गुजरात में भाजपा के धमाके से दहशत में देश का पूरा विपक्ष, 2024 में ऐसा हुआ तो मोदी…

The entire opposition of the country is in panic due to BJP's blast in Gujarat, if this happens in 2024, Modi will...
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नई दिल्ली: गुजरात और हिमाचल, इन दो राज्यों के चुनाव नतीजे आज सामने आए। गुजरात में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज करते हुए अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। हालांकि हिमाचल में उसे हार का सामना करना पड़ा है। 68 सीटों वाले हिमाचल में कांग्रेस जीत दर्ज करते हुए सरकार बनाने जा रही है। गुरुवार को आए दो राज्यों के चुनाव नतीजों को देखा जाए तो इसका अनुमान पहले से लगाया जा रहा था कि गुजरात में बीजेपी और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाएगी। एग्जिट पोल में ऐसा ही अनुमान लगाया गया था लेकिन इस चुनाव में हार-जीत के अलावा भी कई संकेत छिपे हुए हैं। खासकर गुजरात जैसे राज्य में जिसकी चर्चा काफी रही। चर्चा आम आदमी पार्टी के वहां मजबूती से चुनाव लड़ने और कांग्रेस कैसा प्रदर्शन करेगी इस पर थी। गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही रिकॉर्ड बनाए हैं। बीजेपी जहां अधिक सीटों का तो वहीं कांग्रेस सबसे कम सीटों का। यही वजह है कि हिमाचल का चुनाव जीतने के बाद भी कांग्रेस जश्न नहीं मना पा रही है। साथ ही गुजरात में कांग्रेस की करारी हार का असर सिर्फ उस पर ही नहीं बल्कि इसका असर दूसरे दलों पर भी पड़ेगा। दूसरे दल वो जो 2024 में पीएम मोदी के सामने विपक्ष की अगुवाई करना चाहते हैं।

गुजरात की हार पर क्या कहेगी कांग्रेस
गुजरात में बीजेपी की जीत पहले से ही तय मानी जा रही थी लेकिन कांग्रेस की ऐसी हार होगी इसकी उम्मीद नहीं थी। गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी के उतरने से इस बार उसकी चर्चा कहीं अधिक रही। आम आदमी पार्टी के सीटों की संख्या भले ही काफी कम है लेकिन वोट प्रतिशत उनकी गुजरात में दस्तक की गवाही देते हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस जिसको लेकर यह चर्चा थी कि इस बार वह इस चुनाव में इतनी शांत क्यों है। यह कहा गया कि यह उसकी रणनीति का हिस्सा है। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कांटे की टक्कर कांग्रेस ने दी थी। इस बार भी उससे ऐसी ही उम्मीद की जा रही थी लेकिन जो नतीजे आए उसके बाद ऐसा लगता है कि पार्टी राज्य में धरातल की ओर चली गई है। राहुल गांधी एक तरफ भारत जोड़ो यात्रा पर हैं और इस दौरान वह गुजरात भी आते हैं लेकिन गिनती की रैलियों को संबोधित किया। चुनाव नतीजों को देखा जाए तो उसे देखकर ऐसा लगता है कि उसने लड़ने की कोशिश ही नहीं की।

बीजेपी की इस जीत का आगे भी दिखाई पड़ेगा असर
गुजरात में बीजेपी की जीत को सिर्फ एक राज्य की जीत के तौर पर ही नहीं देखा जाएगा और न ही बीजेपी ऐसा होने देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य के अलावा गुजरात बीजेपी की रणनीति के केंद्र में भी रहा है। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे उसके पीछे भी गुजरात ही है। यह वही राज्य जिसको लेकर कांग्रेस लगातार नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते आई है लेकिन आज जो नतीजे आए हैं उसके बाद उसे जवाब देते नहीं बनेगा। गुजरात में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत को बीजेपी अगले पायदान पर लेकर जाएगी और इसका असर दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। हिमाचल में भले ही कांग्रेस जीत दर्ज करने में कामयाब हुई है लेकिन यह वह राज्य है जहां पिछले कई वर्षों से यह देखने में आता रहा है कि 5 साल बाद सरकार बदल जाती है। गुजरात ऐसा राज्य था जहां पार्टी भले ही सरकार नहीं बना पाती लेकिन यदि वह लड़ती हुई दिखती और पिछले चुनाव के आस-पास भी सीटें आती तो उसके अलग मायने होते।

कांग्रेस की हार से दूसरे दल भी भयभीत क्यों
गुजरात में कांग्रेस की हार सिर्फ उसी के लिए नहीं है बल्कि इस हार का असर दूसरे दलों पर भी पड़ना तय है। खासकर वैसे दल जो उसके साथ हैं या वह दल जो 2024 में नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष की अगुवाई करना चाहते हैं। इसमें नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, केसीआर की पार्टी समेत दूसरे दल भी हैं। 2024 में प्रधानमंत्री को चुनौती देने के लिए पिछले कुछ समय में कई दलों के नेता सामने आए। पहले बंगाल में जीत के बाद ममता बनर्जी वहीं बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार और केसीआर की ओर से विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश हुई। हालांकि यह कुछ समय के लिए दिखाई पड़ा लेकिन बाद में इनकी गतिविधि भी कम हो गई। इन सबके साथ ही आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी इस दौड़ में हैं लेकिन वह फिलहाल इन नेताओं से खुद को अलग दिखाते हुए अलग राह पर हैं। अब तक इन नेताओं की रणनीति में कहीं न कहीं कांग्रेस थी और संभव है कि आगे भी रहे लेकिन गुजरात में जिस प्रकार कांग्रेस की हार हुई है उसके बाद कांग्रेस को कितना तवज्जो मिलेगा इस पर भी सवाल है। इतना ही नहीं इस वक्त कांग्रेस के साथ जो सहयोगी दल हैं उनके मन में भी गुजरात में हार के बाद डर बैठ गया होगा।

सवाल अब भी वही, कांग्रेस की बात कैसे मानेंगे दूसरे दल
इस बात में कोई शंका नहीं है कि यदि विपक्ष की ओर से किसी मोर्चे का गठन अगले लोकसभा चुनाव के लिए किया जाता है तो उसमें कांग्रेस की मजबूती काफी मायने रखती है। नीतीश, ममता और अरविंद केजरीवाल की दावेदारी के बीच कांग्रेस ने कभी अपने पत्ते नहीं खोले और जब भी उसके सामने यह सवाल आया तो उसकी ओर से यही कहा गया कि राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस मजबूती से लड़ेगी। यानी आखिरी वक्त तक वह भी अपनी दावेदारी से पीछे नहीं हटना चाहती है लेकिन गुजरात में जिस प्रकार उसकी हार हुई है उससे धक्का लगा है। इतना ही नहीं भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी की छवि भी पहले से अधिक मजबूत हुई और एक अलग चर्चा शुरू हुई लेकिन गुजरात चुनाव के नतीजों ने उस पर भी दोबारा से चोट की है। कांग्रेस के नेता भले ही इस सवाल को टाल जाएं और भारत जोड़ो यात्रा के साथ इसको न देखने की कोशिश करें लेकिन इसका असर पड़ना तय है। साथ ही गुजरात ही वह राज्य था जहां कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहता तो न केवल कांग्रेस बल्कि दूसरे विपक्षी दलों को भी उर्जा मिलती लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब ऐसे में वह सवाल और भी गहरा गया है कि आखिर 2024 में पीएम मोदी के सामने कौन?