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देहरादून: कोविड से प्रभावित साल 2020 में उत्तराखंड में अपराधों में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। महिला अपराधों के मामले में भी उत्तराखंड राष्ट्रीय औसत से आगे है। नेशनल रिकॉर्ड क्राइम ब्यूरो ने रिपोर्ट वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में साल 2020 के दौरान आईपीसी के दर्ज होने वाले मुकदमों में तो मामूली बढ़ोतरी दर्ज हुई, जबकि राज्य सरकार के कानूनों के तहत दर्ज मुकदमों की संख्या में दो गुना से अधिक बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
इसमें एक बड़ी संख्या कोविड के दौरान दर्ज मुकदमों की भी है। साल 2019 में जहां कुल दर्ज मुकदमों की संख्या 28,268 थी, जो पिछले साल 57,332 हो गई थी। चार्जशीट फाइल करने के मामले में उत्तराखंड का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। महिला उत्पीड़न में उत्तराखंड राष्ट्रीय औसत से आगे: रिपोर्ट के अनुसार महिला उपराध के मामलें में उत्तराखंड का रिकॉर्ड ज्यादा खराब नजर आ रहा है।
राज्य में बीते साल यौन शोषण के 455 मामले सामने आए, इस मामले में उत्तराखंड का औसत 8.2 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इसी तरह राज्य में बलात्कार के 487 केस दर्ज हुए, बलात्कार के मामलों में भी उत्तराखंड का औसत राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है। साल 2020 के दौरान शीलभंग के 477 और दहेज हत्या के 65 मामले दर्ज किए गए।
2020 में दर्ज प्रमुख अपराध
हत्या – 160, सड़क हादसे में मौत – 394, दहेज हत्या – 65, बलात्कार – 487
धोखाधड़ी तीन गुना से अधिक
राष्ट्रीय स्तर पर धोखाधड़ी के केसों का औसत 1.8 % रहा, जबकि उत्तराखंड राज्य में यह आंकड़ा पांच प्रतिशत तक रहा। उत्तराखंड में धोखाधड़ी के 573 केस दर्ज किए गए, इसके अलावा एटीएम से ठगी के भी 40 मुकदमें दर्ज हुए।
मुकदमों में बढ़ोतरी यानी अच्छी रिपोर्टिंग
एक्टिविस्ट ज्ञानेंद्र कुमार के मुताबिक, महिला अपराध में बढ़ोत्तरी कहना सिक्के का एक पहलू को देखना होगा। महिलाएं अपने अधिकारों के लिए प्रति जागरुक हुई है, इस कारण अब ज्यादा केस दर्ज हो रहे हैं। पहले ऐसे मामले रिपोर्ट ही नहीं होते थे। ज्ञानेंद्र कुमार के मुताबिक ज्यादातर मामले विवाहेत्तर संबंधों के सामने आ रहे हैं।
पुलिस कर रही अच्छा काम: डीजीपी
ताजा रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखंउ के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि साल 2020 में स्पेशल लोकल लॉज के तहत दर्ज होने वाले मामले बढ़े हैं। इसमें ज्यादातर एक्साइज, आर्म्स, ड्रग्स के मामले आते हैं। जो ज्यादातर पुलिस द्वारा प्रिवेंटिव एक्शन के तौर पर दर्ज किए जाते हैं। शेष सभी तरह के अपराधों में उत्तराखंड उत्तर पूव के कुछ राज्यों को छोड़कर काफी नीचे है। दूसरी तरफ हमारे यहां पुलिस तक आने वाली ज्यादातर शिकायतों को दर्ज किया जाता है। आंकड़े इससे भी प्रभावित होते हैं।