हिमाचल में तेज भूकंप के झटके, घरों से बाहर निकले लोग

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हिमाचल प्रदेश में मंगलवार देर रात करीब 10:17 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके प्रदेश के अधिकतर जिलों में महसूस किए गए हैं। राजधानी शिमला सहित प्रदेश के कई क्षेत्रों में इस दौरान लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। दो से तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि भूकंप से किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं है। किन्नौर में देर रात को एक बार फिर से भूकंप के झटके लगे। बताया जाता है कि बीती रात 12 बजकर 51 मिनट पर फिर 2.8 तीव्रता के झटके किन्नौर में महसूस किए गए।

मंडी जिले में एक सरकारी इमारत में दरारें आने की सूचना है। बताया जा रहा है कि भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदू कुश क्षेत्र में जमीन के अंदर 156 किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.6 रही। भूकंप के झटके पूरे उत्तर भारत में महसूस किए गए। कांगड़ा के लंज की रजनी रानी ने कहां कि वह घर पर सोई हुई थीं। ऐसा लगा जैसे कोई उनका हिला रहा है, उठकर भूकंप के झटके महसूस होने लगे।

नगरोटा सूरियां की पंचायत मसरूर के गांव सापरी निवासी सिकंदर सिंह ने बताया कि वह अपने कमरे में बिस्तर पर लेटे थे कि अचानक उन्हें झटके लगे। खिड़कियों के शीशे भी चटकने की आवाज आई। वह घबराकर बाहर की ओर भागे। बाहर उनका पालतू कुत्ता भी जोर जोर से भौंक रहा था। बैजनाथ पपरोला नगर पंचायत के वार्ड नंबर तीन की निशा शर्मा ने बताया कि वे अपने बिस्तर पर लेट कर टीवी देख रही थीं। अचानक बिस्तर जोर-जोर से हिलने लगा। इस बीच में जल्दी से बाहर निकली और परिवार के अन्य सदस्यों को भी सचेत कर दिया।

1905 के भूकंप में 20 हजार से ज्यादा गईं थीं जानें
बता दें हिमाचल भूकंप की दृष्टि से सिस्मिक जोन चार और पांच में आता है। कांगड़ा, चंबा, लाहौल, कुल्लू और मंडी भूकंप की दृष्टि से सबसे अति संवेदनशील क्षेत्र हैं। कांगड़ा में 4 अप्रैल, 1905 की अल सुबह आए 7.8 की तीव्रता वाले भूकंप में 20 हजार से ज्यादा इंसानी जानें चली गई थीं। भूकंप से एक लाख के करीब इमारतें तहस-नहस हो गई थीं, जबकि 53 हजार से ज्यादा मवेशी भी भूकंप की भेंट चढ़ गए थे।

कैसे आता है भूकंप?
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।

भूकंप की तीव्रता
रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है और यह भूकंप महसूस नहीं किए जाते। रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8,000 भूकंप दुनियाभर में रोजाना दर्ज किए जाते हैं।

इसी तरह 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते।
वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं, जो एक साल में 49,000 बार दर्ज किए जाते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन शायद ही इनसे कोई नुकसान पहुंचता है।

लाइट कैटेगरी के भूकंप 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले होते हैं जो पूरी दुनिया में एक साल में करीब 6,200 बार रिक्टर स्केल पर दर्ज किए जाते हैं। इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर के सामान हिलते नजर आते हैं। हालांकि इनसे न के बराबर ही नुकसान होता है।