देश में घटी मुसलमानों की प्रजनन दर, अब कम कर रहे बच्चे पैदा

The fertility rate of Muslims has decreased in the country, now children are being born.
The fertility rate of Muslims has decreased in the country, now children are being born.
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नई दिल्ली: देश में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या (Increasing Population In India) पर थोड़ा ब्रेक लगता हुआ नजर आ रहा है। देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार कम हुई है। प्रजनन दर में जिस प्रकार गिरावट दर्ज की गई है उससे यह कहा जा सकता है कि आने वाले वक्त में तेजी से बढ़ रही आबादी स्थिर वाले कैटेगरी में आ सकती है। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की हालिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। (National Family Health Survey) रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार 2.2% से घटकर 2% रह गई है। बच्चे कम पैदा हो रहे हैं (Total Fertility Rate) और मुस्लिम वर्ग के प्रजनन दर में तेज गिरावट दर्ज की गई है। NFHS के सर्वे में इस वर्ग में प्रजनन दर 1992-93 में 4.4, 2015-16 में 2.6 और 2019-21 में 2.3 दर्ज की गई है। हालांकि सभी धर्मों में यह पहले की तुलना में कम हुआ है।

मुसलमानों में सबसे ज्यादा घटी प्रजनन दर, अब भी औसत से अधिक
2015-16 में किए गए चौथे नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) और पांचवें 2019 – 21, इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि सभी धार्मिक समूहों में अब पहले की तुलना में कम बच्चे पैदा हो रहे हैं। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मुस्लिम वर्ग में तेज गिरावट देखी जा रही है। मुसलमानों में एनएफएचएस -4 और एनएफएचएस -5 के बीच 2.62 से 2.36 तक 9.9% की सबसे तेज गिरावट देखी गई है।

National Family Health Survey
नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 1 जो कि 1992-93 के बीच हुआ था उसमें मुसलमानों में प्रजनन दर 4.41 थी। दूसरा सर्वे जो कि 1998-99 में हुआ उसमें 3.59 उसके बाद 2005-06 में 3.4 था। 2015-16 में 2.62 और 2019-21 के बीच जो सर्वे हुआ उसमें 2.36 है। तेज गिरावट दर्ज की गई है लेकिन अब भी यह दूसरे वर्गों के मुकाबले अधिक है।

हिंदू, सिख सभी धर्मों में प्रजनन दर में गिरावट
वहीं दूसरी ओर हिंदू धर्म में नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 1 में 1992-93 में प्रजनन दर 3.3, दूसरे सर्वे में 98-99 में 2.78, तीसरा सर्वे जो कि 2005-06 में हुआ उसमें 2.59, चौथे सर्वे में 2.13 और साल 2019-21 के बीच जो पांचवां सर्वे हुआ उसमें गिरकर 1.94 हो गया। दूसरे वर्गों में गिरावट देखी जा सकती है। सिख, जैन, ईसाई सभी धर्मों में यह गिरावट देखी जा सकती है।

1992-93 में सर्वे की शुरुआत के बाद से, भारत में TFR (Total Fertility Rate) कुल प्रजनन दर 3.4 से 40% से अधिक गिरकर 2.0 हो गई है। साथ ही यह उस लेवल पर पहुंच गया है जो जनसंख्या आंकड़े को स्थिर रखे। एनएफएचएस के अब तक के पांच सर्वे में मुस्लिम टीएफआर में 46.5 फीसदी की गिरावट आई है, हिंदुओं में 41.2 फीसदी और ईसाइयों और सिखों के लिए लगभग एक तिहाई की गिरावट आई है।

इन 5 राज्यों में अब भी तेजी से पैदा हो रहे बच्चे
देश में संतान उत्पत्ति की दर 2.20 से घटकर 2 हो गई है। यह जनसंख्या नियंत्रण उपायों की प्रगति को दर्शाता है। देश में केवल पांच राज्य हैं, जो 2.10 के प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर (Replacement Rate)से ऊपर हैं। इनमें बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश (2.35), झारखंड (2.26) और मणिपुर (2.17) शामिल हैं। सर्वे में यह भी बताया गया है कि समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (सीपीआर) देश में 54 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई है। गर्भनिरोधकों के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल भी लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़ गया है।

वहीं सर्वे में 35% पुरुषों का अब भी मानना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम है। वहीं, 19.6% पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली महिलाएं स्वच्छंद हो सकती हैं। सर्वे में देश के 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों से करीब 6.37 लाख सैंपल लिए गए। चंडीगढ़ में सबसे अधिक 69% पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम है और पुरुषों को इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। केरल में सर्वेक्षण में शामिल 44.1 प्रतिशत पुरुषों के अनुसार गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली महिलाएं स्वच्छंद हो सकती हैं।