- राजस्थान के जैसलमेर के पास भयंकर विमान हादसाः दहल गया पूर इलाका - April 25, 2024
- राजस्थान में कल 20 जिलों में आंधी, बारिश और तूफान की चेतावनी - April 25, 2024
- माध्यमिक शिक्षा निदेशक का सख्त आदेश, राजस्थान के सभी स्कूलों में बदली व्यवस्था - April 25, 2024
नई दिल्ली: सियासत का खेल भी बड़ा ही अजीब होता है, यहां कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता है. ताजा उदाहरण राजस्थान से सामने आ रहा है. जहां अशोक गहलोत के खेमे ने बगावती तेवर दिखाते हुए कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ा दी है. आलम ये है कि पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की दखलअंदाजी के बाद भी मामला सुलझता नहीं दिख रहा. ऐसे में हर किसी की निगाह इसी बात पर लगी है कि ऊंट किस करवट बैठेगा.
राजस्थान कांग्रेस संकट से जुड़ी खास बातें
अशोक गहलोत का समर्थन करने वाले विधायकों को सचिन पायलट सीएम के तौर पर किसी हाल में मंजूर नहीं. ऐसे में पार्टी के कई विधायकों ने सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी थी. इस मामले को सुलझाने के लिए गहलोत खेमे के विधायकों से अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे बात करने पहुंचे थे, लेकिन विधायकों ने बात करने से इंकार कर दिया. टीम गहलोत की ओर से यह स्पष्ट संदेश था कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता.
कांग्रेस की राजस्थान इकाई में खुली बगावत से नाराज पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को पार्टी के पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से रिपोर्ट मांगी. वहीं, मुख्यमंत्री गहलोत के वफादार माने जाने वाले कुछ नेताओं के खिलाफ ‘अनुशासनहीनता’ के आरोप में कार्रवाई किये जाने की संभावना है.
राजस्थान संकट को देखते हुए खड़गे और माकन को कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए जयपुर में पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया था. उन्होंने दिल्ली लौटने के बाद शाम को सोनिया गांधी को संबंधित घटनाक्रमों की जानकारी दी और गहलोत के वफादार विधायकों द्वारा आयोजित समानांतर बैठक को ‘‘अनुशासनहीनता” करार दिया.
एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘अगर पार्टी ने रविवार के घटनाक्रम को अनुशासनहीनता माना है तो फिर ऐसे में कार्रवाई होना संभव है.”गहलोत के वफादारों ने रविवार शाम को विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को इस्तीफा पत्र सौंप दिया था और मुख्यमंत्री के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की स्थिति में केंद्रीय नेतृत्व पर गहलोत खेमे से किसी को मुख्यमंत्री के रूप में चुनने के लिए दबाव बनाया था.
गहलोत के वफादार विधायकों ने संकेत दिया कि वे मुख्यमंत्री के तौर पर सचिन पायलट की नियुक्ति के खिलाफ थे. गहलोत के वफादार धारीवाल ने सोमवार को राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी अजय माकन पर गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने की साजिश में शामिल होने तथा पायलट के लिए पैरवी करने का आरोप लगाया.
गहलोत और पायलट दोनों सोमवार को जयपुर में थे. पायलट ने अपने समर्थकों से मुलाकात की, लेकिन उन्होंने रविवार के घटनाक्रम पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने से परहेज किया. सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी राजस्थान के घटनाक्रम से कथित तौर पर ‘‘नाराज” हैं क्योंकि गहलोत को शीर्ष पद के लिए उनके उत्तराधिकारी के रूप में माना जा रहा था.
सूत्रों ने बताया कि गहलोत ने दोनों पर्यवेक्षकों से कहा कि जयपुर के घटनाक्रम में उनका हाथ नहीं है और इसमें शामिल विधायक उनकी बात नहीं सुन रहे थे. राजस्थान के इस पूरे घटनाक्रम से गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की संभावना कम हो गई है. अब कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक, खड़गे, कुमारी सैलजा और कुछ अन्य नामों को लेकर अटकले जारी हैं.
राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार रात को मुख्यमंत्री आवास पर होनी थी, लेकिन गहलोत के वफादार कई विधायक बैठक में नहीं आए. उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक की और फिर वहां से वे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से मिलने चले गए.
कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि गहलोत के वफादार 82 विधायक अपनी अगली कार्रवाई के बारे में फैसला करने के लिए एक और बैठक कर सकते हैं. उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि जो 2020 में राजस्थान में राजनीतिक संकट के दौरान कांग्रेस सरकार के साथ खड़ा हुआ वही अगला मुख्यमंत्री हो.
जुलाई 2020 में पायलट और पार्टी के 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी. राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 108 विधायक हैं. इसी क्रम में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ गहन मंत्रणा की. माना जा रहा है कि कमलनाथ के गहलोत से अच्छे रिश्ते हैं और वह संकट को सुलझाने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं.