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भोपाल। मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कुछ पूर्व स्वयंसेवकों ने एक नया राजनीतिक दल बनाने का ऐलान किया है। इस दल का नाम ‘जनहित पार्टी’ रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस कदम से राजनीतिक दलों पर शासन में सुधार के लिए दबाव बढ़ेगा।
आरएसएस के पूर्व प्रचारक अभय जैन ((60)) ने राजधानी भोपाल के पास मिसरोद में अपने पूर्व सहयोगियों के साथ एक बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “हमने (संघ के कुछ पूर्व प्रचारकों ने) ‘जनहित पार्टी’ का गठन किया है क्योंकि सभी राजनीतिक दलों की संस्कृति लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है और सभी लोकतंत्र की कसौटी पर विफल रहे हैं।”
भाजपा के वोटों में सेंध लगाने का दावा
अभय जैन ने कहा कि हम आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी भी खड़ा करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि अभी तक रजिस्टर्ड भी नहीं हुई उनकी पार्टी सत्तारूढ़ भाजपा के वोटों में सेंध लगाएगी। उन्होंने कहा कि हम 2018 के मध्य प्रदेश चुनाव में वहां नहीं थे जब भाजपा हार गई थी, तब भाजपा के वोट कांग्रेस में शिफ्ट हो गए थे, जो अच्छी स्थिति में नहीं है।
मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के कामकाज से लोग संतुष्ट नहीं : जैन
जैन ने कहा कि मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के कामकाज से लोग संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब हम राजनीतिक मंच पर आएंगे तो क्या होगा? जो लोग भाजपा से नाखुश हैं, लेकिन हिंदू मानसिकता रखते हैं, वे हमें पसंद करेंगे। अगर भाजपा पांच वोट खो देती है, तो राजनीतिक अंकगणित के अनुसार कांग्रेस को उनका फायदा नहीं होगा।” जैन ने कहा कि हम इतना जानते हैं कि हमारे कदम से राजनीतिक दलों पर अपने शासन में सुधार करने का दबाव बढ़ेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वे मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं? जैन ने कहा कि वे चुनाव में उतारे जाने वाले उम्मीदवारों पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा, “हमारा राजनीतिक लक्ष्य अदूरदर्शी नहीं है। हमारा लक्ष्य बड़ा है।”
200 से अधिक लोग हुए बैठक में शामिल
उन्होंने कहा, फिलहाल राजनीतिक संगठन मध्य प्रदेश पर ध्यान केंद्रित करेगा, लेकिन जरूरत के हिसाब से अपने फुटप्रिंट का विस्तार करने की योजना बना रहा है। बाद में, जैन ने बताया कि मिसरोद में उनकी बैठक में आरएसएस पृष्ठभूमि वाले झारखंड के पांच लोगों सहित 200 से अधिक लोग शामिल हुए। उन्होंने कहा कि वह 2007 तक आरएसएस के प्रचारक थे और सिक्किम में भी काम किया। उन्होंने दावा किया कि वह अब भी आरएसएस स्वयंसेवक हैं।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर और रीवा क्षेत्र के एक अन्य पूर्व प्रचारक मनीष काले (55) ने कहा कि उन्होंने भी मिसरोद की बैठक में भाग लिया था। उन्होंने कहा, “मैं 1991 से 2007 तक प्रचारक था। हम आज भी उसी विचारधारा के साथ राष्ट्र के उत्थान के लिए काम करते हैं।” वहीं, कभी संघ परिवार के संगठन भारतीय किसान संघ से जुड़े रहे रवि दत्त सिंह के मुताबिक उन्होंने भी बैठक में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इसमें भाग लेने वाले वे लोग थे जिन्होंने 2007-2008 में आरएसएस छोड़ दिया था।