3,000 साल बाद पहली बार हो रहा ऐसा चंद्रग्रहण, भूलकर भी ना करें ये गलतियां

Such a lunar eclipse is happening for the first time after 3,000 years, don't forget to make these mistakes
Such a lunar eclipse is happening for the first time after 3,000 years, don't forget to make these mistakes
इस खबर को शेयर करें

आज इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा है। चंद्र ग्रहण के बारे में सुनते ही लोगों के मन में डर का अहसास होता है। ये कोई नई बात नहीं है, 3158 साल पहले जब पहली बार चंद्र ग्रहण देखा गया था, तब भी लोग डरे थे। करीब 1,700 साल पहले चीनी भाषा की एक किताब में चंद्र ग्रहण को एक वैज्ञानिक घटना बताया गया था।

अब जानते हैं कि चंद्र ग्रहण क्या होता है?
गुरुत्वाकर्षण बल यानी ग्रेविटेशनल फोर्स की वजह से पृथ्वी और सभी दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। पृथ्वी, 365 दिनों में सूर्य का एक चक्कर लगाती है।

जबकि चंद्रमा एक प्राकृतिक उपग्रह है, जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। उसे पृथ्वी के एक चक्कर लगाने में 27 दिन लगते हैं।

सूर्य के चक्कर लगाने के दौरान कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है। इस दौरान सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने से चंद्र ग्रहण होता है।

चंद्र ग्रहण की घटना तभी होती है जब सूर्य, पृथ्‍वी और चंद्रमा एक सीध में हों, खगोलीय विज्ञान के अनुसार ये केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव होता है। इसी वजह से ज्यादातर चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन होते हैं।
चंद्र ग्रहण मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं…
पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total lunar eclipse): पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। इसके कारण पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्रमा को ढक लेती है, जिससे पूरी तरह से चंद्रमा पर अंधेरा छा जाता है।
आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial lunar Eclipse): जब पृथ्वी की परछाई चंद्रमा के पूरे भाग को ढकने की बजाय किसी एक हिस्से को ही ढके तब आंशिक चंद्र ग्रहण होता है। इस दौरान चंद्रमा के केवल एक छोटे हिस्से पर ही अंधेरा होता है।

उपछाया चंद्र ग्रहण (Penumbral lunar Eclipse): उपछाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के बाहरी भाग पर पड़ती है। इस तरह के चंद्र ग्रहण को देखना मुश्किल होता है।

कहीं पूर्ण चंद्र ग्रहण और कहीं आंशिक चंद्र ग्रहण लगने की क्या वजह है?
एक हिस्से में पूर्ण चंद्र ग्रहण और दूसरे हिस्से में आंशिक चंद्र ग्रहण लगने की मुख्य वजह चंद्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया है। ये 2 तरह की होती हैं…

पहली: प्रच्छाया (Umbra): पूर्ण चंद्र ग्रहण तब दिखाई देता है, जब देखने वाला इंसान पृथ्वी के उस हिस्से में हो जहां से चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढका नजर आता है।

दूसरी: उपछाया (Penumbra): उपछाया से देख रहे दर्शकों को आंशिक चंद्र ग्रहण ही दिखाई देता है।

चंद्र ग्रहण के दिन चंद्रमा लाल क्यों दिखाई देता है?
जब चंद्रमा पृथ्वी की प्रच्छाया में होता है, सिर्फ तभी चंद्र ग्रहण के दिन चंद्रमा देखने पर लाल दिखाई देता है। इसकी वजह यह है कि सूर्य का प्रकाश जैसे ही पृथ्वी के वायुमंडल में आता है वो अपने सात रंगों में बंट जाता हैं।

इस दौरान सबसे ज्यादा वेवलेंथ गहरे लाल रंग की होती है और सबसे कम वेवलेंथ बैगनी रंग की होती है। ऐसे में कम वेवलेंथ वाले रंग तो पृथ्वी के वायुमंडल में फैल जाते हैं, लेकिन गहरे लाल रंग वाली रोशनी चंद्रमा से टकराती है और वापस लौटकर हम तक पहुंचती है। इसीलिए चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देता है और इसे हम ब्लड मून भी कहते हैं।

