मध्य प्रदेश के इस जिले से मिलता है शिवराज सरकार को सबसे ज्‍यादा राजस्व, फिर भी हाल बदहाल

Shivraj government gets the maximum revenue from this district of Madhya Pradesh, yet the condition is bad
Shivraj government gets the maximum revenue from this district of Madhya Pradesh, yet the condition is bad
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सिंगरौली (Singrauli) । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की ऊर्जाधानी के नाम से विख्यात सिंगरौली वैसे तो आज के दौर में यह अपनी पहचान बिजली (electricity), कोयला (coal),सोना उत्पादन (gold production) के रूप में बना चुकी है. इस इलाके में खनिज संपदा का भंडार है. यहां बड़ी मात्रा में बिजली, कोयला व सोने का उत्पादन हो रहा है. यही वजह है कि प्रदेश को सबसे अधिक यहां से राजस्व प्राप्त होता है . पहले यह इलाका कालापानी की सजा के रूप में विख्यात था. क्या है इसके पीछे की कहानी.

यहां मिलती थी कभी काला पानी की सजा
बताया जाता है कि सिंगरौली को मूल रूप से श्रृंगवल्ली कहा जाता था. जिसका नाम ऋषि श्रृंगी के नाम पर रखा गया था. ऋषि श्रृंगी प्राचीन भारत के रामायण युग के प्रसिद्ध हिंदू संत थे. स्वतंत्रता-पूर्व काल में सिंगरौली रियासत रीवा स्टेट से संबंधित थे. यह घने जंगलों और दुर्गम इलाकों से आच्छादित राज्य का सबसे दुर्गम क्षेत्र था. जिससे पार करना लगभग असंभव हो गया था. इसी कारण से रीवा रियासत के राजाओं ने सिंगरौली को खुली जेल के रूप में इस्तेमाल किया ताकि वे गलत नागरिकों और अधिकारियों को बंदी बना सकें. रीवा रियासत के राजा जब भी किसी को कालापानी की सजा का फैसला करते थे तो उसे बंदी बनाकर इस इलाके में भेज देते थे. यही वजह है कि इस इलाके को कालापानी की सजा के रूप भी जाना जाता है .

एशिया की बड़ी से बड़ी बिजली कंपनियों के पावर हाउस और इन पावर प्लांट के सामने बौने से लगते बदहाल गांव और अंधेरी बस्तियां. ये तस्वीर है उर्जाधानी सिंगरौली की जहां की बिजली से देश और विदेश भी रोशन होता है लेकिन फिर भी देश के सबसे पिछडे इलाकों में से एक है. पड़ोस के जिले सीधी की बेटी नेहा विश्वकर्मा की शादी वर्ष 2018 में उर्जाधानी सिंगरौली जिले के चितरंगी क्षेत्र के नौगई -2 में हुई, लेकिन उसका ज्यादातर समय मायका में ही बीत रहा है. गांव की बेटी निशा भी ब्याह के बाद ससुराल गई तो मायका कम ही आई है. यह दो नाम महज बानगी हैं. हकीकत में गांव की ज्यादातर बहुएं ससुराल के बजाए मायका या फिर दूसरे स्थानों में रह रही हैं. बेटियां भी मायका कम ही लौटती हैं. वजह गांव में अब तक बिजली व्यवस्था नहीं होना है.

सुसराल में बिजली नहीं होने के चलते मायका में रह रही नेहा का कहना है कि गांव में 200 घरों की आबादी है, लेकिन बिजली व सड़क का उचित बंदोबस्त नहीं है. यही वजह है कि चाह कर भी वह व उसके जैसी कई दूसरी बहुएं ससुराल में नहीं रह पा रही हैं. उनके जैसा हाल गांव की अन्य बेटियों का भी है, जो ब्याह के बाद समस्या के मद्देनजर मायका नहीं आ पाती हैं. पूरा गांव बिना बिजली के परेशान है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. गांव में पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है.

बिजली का खंभा तो लगा पर बिजली नहीं मिला
गांव में दो वर्ष पहले बिजली आपूर्ति के लिए व्यवस्था बनाए जाने के मद्देनजर खंभा तो लगा दिया गया, लेकिन अभी तक तार नहीं बिछाया जा सका है. कुछ महीने पहले ग्रामीणों की ओर से हाय तौबा मचाई गई तो वहां ट्रांसफार्मर भी लगा दिया गया, लेकिन अभी तक न ही तार बिछाया गया है और न ही बिजली आपूर्ति शुरू की जा सकी है. नतीजा 42 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान में लोग गर्मी से बिलबिला रहे हैं.

बेटों की नहीं हो रही शादी
यहां कोई बेटी की शादी नहीं करना चाह रहा है. यही वजह है कि गांव के लगभग हर घर में एक न एक शादी योग्य बेटा कुंवारा है. गांव में बिजली व सड़क की बदहाल स्थिति देखकर वहां कोई अपनी बेटी का रिश्ता नहीं करना चाहता है. वहीं बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सिंगरौली पूर्व में योजना के तहत बिजली आपूर्ति व्यवस्था बनाने के लिए कार्य शुरू किया गया था, लेकिन कार्य करने वाली एजेंसी बीच में ही काम छोड़कर भाग गई. बाद में योजना की बंद हो गई. अब नए सिरे से प्रयास किया जा रहा है. ऐसे कुछ और टोला-मजरा बाकी है.