राजस्थान में खाद को लेकर आई बड़ी खबर, विक्रेताओं की बढी मुश्किल

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जयपुर. किसानों के लिए डीएपी खाद की सप्लाई कम होने से खाद विक्रेताओं की मुश्किलें बढ़ गई है। इससे अब हरियाणा के खाद विक्रेता राजस्थान के किसानों को खाद नहीं बेच सकेंगे। इसका विभाग कि ओर से सभी खाद विक्रेताओं को सख्त आदेश दिया हुआ है। आदेशों की अवहेलना पर लाइसेंस रद करने का प्रावधान है। लेकिन यहां स्थानीय किसानों को ही डिमांड के अनुरूप डीएपी खाद नहीं मिल रहा है। तर्क दिया जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से कंपनियां बहुत डीएपी खरीद रही हैं। केंद्र सरकार ने बिक्री रेट निर्धारित कर दिए। इससे बचत के आंकलन पर कंपनी डीएपी खरीद में रुचि नहीं ले रही है। खाद विक्रेताओं की माने तो उन्हें कंपनियों द्वारा एक बार में डिमांड से तिहाई खाद भी उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है।

इस बार बेमौसम हुई बरसात की वजह से समूचे रकबे में बिजाई होगी। कृषि विभाग की माने तो नांगल चौधरी में गत वर्ष की तुलना में करीब तीन हजार हेक्टेयर से भी अधिक सरसों की बिजाई का रकबा बढ़ेगा। किसान चने की फसल को भी अधिक तव्वजो देगें। गेंहू का रकबा घटने की पूरी संभावना है। बरसात से जमीन में बिजाई के लिए पर्याप्त नमी होने से अगले सप्ताह सरसों की बिजाई की पूरी संभावना है। बीस अक्टूबर तक सरसों की बिजाई होनी है। इससे सरसों बिजाई की तैयारी में जुटे किसानों की वजह डीएपी खाद की डिमांड बढ़ गई है। लेकिन खाद विक्रेताओं के पास डिमांड के अनुरूप खाद उपलब्ध नही हो पा रहा है।

राजस्थान के किसानों को खाद बिक्री पर सख्त रोक लगाने से डीएपी खाद की कालाबाजारी बढ़ने की संभावना तेज हो गई है। चूंकि बार्डर के साथ लगते राजस्थान के करीब बीस से अधिक गावों के किसान हरियाणा से ही खाद-बीज की खरीदारी को तव्वजो देते हैं। वर्जन— विभागीय नियमों के मुताबिक हरियाणा कोटे के किसानों का खाद विक्रेता राजस्थान के किसानों को नहीं बेच सकता है। हमारे यहां ही एक जिले का खाद विक्रेता दूसरे जिले के खाद विक्रेता को खाद नहीं बेच सकता है। ऐसा करने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। डीएपी पर निर्धारित रेट से अधिक पैसा वसूलने वाले खाद विक्रेता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।