राजस्थान उपचुनाव: 72 फीसदी से अधिक हुआ मतदान, ईवीएम में कैद हुई 10 प्रत्याशियों की किस्मत

Rajasthan by-election: more than 72 percent voting, fate of 10 candidates imprisoned in EVM
Rajasthan by-election: more than 72 percent voting, fate of 10 candidates imprisoned in EVM
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जयपुर। राजस्थान के चूरू जिले में सरदारशहर विधानसभा सीट पर उपचुनाव सोमवार को संपन्न हुआ। उपचुनाव में 72 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने वोट डाले। निर्वाचन आयोग के एक प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि सरदारशहर विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव में कुल मिलाकर 72.35 प्रतिशत मतदान हुआ है। चुनाव के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। 295 मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण मतदान हुआ। किसी भी प्रकार के विवाद या ईवीएम में गड़बड़ी की खबर सामने नहीं आई है। 8 दिसंबर को मतगणना की जाएगी।

ईवीएम में कैद हुई 10 प्रत्याशियों की किस्मत

सरदारशहर विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव में 10 प्रत्याशी मैदान में हैं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अशोक कुमार, कांग्रेस के प्रत्याशी अनिल कुमार शर्मा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांवरमल मेघवाल, इंडियन पीपुल्स ग्रीन पार्टी के परमाना राम, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के लालचंद चुनावी मैदान में हैं। उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी जमकर ताकत झोंकी है। निर्दलीय प्रत्याशियों में विजय पाल सिंह श्योराण, सुभाष चंद्र, उमेश साहू, प्रेम सिंह और सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित शामिल हैं।

इस वजह से हो रहा है उपचुनाव

चूरू की सरदारशहर विधानसभा सीट पर लंबे समय से कांग्रेस का कब्जा रहा है। कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा का 77 साल की उम्र में अक्टूबर 2022 में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। वो सात बार इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे थे। जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव के लिए घोषणा की थी।

पुराना रिकॉर्ड बरकरार रखना चाहेगी कांग्रेस

वर्तमान में 200 सीट वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 107, बीजेपी के 71 और 13 निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज कर अपने पुराने रिकॉर्ड को बरकरार रखना चाहती है। कांग्रेस की तरफ से 7 बार इसी सीट से विधायक रहे भंवर लाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा को मौका दिया गया है। कांग्रेस के लिए ये उपचुनाव लिटमस टेस्ट के समान है। जबकि भाजपा उपचुनाव में जीत के साथ 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जीत के साथ आगाज करना चाहती है। निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या अधिक होने से हार-जीत का अनुमान लगा पानी भी मुश्किल है। 8 दिसंबर को मतगणना के साथ ही साफ़ हो पाएगा कि कांग्रेस अपने पुराने रिकॉर्ड को बरकरार रखने में कामयाब हो पाएगी या भाजपा उपचुनाव में जीत के साथ 2023 विधानसभा चुनाव के लिए बढ़त के साथ बिगुल फूंकेगी।