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नई दिल्ली: बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले ये ऐलान किया था कि यदि उनको सरकार बनाने का मौका मिलेगा तो आयुष्मान योजना का विस्तार किया जाएगा. बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक में इसको अमलीजामा देने का फैसला किया गया. सिर्फ इतना ही नहीं कुल मिलाकर छह ऐसे फैसले लिए गए जो भविष्य में मील का पत्थर साबित होंगे. आइए इन फैसलों और उनके मायनों पर डालते हैं एक नजर:
1. आयुष्मान भारत योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बुजुर्गों के लिए बड़ा फैसला लिया गया है. मोदी कैबिनेट के फैसले के अनुसार 70 साल से ऊपर के सभी बुजुर्गों को ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ का लाभ दिया जाएगा. जिसका ऐलान किया गया है. 70 साल और इससे अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिकों को इस योजना का लाभ मिलेगा. अब केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए आयु सीमा को खत्म कर दिया है और 70 प्लस के हर बुजुर्गों को आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख तक का स्वास्थ्य सुविधा देने का फैसला किया है. इसमें आय का कोई सीमा बंधन नहीं रहेगा. यानी 70 साल और उससे अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिक, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो इस योजना का लाभ उठाने के पात्र होंगे.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को बताया, ” पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रतिबद्धता जताई थी कि 70 साल से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान भारत पीएम जन आरोग्य योजना में कवरेज दिया जाएगा. ऐसे कई परिवार हैं जो पहले से ही इसमें कवर रहे हैं और उनमें वरिष्ठ नागरिक हैं. ऐसे परिवारों में अतिरिक्त टॉप-अप कवरेज 5 लाख रुपये का होगा.” इस सुविधा के विस्तार का उद्देश्य लगभग ऐसे 4.5 करोड़ परिवारों को लाभ पहुंचाना है, जिनमें 6 करोड़ वरिष्ठ लोग शामिल हैं. उन्हें प्रति परिवार 5 लाख रुपये का निशुल्क हेल्थ बीमा कवर मिलेगा.
साल 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत मोदी सरकार ने इस योजना शुरुआत की थी. इस योजना के तहत देशभर के चिह्नित सरकारी और निजी अस्पतालों में 5 लाख तक का मुफ्त इलाज इस योजना के तहत कवर होने के बाद करवाया जा सकता है. अस्पताल में एडमिट होने के 10 दिन पहले और बाद के चिकित्सा खर्च का भी इस योजना के तहत भुगतान का प्रावधान है. हालांकि कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्होंने इस योजना को अपने यहां लागू करने से इनकार कर दिया है और वहां पर राज्य सरकार खुद अपनी योजना चला रही हैं.
2. ‘मिशन मौसम’ को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘‘मिशन मौसम’’ को मंजूरी दे दी. इस मिशन का उद्देश्य मौसम की चरम घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अनुमान लगाने और उनसे निपटने की देश की क्षमता को बढ़ाना है. दो वर्षों के लिए 2,000 करोड़ रुपये के बजट वाले इस मिशन को मुख्य रूप से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत तीन प्रमुख संस्थानों – भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र द्वारा कार्यान्वित किया जायेगा.
