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जयपुर। गहलोत सरकार अकाउंटिंग सिस्टम में बड़े बदलाव करने के लिए ‘राजस्थान अकाउंटिंग सिस्टम अमेंडमेंट बिल 2023’ विधानसभा सदन में बजट सत्र के आगामी दिनों में लाने जाने जा रही है। यह विधेयक पास ही प्रदेश के सभी ट्रेजरी और सब ट्रेजरी ऑफिस बंद कर दिए जाएंगे। इनकी जगह सिंगल ई-ट्रेजरी काम करेगी। मौजूदा समय में हर जिले में ट्रेजरी ऑफिस हैं। तहसील लेवल पर सब ट्रेजरी ऑफिस भी हैं। इनमें करीब 3000 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी काम कर रहे हैं।
8.50 लाख रिटायर्ड कर्मचारियों, 93 लाख की सोशल सिक्योरिटी पेंशन बनती है
राज्य सरकार के करीब 8.50 लाख रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन और 93 लाख सामाजिक सुरक्षा पेंशनर्स का भुगतान इन्हीं ट्रेजरी ऑफिसों से होता है। अलग-अलग सरकारी डिपार्टमेंट की ओर से भेजे गए बिलों का वेरिफिकेशन करने के बाद फाइनल पेमेंट का प्रोसेस भी इन्हीं ट्रेजरी ऑफिसेज के जरिए ही होता है। फाइनेंस डिपार्टमेंट लेवल पर पहले भी ट्रेजरी और सब ट्रेजरी सिस्टम को खत्म कर नया पे एंड अकाउंटिंग सिस्टम लाया गया था, लेकिन सीएजी ने उस पर रोक लगा दी थी। साथ ही कहा था कि यह सिस्टम संविधान के डीपीसी एक्ट 1971 के प्रोविजन के खिलाफ है।
बीजेपी करेगी विधानसभा सदन में विरोध
बीजेपी ट्रेजरी सिस्टम को खत्म करने के लिए लाए जाने वाले बिल का विधानसभा सदन में विरोध कर इसे मुद्दा बनाएगी। बीजेपी चाहती है कि ट्रेजरी सिस्टम बनाए रखा जाए। आरोप है कि नया अकाउंटिंग सिस्टम खामियों से भरा है, उसमें चेक एंड बैलेंस सिस्टम खत्म हो जाएगा।
जनता का फीडबैक ट्रेजरी सिस्टम बनाए रखने के पक्ष में है : कटारिया
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि ‘बजट पर बहस के दौरान बीजेपी सदन में इस मुद्दे को उठाएगी। हमारे पास जनता से जो फीडबैक आ रहा है, वह ट्रेजरी सिस्टम को बनाए रखने के पक्ष में है। मैं इसे लेकर सरकार को पत्र भी लिख चुका हूं।’
चेक एंड बैलेंस सिस्टम ही खत्म हो जाएगा
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ बोले- ‘जो नया अकाउंटिंग सिस्टम कांग्रेस सरकार लाना चाहती है वह कई खामियों से भरा हुआ है। उससे चेक एंड बैलेंस सिस्टम ही खत्म हो जाएगा। जब सीएजी पहले ही इस पर रोक लगा चुके और ट्रेजरी बंद करने से मना कर चुके हैं, तो सरकार इसे क्यों खत्म करना चाहती है।’
क्या प्रदेश का हर पेंशनर जयपुर जाकर अपनी समस्या बताएगा ?
पेंशनर समाज के अध्यक्ष किशन शर्मा ने कहा कि अभी कोई समस्या आती है तो पेंशनर तहसील लेवल पर सब ट्रेजरी में जाकर अपनी पेंशन संबंधी समस्या का सॉल्यूशन करवा लेता है, लेकिन जब सिस्टम सेंट्रलाइज कर ई-ट्रेजरी के जरिए लागू कर दिया जाएगा, तो क्या प्रदेश का हर पेंशनर परेशानी में जयपुर जाकर अपनी समस्या बताएगा। बुजुर्ग और गरीब वर्ग के लोगों के पास ऑनलाइन शिकायत के संसाधन तक उपलब्ध नहीं हैं।
80 से ज्यादा जनप्रतिनिधि कर चुके विरोध
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के 80 से ज्यादा विधायक, सांसद और जनप्रतिनिधि ट्रेजरी सिस्टम को बंद करने के खिलाफ सरकार को पत्र लिख चुके हैं। इनमें सरकार के मंत्री, बोर्ड चेयरमैन, सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक शामिल हैं। बीजेपी ने बजट सत्र में इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।