राजस्थान में 2 नवंबर को आएगा उपचुनाव का रिजल्ट, इन दिग्गजों को लगेगा झटका

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जयपुर। राजस्थान के धरियावद (Dhariyawad By election) और वल्लभ नगर ( Vallabhnagar by-election) विधानसभा उपचुनाव के नतीजे 2 नवम्बर को आएंगे। इन नतीजों पर भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी, सांसद दीया कुमारी, सीपी जोशी, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने जोर शोर से प्रचार किया था। उधर कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताने के लिए खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनावी मैदान में उतरे। इसके अलावा प्रदेश प्रभारी अजय माकन, प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, अर्जुन बामणिया, प्रमोद जैन भाया, उदयलाल आंजना, अशोक चांदणा सहित कई विधायकों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था। फिलहाल प्रत्याशियों की किस्मत अब ईवीएम में बंद हो चुकी है। चुनाव परिणामों से दोनों ही पार्टियों के दिग्गज नेताओं की साख जुड़ी हुी है।

इन दिग्गज नेताओं ने बनाई उपचुनाव प्रचार से दूरी
केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों सहित प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेताओं ने उपचुनाव प्रचार के लिए धरियावद और वल्लभ नगर में ही डेरा जमा लिया था , लेकिन स्टार प्रचारक होने के बावजूद कुछ वरिष्ठ नेता चुनाव प्रचार से दूर रहे। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र सिंह यादव, राज्यसभा सांसद ओमप्रकाश माथुर और पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने उपचुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी। वे एक बार भी धरियावद या वल्लभ नगर नहीं गए। इधर कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में उन्हीं क्षेत्रों में रहकर प्रचार में जुटे रहे , लेकिन पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट केवल 8 अक्टूबर को ही धरियावद और वल्लभ नगर की चुनावी सभाओं में शामिल हुए। बाकि दिनों में पायलट उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, टोंक और जोधपुर दोरों में व्यस्त रहे।

केन्द्र की नीतियों और प्रदेश में बढ रहे अपराधों को भाजपा ने बनाया मुद्दा, कांग्रेस अपनी उपलब्धियों के सहारे चुनाव मैदान में
उल्लेखनीय है कि भाजपा नेताओं ने केन्द्र सरकार की नीतियों को उपचुनाव में मुद्दा बनाया था। साथ ही प्रदेश में लगातार बढ रहे अपराधों को लेकर भी प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया। राजस्थान में लगातार हो रही हत्या, लूट और दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर भाजपा ने प्रदेश कांग्रेस सरकार को शासन करने में विफल बताया है । साथ ही इसी आधार पर लोगों से समर्थन मांगा। उधर कांग्रेस नेताओं ने बीते तीन साल में किए गए कार्यों को गिनाकर जनता से वोट मांगे।

कांग्रेस ने केन्द्र सरकार को महंगाई पर घेरा
मुख्यमंत्री अपने भाषणों में कहते रहे कि राजस्थान सरकार ने पहले मुफ्त दवा और जांच की सुविधाएं दी थी। अब चिंरजीवी योजना के तहत सभी प्रदेशवासियों का 5 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त कर दिया है। बीते एक साल में 123 कॉलेज खोली। साथ ही प्रशासन गांव और शहरों के संघ अभियान चलाकर प्रदेश की जनता को बड़ी राहत दी है। इस अभियान में वे 22 विभागों से जुड़े कार्य एक ही स्थान पर करा सकते हैं। महंगाई के मुद्दे को लेकर भी कांग्रेस ने केन्द्र सरकार को घेरा।

उल्लेखनीय है सीएम गहलोत खुद अपने भाषण में कह चुके हैं कि उपचुनाव में हार जीत से सरकार पर कोई असर नहीं होगा, लेकिन उन्होंने खुद सरकार के काम गिनाकर दोनों विधानसभा में जनता से वोट मांगे है। ऐसे में समझा जा सकता है कि उपचुनाव से सरकार की साख जुड़ी है। बसपा के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने और 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन के कारण राजस्थान में कांग्रेस सरकार पहले से ही बहुमत में है। ऐसे में इन दोनों विधानसभा उपचुनावों में राजस्थान सरकार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है।

उपचुनाव में हार जीत से प्रदेश में यह संदेश जाएगा कि जनता सरकार के साथ है या नहीं। अगर दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत होती है तो सरकार अपनी उपलब्धियों पर पीठ थपथपाएगी। अगर भाजपा की जीत होती है तो प्रदेश सरकार की कार्यकुशलता पर सवाल खड़े होंगे।