मकर संक्रांति कब है 14 या 15 जनवरी? ये है ज्योतिष के जानकारों की राय

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सनातन धर्म में मकर संक्रांति का खास महत्व है। मकर राशि में जब सूर्य ग्रह प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं।

गीता में भी कहा गया है कि इस दौरान जो लोग शरीर का त्याग करते हैं, उन्हें दोबारा मनुष्य का शरीर धारण कर मृत्यु लोक में नहीं आना होता है।

मसलन ये कि उन्हें मृत्युलोक में बारंबार आने से मुक्ति मिल जाती है। देशभर में मकर संक्रांति का त्यौहार हर साल पौष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व ज्यादा खास रहने वाला है। क्योंकि, मकर संक्रांति के दिन सूर्य और शनि एक साथ मकर राशि में विराजमान होंगे।

कब है मकर संक्रांति ?

इस बार तिथि को लेकर काफी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग कहा है कि संक्रांति 14 को और कुछ लोग 15 जनवरी को होने की बात कह रहे है। ज्योतिष के जानकार पंडित सुजीत कुमार के मुताबिक मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही है। सूर्य मकर में 14 को दोपहर 2:27 पर आएंगे। मकर संक्रांति मुहूर्त विचार में मकर में सूर्य प्रवेश के सूर्यास्त के 16 घटी पहले और 16 घटी बाद पुण्यकाल होता इसलिए मकर संक्रांत 14 की प्रातःकाल सुबह 07 बजटकर 15 मिनट से माना जायेगा। यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। इसलिए यहां उदय तिथि मान्य नहीं होती। कहीं कहीं 15 को भी मनायी जाएगी।

14 या 15 जनवरी , क्या है उत्तम तिथि?

हालांकि कुछ ज्योतिषों का मानना है कि काफी समय बाद इस साल 14 जनवरी और 15 जनवरी दोनों ही दिन शुभ मुहूर्त बन रहा है। लेकिन, उत्तम तिथि 14 जनवरी ही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान के बाद सबसे पहले सूर्य सहित नवग्रहों की पूजा और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद दान आरंभ करना चाहिए।

मकर संक्रांति और गंगा स्नान

इस दिन गंगा नहाने या गंगासागर में स्नान करने की पुरानी परंपरा है। मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति दिन गंगा स्नान करने से सात जन्मों के पाप भी धुल जाते हैं। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान से जुड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण पौराणिक घटना है।

ऐसा कहा जाता है कि गंगा मां ने राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था। मकर संक्रांति पर गंगा नदी समेत अन्यत्र नदी, तीर्थ ,सरोवर, सागर आदि में स्नान करने से श्रेष्ठ फल मिलता है।शास्त्रों के मुताबिक, मकर संक्रान्ति के दिन देवता धरती पर अवतरित होते हैं और आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है।