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पटना: 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक के अपने शासनकाल में कभी भी धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने नरेंद्र मोदी को मुसलमान विरोधी बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। बावजूद इसके 2014 से देश का नेतृत्व कर रहे नरेंद्र मोदी ने अपने शुरुआती साल से ही मुसलमानों के उत्थान के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की। जिसका लाभ भी देश के मुसलमान उठा रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने भारत में रह रहे मुसलमानों की स्थिति में सुधार करने के लिए कई योजनाएं लागू की है। इसके लिए मोदी सरकार ने बजट में भी राशि की बढ़ोतरी करने के साथ हज पर जाने वाले मुसलमानों की संख्या को बढ़ाने का काम भी किया है।
सरकारी योजना का लाभ उठाने के बावजूद मोदी विरोधी क्यों है मुसलमान ?
इसके बावजूद विपक्ष समेत देश के भीतर मौजूद कट्टरवादी मुस्लिम संगठनों की ओर से नरेंद्र मोदी का न सिर्फ विरोध किया जाता है। बल्कि कई ऐसे कार्य भी किए जाते हैं जिससे देश का माहौल खराब हो जाए। बताया जाता है कि देश में हो रहे चौतरफा विकास का सबसे ज्यादा लाभ मुसलमान और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ही उठा रहे हैं। लेकिन देश के विपक्षी पार्टियों द्वारा कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों के साथ मिलकर देश के गरीब मुसलमानों को नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ भड़काया जाता है और केंद्र कि मोदी सरकार का विरोध करने पर विवश कर देती है।
मोदी सरकार द्वारा मुसलमानों के उत्थान के लिए लिए शुरू की गई योजनाएं
केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रधानमंत्री आवास योजना, जनधन योजना, उज्जवला योजना, सौभाग्य योजना, उस्ताद योजना, मुद्रा योजना समेत जितनी भी योजनाएं केंद्र सरकार की चल रही है उसका सबसे ज्यादा लाभ मुसलमानों को ही मिला है। आइए अब जानते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुसलमानों के लिए शुरू किए गए कई योजनाओं में से कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं के विषय में।
उड़ान योजना- केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार, इस योजना के तहत मुस्लिम छात्र छात्राओं को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग व्यवस्था उपलब्ध कराती है। इस स्कीम के तहत घर में रहकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले मुसलमान छात्र छात्राओं को 1500 रुपए और बाहर रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को 3000 रुपए भी दिए जाते हैं।
शादी शगुन योजना- देश में मुस्लिम लड़कियों में भी उच्च शिक्षा देने के मकसद से केंद्र कि मोदी सरकार, इस योजना के तहत ग्रेजुएशन करने वाली मुस्लिम लड़कियों को 51000 रुपये की राशि शादी शगुन के तौर पर देने का काम कर रही है।
उस्ताद योजना- केंद्र की मोदी सरकार की इस योजना के तहत मुस्लिम कारीगरों को और ज्यादा एक्सपर्ट बनाने के लिए उन्हें ट्रेनिंग देने का काम किया जा रहा है। इसके तहत कारीगरों को मुसलमानों के पारंपरिक कला और हस्तकला को धार देने के लिए कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित करने का काम किया जा रहा है।
सीखो और कमाओ योजना- नरेंद्र मोदी की सरकार ने मुस्लिम युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से इस स्कीम को शुरू किया है। मोदी सरकार का मानना है कि वैश्विक स्तर पर भारत एक सबसे बड़ा बाजार बनने वाला है। ऐसे में मुस्लिम युवाओं को कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार की ओर प्रोत्साहित करना है। इसके साथ ही इस योजना में प्रशिक्षित 75 प्रतिशत मुस्लिम युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की अनिवार्यता भी रखी गई है।
ईदी योजना- केंद्र की मोदी सरकार के इस योजना के तहत 5 करोड़ मुस्लिम छात्र छात्राओं को ‘प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति’ देने का फैसला लिया गया है। इस योजना में खास बात यह है कि योजना का लाभ उठाने वाले में 50 प्रतिशत मुस्लिम छात्राएं होंगी। दरअसल यह योजना मुसलमानों में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए शुरू की गई है।
इसके अलावा भी मुसलमानों के उत्थान के लिए मोदी ने किए हैं कई काम
केंद्र की मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता संभालते ही अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए बजट की राशि भी बढ़ा दी। इसके अलावा यह नरेंद्र मोदी की ही सरकार की जिसने सैकड़ों साल से तीन तलाक का दंश झेल रही मुस्लिम महिलाओं को कानून बनाकर उन्हें बराबर का हक दिलाने का काम किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने मुसलमानों के लिए सऊदी अरब से आग्रह कर न सिर्फ हज का कोटा बढ़वाया बल्कि उस पर लगने वाली जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया। इसके अलावा नरेंद्र मोदी की सरकार ने ही 6 लाख से अधिक वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के कागजातों का डिजिटलीकरण करवाने का काम किया है।
क्या 2024 में नरेंद्र मोदी के साथ आएंगे मुसलमान ?
मुसलमानों के उत्थान के लिए कई योजना की शुरुआत करने वाले नरेंद्र मोदी ने 16 और 17 जनवरी को दिल्ली में हुए बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपने कार्यकर्ताओं को मुस्लिम समाज को लेकर खास निर्देश दिए हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि कि जो वोट देते हैं या जो वोट नहीं देते हैं कार्यकर्ताओं उनमें भेदभाव ना करें। बीजेपी के कार्यकर्ता सभी के घर जाकर उनकी समस्या जानने की कोशिश करें और उन्हें सरकारी योजनाओं के विषय में बताएं। गौरतलब है कि 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी पसमांदा मुसलमान को अपने पक्ष में करना चाहती है। नरेंद्र मोदी ने कार्यकर्ताओं को यह भी कहा है कि वह सीमा से लगे इलाकों में भी लोगों से जाकर मुलाकात करें। मुलाकात करते वक्त दिमाग में यह ना रखने की वह बीजेपी को वोट देते हैं या नहीं। अब सवाल यह उठता है कि मुसलमानों के लिए इतना कुछ करने वाले नरेंद्र मोदी को, क्या 2024 में मुसलमानों का साथ मिलेगा ? या फिर देश के मुसलमान सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के बाद भी नरेंद्र मोदी से दूरी बनाकर रखेंगे?