भी आधार पर अधिगृहित भूमि वापिस मांगने का हकदार है। जब तक अधिग्रहण प्रक्रिया को ही चुनौती दी न दी हो, तब तक भू मालिक अपनी भूमि वापिस नही मांग सकता।