Cases Burden On Courts: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि अदालतों में आपराधिक मामलों के बोझ को कम करने के लिए कुछ ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि जब देश आजादी के 75 साल का जश्न मना रहा है तो सरकार को कुछ कदम उठाने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस साल स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) से पहले कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे यह संकेत दिया जा सके कि सरकार इस पहलू पर गौर कर रही है. जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच, जो लंबे समय से आपराधिक मामलों में लंबित अपीलों से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही थी, ने कहा कि आपराधिक मामलों द्वारा निचली अदालतों को बंद करना एक महत्वपूर्ण पहलू है.
कुछ ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की है जरूरत
बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) केएम नटराज से कहा कि अगर इस साल सरकार द्वारा इस संबंध में कुछ किया जाता है तो इसका ‘बहुत सकारात्मक’ प्रभाव होगा. कुछ आउट ऑफ द बॉक्स सोचें. अगर आप कुछ कर सकते हैं, तो स्वतंत्रता दिवस से पहले सरकार को कुछ करने के लिए राजी करें, यह एक संकेत भेज सकता है.
इस बात पर SC ने जताई नाराजगी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते दोषी कैदियों की जमानत याचिकाओं पर उनकी अपील लंबित होने की सुनवाई में लंबी देरी पर नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए कहा था कि उसे ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचना शुरू करना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए बंद दिनों में भी बुलाना चाहिए.
इन याचिकाकर्ताओं ने जेल में बिताए 10 से ज्यादा साल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हाईकोर्ट को इन पर कार्रवाई करना मुश्किल लगता है तो वह ‘अतिरिक्त बोझ उठाने’ और याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में सुनने के लिए तैयार है. जानकारी के मुताबिक, 853 लंबित आपराधिक अपीलें ऐसी थीं जहां याचिकाकर्ताओं ने 10 साल से ज्यादा जेल में बिताए.
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान बेंच ने एएसजी से कहा कि हम आजादी के 75 साल मना रहे हैं. राज्यों और भारत सरकार की ओर से कुछ कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकती?