राजस्थान के 13 लाख बीएड डिग्री धारकों को हाई कोर्ट का झटका, जारी किया यह आदेश

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जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) में 26 सितंबर को राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (REET) आयोजित हो रही है. इस परीक्षा से पहले इसमें शामिल हो रहे करीब साढ़े 13 लाख बीएड डिग्री धारकों को हाई कोर्ट (High Court) से झटका लगा है. हाई कोर्ट ने बीते शुक्रवार को बीएड (B.Ed) डिग्री धारकों का लेवल-1 का परिणाम जारी करने पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस संगीत लोढ़ा की खंडपीठ ने राजेन्द्र सिंह चोटिया व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह रोक लगाई है. हालांकि कोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों को परीक्षा के लेवल-1 में शामिल होने से रोकने की मांग को नहीं माना है.

हाई कोर्ट में एनसीटीई के 28 जून 2018 के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई गई, जिसमें एनसीटीई ने बीएड डिग्री धारकों को लेवल-1 के लिए पात्र माना था. इसे चुनौती देते हुए बीएसटीसी अभ्यर्थियों की ओर से अधिवक्ता विज्ञान शाह व अन्य अधिवक्ताओं की ओर से कहा गया कि एनसीटीई का नोटिफिकेशन पूरी तरह से गलत है. नोटिफिकेशन में कहा गया है कि बीएड धारक को नियुक्ति के बाद अगले 2 साल में एक छह माह का ब्रिज कोर्स करना होगा, लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल ब्रिज कोर्स करने से बीएड धारक वे योग्यता अर्जित कर सकते है, जो बीएसटीसी के अभ्यर्थी 2 साल में हासिल करते हैं.

बीएड डिग्री धारकों के पास उच्च योग्यता
अपनी बहस में बीएड धारकों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रघुनंदन शर्मा व अन्य अधिवक्ताओं ने कहा कि बीएड डिग्री धारक बीएसटीसी से उच्च योग्यता रखते हैं. ऐसे में उच्च योग्यता वालों को कैसे एक ही प्रकृति की परीक्षा में शामिल होने से रोका जा सकता है. वहीं एनसीटीई का गठन एक्ट के तहत हुआ है. वह एकेडमिक अथॉरिटी है. ऐसे में उसी के नियम रीट भर्ती परीक्षा में लागू होने चाहिए. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने एनसीटीई का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद भी रीट विज्ञप्ति में लेवल-1 में बीएड धारकों को शामिल नहीं किया था, जो पूरी तरह से गलत था. गौरतलब है कि 5 फरवरी 2021 को हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश से ही बीएड धारकों को लेवल-1 में फॉर्म भरने की अनुमति दी गई थी.