- बिहार की चार सीटों का मतदान दिखाता है वोटर्स की उदासीनता, भाजपा मुश्किल में तो राजद की भी राह नहीं आसान - April 20, 2024
- अमित शाह ने दिया अपनी संपत्ति का ब्योरा, मात्र 24 हजार कैश, सिर पर लाखों का लोन, नहीं है खुद की कार - April 20, 2024
- Zomato को फिर मिला GST नोटिस, 11.81 करोड़ भरने का ऑर्डर - April 20, 2024
पटना: बिहार में बीजेपी ने जदयू के साथ मिलकर जिन योजनाओं को बनाया था। अब उसी योजना को मुद्दा बनाकर बीजेपी नीतीश सरकार को घेरने का काम करेगी। इसकी शुरुआत जल-नल योजना में घोटाले के आरोप से होगी। बीजेपी राज्य में नौकरी का मुद्दा भी उठाएगी। इसके लिए बीजेपी 30 मई से 30 जून तक कई कार्यक्रम करने जा रही है। इन कार्यक्रमों के जरिए कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया जाएगा। इसके साथ जनता के बीच केन्द्र की योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी हो। बीजेपी बिहार सरकार की योजनाओं में हो रही गड़बड़ियों को लेकर भी जनता के बीच जाएगी। इसकी शुरुआत 27 मई से होगी।
जल-नल योजना के विरोध में धरना दिया जाएगा
पार्टी ने नीतीश सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना जल-नल योजना को निशाने पर लिया है। इसको लेकर लोजपा (रा) के चिराग पासवान ने भी कई बार सवाल उठाया है। चिराग इस योजना में लगातार घोटाले का आरोप लगाते रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं कि एक तो काफी गर्मी पड़ रही है। इस गर्मी में राज्य के कई हिस्सों में जल संकट से लोग परेशान हैं। राज्य में नल-जल योजना फेल है। कहीं नल गायब, तो कहीं पाइप सही नहीं है।
इसको लेकर बीजेपी भभुआ से लेकर बांका तक के पहाड़ी इलाकों में धरना देगी। साथ ही लोगों को बताएगी कि इस योजना में किस तरह से पैसे की बर्बादी हुई। उन्होंने कहा कि सरकार को राज्य की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार बस अपनी कुर्सी बचाने और सत्ता का सुख लेने में लगी है। उन्होंने कहा कि लोगों को पीने के पानी नहीं मिल रहा है। नल जल योजना सिर्फ दिखावा के लिए है। सरकार सिर्फ ढोल पीट रही है। केंद्र सरकार पैसा देने को तैयार है, लेकिन सरकार लेने को तैयार नहीं। जनता समस्याएं झेल रही, लेकिन सरकार को इनसे मतलब नहीं है।
मुखिया के अधिकारों का हनन कर रही सरकार
पंचायती राज में मुखिया को जो अधिकार दिए गए हैं, उन अधिकारों का हनन बिहार सरकार कर रही है। पंचायत भवन के निर्माण का काम मुखिया के जिम्मे था, लेकिन उसे वापस ले लिया गया। स्ट्रीट लाइट लगाने की योजना सौर ऊर्जा से संबंधित थी। वह भी वापस ले ली गई है। मुखिया संघ की ओर से जगह-जगह धरना-प्रदर्शन हो रहे हैं। भाजपा मुखिया संघ के साथ है। भाजपा निचले स्तर के जनप्रतिनिधियों के साथ है। हमारा मानना है कि नीचे तक सत्ता का विकेन्द्रीयकरण होना चाहिए।
सरकार की मंशा शिक्षकों की बहाली करने की नहीं
प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि तेजस्वी यादव ने चुनाव से पहले कहा था 10 लाख को नौकरी देंगे। नीतीश कुमार ने कहा कि 10 लाख को नौकरी और 10 लाख को रोजगार देंगे, लेकिन शिक्षकों की बहाली का मौका आया तो नियमावली में देरी हुई। अब बीपीएससी से परीक्षा देनी होगी। टीईटी पास वाले नियुक्ति के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। उन सबों की सरकार फिर से परीक्षा लेगी। नियोजित शिक्षक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। उनको भी राज्य कर्मी का दर्जा देने के लिए नीतीश सरकार बीपीएससी से परीक्षा लेने की बात कह रही है।
भास्कर ने प्रवक्ता से सवाल किया- बीजेपी तो नीतीश कुमार के साथ थी, फिर क्यों नहीं नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया गया। जनता तो आपसे सवाल करेगी ना? इस सवाल पर प्रेमरंजन पटेल ने कहा कि हमारी सरकार थी तो नीचे स्तर से नियोजन इकाई बनाकर साढ़े तीन लाख शिक्षकों की बहाली हुई थी, लेकिन इस सरकार की मंशा ठीक नहीं है। वह नियोजन इकाई को भंग करके टीईटी पास वाले को परीक्षा लेने जा रही है। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद के 15 साल के राज में हाई स्कूल में 5 हजार शिक्षकों की बहाली हुई थी। तब शिक्षा मंत्री को जेल जाना पड़ा था। बड़ा घोटाला हुआ था। बीपीएससी से बहाली करने के पीछे नीतीश सरकार की मंशा बहाली नहीं करना बल्कि सिर्फ दिखावा करना है।