दिल्ली से जयपुर पहुंचे गहलोत! बड़े फेरबदल की आशंका

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जयपुर। पिछले महीने पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन, अब इसकी आंच राजस्थान कांग्रेस के भीतर लहर रही है। हालांकि, पार्टी आलाकमानों का कहना है कि सबकुछ ठीक है। लेकिन, जिस तरह के उठापटक फिर से देखने को मिल रहे हैं। उससे ये संकेत मिलने लगा है कि अब फिर से राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ने वाली है। यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार भी लंबे अरसे से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। अब संभावना है कि नवंबर महीने में इसका विस्तार किया जा सकता है।

दरअसल, गहलोत सरकार को पायलट खेमे की वजह से डर है। उन्हें ऐसा लग रहा है कि यदि वो अपने खेमे को विस्तार में जगह देंगे तो पायलट गुट सक्रिय होकर बगावती तेवर अख्तियार कर सकता है, जो पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान सचिन पायलट खेमे के करीब डेढ़ दर्जन विधायकों के दिल्ली में डेरा डालने के बाद दिखा था। वहीं, यदि गहलोत पायलट खेमे के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देते हैं तो फिर उनके समर्थक खेमे उनसे नाराज हो सकते हैं। क्योंकि, इन खेमों ने ही पायलट बगावत के समय गहलोत की सरकार बचाने में समर्थन दिया था।

लेकिन, पंजाब में बदलवा के बाद एक साल से अधिक समय से भीतर-ही-भीतर सही वक्त का इंतजार करने वाले पायलट खेमा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुराक मिल गया है। यही वजह है कि राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अब अपने आलाकमान को खुद की अहमियत को बताने और कमान में परिवर्तन का बिगुल बजाने के लिए सितंबर के दूसरे सप्ताह बाद से दो बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं। पहली मुलाकात 17 सितंबर को हुई है। गौरतलब है कि इसी दिन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने भी दिल्ली में आलाकमान से मुलाकात की है।

वहीं, मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सीएम गहलोत ने दिल्ली आकर अपने आलाकमान प्रियंका-राहुल गांधी से मुलाकात की है। अब वो जयपुर लौट चुके हैं। अब गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार पर काम करना शुरू कर दिया है। अभी नौ पद खाली पड़े हुए हैं। जबकि एक मंत्री के पास कई पद हैं।