छत्तीसगढ़ में चौकाने वाले आंकड़े: नहीं थम रहा जवानों की आत्महत्या का सिलसिला

Shocking figures in Chhattisgarh: The process of suicide of soldiers is not stopping
Shocking figures in Chhattisgarh: The process of suicide of soldiers is not stopping
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कोंडागांव: वानों की आत्महत्या का सिलसिला थमता नज़र नही आ रहा है। गृह मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि एक दशक में छत्तीसगढ़ में आत्महत्या करने वाले जवानों की संख्या 69 है जिसमें केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की संख्या 46 है। वहीं पिछले तीन माह में ही बस्तर संभाग में आत्महत्या करने वाले जवानों की संख्या 7 हो गई है, इनमें ज्यादातर मामलों में पारिवारिक विवाद और तनाव की वजह सामने आती है। रविवार को जिले के धनोरा थाना में पदस्थ सहायक आरक्षक साजेंद्र ठाकुर (33) ने अपनी ही सर्विस रायफल से गोली मारकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। आत्महत्या का कारण अज्ञात है पर पुलिस सूत्रों के मुताबिक जवान दो तीन दिनों से काफी तनाव में था। बीती रात उसके परिजन भी उससे मिलने आए थे लेकिन देर रात उसके आत्महत्या कर लेने से साथी जवान हतप्रभ है।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, सहायक आरक्षक साजेंद्र ठाकुर निवासी बम्हनी थाना परिसर में ही रविवार की रात संतरी ड्यूटी पर तैनात था। रात तकरीबन 9.30 बजे आरक्षक की मां व भतीजा उससे मिलने पहुंचे थे। इसी बीच दोनों में किसी बात को लेकर विवाद हुआ और मां व भतीजा के थाने परिसर से निकलते ही रात लगभग 10 बजे उसने अपने सर्विस राइफल से गले के पास गोली मार ली, जिससे उसकी मौके पर ही उसकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि मृतक आरक्षक का पिछले 10 माह से धनोरा में ही पदस्थ था।

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में ज्यादा आत्महत्याएं: केंद्रीय गृहमंत्रालय के आंकड़े बताते है कि केंद्रीय बलों में जवानों के आत्महत्याओं के ज्यादा मामले सामने आए है। वर्ष 2015 से 2021 तक 7 वर्षो में पूरे देश मे जवानों की शहादत से ढाई गुना अधिक जवानों ने आत्महत्या की है। इस दौरान जहां सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ,असम राइफल्स, आईटीबीपी और एसएसबी के 821 जवानों ने आत्महत्या की है जबकि इस दौरान देश के विभिन्न भागों में हुई मुठभेड़ों में 323 अर्धसैनिक जवानों ने अपनी शहादत दी है। इन सात वर्षों में सीआरपीएफ के 218 जवान शहीद हुए है। वहीं 292 जवानों ने आत्महत्या की है। यह आंकड़े चिंताजनक हैं। इस समस्या से निपटने के लिए गम्भीर प्रयास किये जाने की जरूरत है ।

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के आंकड़े
वर्ष 2015 से 2021

क्रमांक बल का नाम आत्महत्या शहादत

1 सीआरपीएफ 292 218

2 बीएसएफ 222 43

3 सीआईएसएफ 123 00

4 एआर 63 53

5 आईटीबीपी 55 00

6 एसएसवी 66 09

छत्तीसगढ़ में आत्महत्या करने वाले जवान
14 नवम्बर को कोंडागांव जिले के धनोरा थाने में पदस्थ जवान साजेन्द्र ठाकुर

3 नवम्बर को नारायणपुर के कोहकमेटा में पदस्थ जवान अरुण उइके

5 अक्टूबर के बीजापुर के धनोरा में पदस्थ जवान सुनील कुमार

16 अक्टूबर को मोहला-मानपुर में जवान बेदराम

10 अक्टूबर को गरियाबंद के मैनपुर में जवान दिनेश कोसले

22 अप्रैल को कांकेर के चारामा के जवान सतीश उइके

29 सितम्बर को नारायणपुर में एसआई सचिन ढुल

अवसाद बनता है आत्महत्या का कारण…
फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ सुरीबाबू का कहना है जवानों की आत्महत्याओ के अधिकांश मामलों में यह देखने मे आता है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में जवानों की तैनाती होने के कारण वे अपने परिवार से दूर रहते है इस कारण उनमें अवसाद घर कर जाता है हालांकि अब जवानों को पर्याप्त छुट्टियां भी मिलती है बावजूद इसके अब जवानों को मोबाइल की सुविधा मिलने के कारण परिवार की हर छोटी-छोटी बातें जवानों तक पहुंचती है इससे भी कई बार तनाव की स्थिति बनती है और यह तनाव भी आत्महत्या का कारण बनता है।