आतंकियों के पास कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों की लिस्ट, धमकी भरी हिट लिस्ट से डरे कर्मचारी

Terrorists have list of Kashmiri Hindu employees, employees scared of threatening hit list
Terrorists have list of Kashmiri Hindu employees, employees scared of threatening hit list
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जम्मू। कश्मीर में आतंकियों और सरकारी तंत्र में बैठे उनके समर्थकों का नेटवर्क अब भी सक्रिय है, जिससे सरकारी दस्तावेज भी आतंकियों तक पहुंच रहे हैं। आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने 56 कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों की एक सूची जारी की है। इस सूची में संबंधित कर्मचारियों के नाम के साथ उनके पुराने और नए ड्यूटी स्थल का भी पूरा ब्यूरो है। इनमें से अधिकांश अध्यापक हैं, जो श्रीनगर में ही तैनात हैं।

जांच सीआइडी विंग और साइबर सेल को सौंपी गई
धमकी भरी इस हिट लिस्ट से डरे कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों ने उन्हें कश्मीर से बाहर किसी भी सुरक्षित जगह पर नियुक्त करने की मांग की है। इस बीच, प्रशासन ने आतंकियों द्वारा जारी धमकी और उनके पास कर्मचारियों की पूरी सूची पहुंचने के मामले का संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है। जांच सीआइडी विंग और साइबर सेल को सौंपी गई है।

टीआरएफ करीब तीन वर्ष पहले ही घाटी में पूरी तरह सक्रिय हुआ है। इसे लश्कर-ए-तैयबा का हिट स्क्वाड कहा जाता है और कश्मीर में सक्रिय इसका 99 प्रतिशत कैडर स्थानीय है, जिसकी अधिकतम आयु 25 वर्ष बताई जाती है। पांच अगस्त, 2019 के बाद कश्मीर घाटी में अन्य राज्यों के ट्रक चालकों, श्रमिकों, अल्पसंख्यकों और कश्मीरी हिंदुओं की टारगेट किलिंग की एक दो वारदात को छोड़ अन्य सभी टीआरएफ ने ही अंजाम दी हैं। इंटरनेट मीडिया पर कश्मीर फाइट्स नामक ब्लाक और साइट टीआरएफ का मुखपत्र कहा जाता है।

कश्मीरी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमले जारी
टीआरएफ ने अपने आनलाइन मुखपत्र पर एक लेख में कश्मीरी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमले जारी रखने का एलान करने के साथ स्थानीय लोगों को भी भड़काने का काम किया है। इसमें कहा गया है कि कश्मीरी हिंदू और कश्मीर में अन्य राज्यों के कर्मचारी व श्रमिक स्थानीय लोगों के आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वह कश्मीरियों की जमीन और रोजगार पर कब्जा कर रहे हैं। दिल्ली अपनी फासीवादी हिंदुवादी नीतियों को कश्मीर में लागू कर रही है, जो असहनीय है। इसमें कहा गया है कि हम ऐसे सभी तत्वों को खबरदार करते हैं कि वह दिल्ली के मोहरा न बनें और न कश्मीर में उसके फासीवादी एजेंडे को आगे बढ़ाएं।

आतंकी संगठन की इस हिटलिस्ट ने कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों और अल्पसंख्यकों में एक बार फिर डर पैदा कर दिया है। बड़ी संख्या में विस्थापित कश्मीरी हिंदू कर्मचारी लगभग सात माह से कश्मीर में अपने नियुक्ति स्थल पर ड्यूटी देने के बजाय जम्मू में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। ये लोग वादी में हालात सामान्य होने तक उनकी सेवाओं को कश्मीर से बाहर किसी सुरक्षित जगह पर स्थानांतरित किए जाने की मांग कर रहे हैं।

हम कश्मीर में नौकरी पर नहीं जाएंगे
जम्मू में राहत आयुक्त कार्यालय में धरने पर बैठे विस्थापित कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों में शामिल रूबल सप्रू ने कहा कि सरकार हम लोगों की जान खतरे में डाल रही है। हम कश्मीर में नौकरी पर नहीं जाएंगे, जान है तो जहान है। वहां हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। टीआरएफ ने फिर हिटलिस्ट जारी की है। उसमें यह तक लिखा है कि कौन सा कर्मचारी पहले कहां तैनात था और उसे अब कहां तैनात किया गया है।

बेहतर यही है कि हमें कश्मीर से बाहर किसी अन्य जगह स्थानांतरित किया जाए। जब हालात ठीक होंगे, हमें वापस कश्मीर भेज दिया जाए। हमने वहां सिर्फ स्कूल या कालोनी में नहीं रहना है, हमने बाजार भी जाना है, घर से बाहर भी निकलना है, 24 घंटे डर के माहौल में कैसे रहा जा सकता है।

जमीनी हालात छिपाए जा रहे
कश्मीरी हिंदुओं के संगठन पनुन कश्मीर के चेयरमैन डा. अजय चुरंगु ने कहा कि कश्मीर के हालात सामान्य बताने के लिए सरकार कश्मीर के जमीनी हालात को छिपा रही है। वह विस्थापित कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों को बलि का बकरा बना रही है। टीआरएफ ने जो हिटलिस्ट जारी की है, वह बताती है कि आतंकियों का नेटवर्क काफी मजबूत है। कोई आम आदमी यूं यह सूची जारी नहीं कर सकता। इसमें आप भीतराघात से इन्कार नहीं कर सकते। यह बहुत खतरनाक है।

आज भी कई काली भेड़ें मौजूद
भाजपा के वरिष्ठ नेता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि सरकार को यह पता लगाना चाहिए कि आतंकियों तक यह जानकारी पहुंची कैसे? इसका मतलब यहां आज भी कई काली भेड़ें मौजूद हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। अगर यह सूची सही नहीं है और यह किसी की शरारत है तो भी इसके हल्के में नहीं लिया जा सकता।

आतंकियों तक कैसे पहुंची सूची, जांच जारी
जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टीआरएफ की धमकी और उसके द्वारा जारी कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों की सूची की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि किसी विभाग द्वारा जारी आदेश की कापी कोई भी संबंधित अधिकारी या कर्मचारी प्राप्त कर सकता है, लेकिन आतंकी संगठन तक यह किस स्रोत से पहुंची है, यह जानना जरूरी है। इंटरनेट मीडिया पर उन सभी हैंडल की भी जांच की जा रही है, जहां यह सबसे पहले अपलोड हुई है।