बंटवारे में जुदा हो गया था परिवार, यूट्यूब वीडियो की मदद से 35 साल बाद हुआ मिलन

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लाहौर: विभाजन के दौरान अलग हुए एक ईसाई परिवार की दूसरी पीढ़ी के सदस्य जब पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब में करीब 35 साल बाद फिर से मिले तो बेहद भावुक हो गए.

करतारपुर कॉरिडोर की सफलता!
ऐसी घटनाएं भारत और पाकिस्तान के लोगों को करीब लाने में वीजा मुक्त करतारपुर गलियारे की सफलता को दर्शाती हैं. परिवार के पुनर्मिलन के दौरान सदस्यों की आंखें भर आईं और इस भावुक पल की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए.

दो परिवारों की मुलाकात
पाकिस्तान में ननकाना (Nankana) जिले के मनावाला के रहने वाले शाहिद रईक मिठू शुक्रवार को अपने परिवार के 40 सदस्यों के साथ पहुंचे, जिन्होंने भारत के अमृतसर जिले की अजनाला तहसील के शाहपुर डोगरा गांव के रहने वाले सोनू मिठू से मुलाकात की. सोनू के साथ उनके परिवार के 8 सदस्य भी थे. शाहिद मिठू ने कहा कि उनके दिवंगत दादा इकबाल मसीह विभाजन के दौरान पाकिस्तान आ गए थे जबकि इकबाल के भाई इनायत भारत में ही रूक गए थे.

बचपन के दिन आए याद
उन्होंने कहा, ‘करीब 35 साल पहले इनायत ननकाना साहिब के मनावाला स्थित हमारे घर घूमने आए थे. तब मैं 7 साल का था. वह और मेरे दादा (इकबाल) ने उस दौरान अपने बचपन के दिनों को याद किया था.’

अमृतसर जाने की जताई इच्छा
शाहिद ने कहा, ‘मेरे दादा का दो महीने पहले निधन हो गया जबकि इनायत का करीब 7 साल पहले निधन हो चुका है. उनके दो बड़े भाइयों का भी निधन हो चुका है.’ उन्होंने कहा, ‘ इनायत के हमारे घर घूमने आने के बाद से पहली बार सीमा के दोनों तरफ रहने वाले हमारे परिवार के सदस्य करतारपुर साहिब में एक-दूसरे से मिल पाए हैं. हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इमरान खान हमें वीजा जारी करवाने में मदद करें ताकि हम अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए अमृतसर के गांव जा सकें.’

यूट्यूब वीडियोज के जरिए जुड़ा दो देशों का संपर्क
शाहिद ने बताया कि भारत में रह रहे उनके परिवार के सदस्यों से उनका संपर्क टूट गया था, हालांकि, वे ननकाना साहिब निवासी भूपेंद्र सिंह लवली के जरिए सीमा पार रहने वाले अपने परिवार के सदस्यों से सपंर्क बना पाए. लवली यूट्यूब पर एक चैनल का संचालन करते हैं, जिसका मकसद दोनों देशों में रहने वाले उनके रिश्तेदारों को आपस में मिलवाने में मदद करना है.