इस मिशन के अंतर्गत भारत के मौसम और जलवायु-संबंधी विज्ञान, अनुसंधान एवं सेवाओं को जबरदस्त प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक बहुआयामी और परिवर्तनकारी पहल होने की परिकल्पना की गई है. इसमें मानसून, वायु गुणवत्ता, मौसम की चरम घटनाओं, चक्रवातों और कोहरे, ओलावृष्टि और बारिश के प्रबंधन के लिए मौसम संबंधी उपाय, क्षमता निर्माण और जागरूकता पैदा करना संबंधी जानकारी शामिल है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बयान में कहा कि ‘मिशन मौसम’ के महत्वपूर्ण तत्वों में उन्नत सेंसर और उच्च प्रदर्शन वाले सुपर कंप्यूटर के साथ अगली पीढ़ी के रडार और उपग्रह प्रणालियों की तैनाती, बेहतर पृथ्वी प्रणाली मॉडल का विकास और वास्तविक समय डेटा प्रसार के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस)-आधारित स्वचालित निर्णय समर्थन प्रणाली शामिल होगी. इस मिशन से कृषि, आपदा प्रबंधन, रक्षा, विमानन, ऊर्जा, जल संसाधन और पर्यटन समेत कई क्षेत्रों को लाभ होगा. इससे शहरी नियोजन, परिवहन और पर्यावरण निगरानी जैसे क्षेत्रों में निर्णय लेने की क्षमता में भी सुधार आएगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कहा कि बहुआयामी और परिवर्तनकारी पहल से भारत के मौसम और जलवायु संबंधी विज्ञान, अनुसंधान और सेवाओं को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा.
3. जल विद्युत परियोजना को मंजूरी
कैबिनेट ने बुधवार को 12,461 करोड़ रुपये के कुल व्यय के साथ जलविद्युत परियोजनाओं (एचईपी) के लिए बुनियादी ढांचे को सक्षम करने की लागत के लिए बजटीय सहायता की संशोधित योजना को मंजूरी दे दी. लगभग 31,350 मेगावाट की उत्पादन क्षमता के लिए विद्युत मंत्रालय की संशोधित योजना वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2031-32 तक लागू की जाएगी. कैबिनेट ने कहा, “यह संशोधित योजना पनबिजली परियोजनाओं के तेजी से विकास में मदद करेगी, दूरदराज और पहाड़ी परियोजना स्थानों में बुनियादी ढांचे में सुधार करेगी और अप्रत्यक्ष नौकरियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी.”
यह जल विद्युत क्षेत्र में नए निवेश को प्रोत्साहित करेगा और नई परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. सरकार पनबिजली विकास में बाधा डालने वाले मुद्दों जैसे दूरदराज के स्थानों, पहाड़ी क्षेत्रों, बुनियादी ढांचे की कमी आदि के समाधान के लिए कई नीतिगत पहल कर रही है. पनबिजली क्षेत्र को बढ़ावा देने और इसे और अधिक बेहतर बनाने के लिए, कैबिनेट ने मार्च 2019 में बड़े पनबिजली परियोजनाओं को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में घोषित करने के साथ ही बजटीय समर्थन जैसे उपायों को मंजूरी दी. यह योजना 25 मेगावाट से अधिक क्षमता की सभी जलविद्युत परियोजनाओं पर लागू होगी, जिसमें निजी क्षेत्र की परियोजनाएं भी शामिल हैं, जिन्हें पारदर्शी तरीके से आवंटित किया गया है.
4. पीएम ई-ड्राइव योजना
कैबिनेट की तरफ से प्रदूषण को कम करने के लिए 10,900 करोड़ रुपये की पीएम ई-ड्राइव योजना को मंजूरी दी है. योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों जिसमें टूव्हीलर, थ्रीव्हीलर, एंबुलेंस, ट्रक और अन्य इलेक्ट्रिक व्हीकल होंगे इन पर सब्सिडी और डिमांड इंसेंटिव पर 3,679 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है.
5. पीएम ई-बस प्रोग्राम में पेमेंट सिक्योरिटी मैकेनिज्म
कैबिनेट ने पीएम ईबस प्रोग्राम में पेमेंट सिक्योरिटी मैकेनिज्म के लिए 3,435 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी है. इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 के बीच 38 हजार इलेक्ट्रिक बस को सड़क पर उतरने में मदद मिलेगी. साथ ही इस स्कीम के द्वारा अगले 12 साल तक बस के ऑपरेशन में मदद की जाएगी.
6. पीएम ग्राम सड़क योजना
इसके साथ ही दूरदराज के इलाकों में पीएम ग्राम सड़क योजना के लिए 70,125 करोड़ रुपये की मंजूरी का फैसला भी कैबिनेट में लिया गया है