एक साल में कितनी बार चंद्र ग्रहण लग सकता है?
NASA के मुताबिक ज्यादातर एक साल में 2 बार चंद्र ग्रहण होता है। किसी साल चंद्र ग्रहण लगने की संख्या 3 भी हो सकती है। सैकड़ों साल में लगने वाले कुल चंद्र ग्रहणों में से लगभग 29% चंद्र ग्रहण पूर्ण होते हैं। औसतन, किसी एक स्थान से हर 2.5 साल में पूर्ण चंद्र ग्रहण देखा जा सकता है। चंद्र ग्रहण 30 मिनट से लेकर एक घंटे के लिए लगता है।

Chandra Grahan November 2022 sutak Kaal timing in India: साल 2022 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022, मंगलवार के दिन लगने जा रहा है. साल का यह अंतिम चंद्रग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा और इसे भारत के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा. पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं. इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है और इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है.

चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण से पहले के समय को सूतक काल कहा जाता है. चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल 9 घंटे पहले लागू हो जाता है जबकि सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल 12 घंटे पहले लग जाता है. ग्रहण के दौरान सूतक काल का काफी महत्व होता है.

लग गया साल का पहला चंद्र ग्रहण, इन बातों का रखें ध्यान
भारत में चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को शाम 5 बजकर 20 मिनट से दिखाई देना शुरू होगा और शाम 6 बजकर 20 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल 8 नवंबर को भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर शुरू हो चुका है.

आइए जानते हैं क्या होता है सूतक काल और इसका महत्व-

क्या होता है सूतक? (What Is Sutak)

ग्रहण के दौरान सूतक को महत्वपूर्ण माना जाता है. लोग ग्रहण से कुछ घंटे पहले कुछ नियमों का पालन करते हैं और ग्रहण समाप्त होने के तुरंत बाद अपना उपवास समाप्त करते हैं. हालांकि, उपवास तोड़ने से पहले, लोग स्नान करते हैं, अपने इष्ट देवता की पूजा करते हैं, सूर्य या चंद्रमा भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और फिर जल और भोजन का सेवन करते हैं.

सूतक का महत्व (Chandra Grahan 2022 Sutak Significance)

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, अन्य खगोलीय पिंडों की गति के कारण पृथ्वी प्रभावित होती है और यह परिवर्तन हमारे ग्रह पर जीवन को एक से अधिक तरीकों से प्रभावित करता है. इसलिए ग्रहण के किसी भी नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए लोग सूतक नियमों का पालन करते हैं जो उन्हें ग्रहण के दौरान किसी अप्रिय घटना से बचा सकते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं सूतक के क्या नियम हैं और सूतक काल में क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए? आइए जानते हैं इसके बारे में-

चंद्र ग्रहण के सूतक काल में क्या करें और क्या नहीं (Chandra Grahan 2022 Sutak dos and don’ts)

सूतक काल के दौरान कुछ भी खाना और पीना नहीं चाहिए.

सूतक काल शुरू होने से पहले, कुश घास के सूखे तिनकों को खाने के बर्तन और पानी में डाल दें, ताकि ग्रहण के बुरे प्रभावों के बचा जा सके.

ग्रहण के दौरान चंद्र देव, भगवान धनवंतरी और महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करें.

ग्रहण के दौरान नुकीली चीजों जैसे चाकू, कैंची आदि चीजों से दूर रहें.

ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए.

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर ही रहना चाहिए. चंद्र ग्रहण के दौरान चांद से निकलने वाली किरणों का गर्भवती महिला और उसके गर्भ पर बुरा असर पड़ता है.

चंद्र ग्रहण के दौरान चांद को नग्न आंखों से ना देखें.

ग्रहण के बाद बासी खाना खाने से बचें.

ग्रहण खत्म होने के बाद सबसे पहले स्नान करें और घर की साफ सफाई करके गंगाजल छिड़कें.