CCTV कैमरे को उस कातिल ने चकमा दे दिया, पर 10 रुपये के फटे नोट में उलझ गया वो किलर

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Crime Story : वो तारीख थी 6 जुलाई 2021. शाम के करीब 7 बजने वाले थे। हमेशा की तरह श्रीकृष्ण स्वरूप अपने घर की तरफ कदम बढ़ा रहे थे। श्रीकृष्ण स्वरूप एयरफोर्स में अकाउंटेंट थे। परिवार दिल्ली के पालम में रहता था। उनके परिवार में 55 साल की पत्नी बबीता और 27 साल का इकलौता बेटा गौरव। जैसे ही वो घर की दहलीज पर पहुंचे तभी उन्हें थोड़ा अजीब लगा। क्योंकि दरवाजा पूरी तरह से लॉक नहीं था। रोजाना की तरह उन्हें गेट खुलवाने के लिए घंटी बजानी नहीं पड़ी। हाथ से थोड़ा धक्का दिया और दरवाजा खुल गया। अब जो कदम ऑफिस से तेजी से घर की तरफ बढ़ रहे थे वो थोड़ी देर के लिए मानों ठिठक ही गए थे।

श्रीकृष्ण स्वरूप को ये थोड़ा अजीब लग रहा था। लेकिन उनकी बेचैनी घर में घुसते ही और बढ़ गई। क्योंकि घर के अंदर घुसते ही सारा सामान बिखरा हुआ था। सबकुछ अस्त व्यस्त। फिर कदम तेजी से अंदर वाले कमरे में पहुंचे। वहां चारों तरफ खून ही खून ही बिखरा हुआ था। उसी खून के बीच में एक लाश पड़ी थी। वो लाश उनकी पत्नी बबीता की थी। वो चीखने लगे। चिल्लाने लगे। बेटे गौरव को आवाज लगाने लगे।

पर उस घर में सिर्फ एक ही आवाज गूंज रही थी। वो आवाज श्रीकृष्ण स्वरूप की ही थी। उनके हर सवाल पर कोई जवाब नहीं मिल रहा था। अब वो बेटे की तलाश में दूसरे कमरे में घुसे। वहां बेटा गौरव भी बेसुध पड़ा था। आसपास खून बिखरा था। अब उनकी चीखने की आवाज आसपास तक पहुंचने लगी। पड़ोस से लोग भी वहां आ पहुंचे। पड़ोसियों ने ही पुलिस को सूचना दी। मौके पर पुलिस पहुंची। श्रीराम कृष्ण स्वरूप के रिश्तेदारों की भी इस डबल मर्डर की घटना मिली। चूंकि मामला एयरफोर्स अधिकारी से जुड़ा था। लिहाजा, पालम इलाके के कई सीनियर पुलिस अफसर भी मौके पर पहुंचे। फिर मामले की तफ्तीश शुरू हुई।

घर का सामान बिखरा था तो क्या मकसद लूटपाट था या कुछ और?
Crime Kahani : श्रीकृष्ण स्वरूप के परिवार में सिर्फ दो लोग थे। अब दोनों की मौत हो चुकी थी। वो खुद ऑफिस से लौटे थे। घर का सामान बिखरा हुआ था। ऐसे में पुलिस ने छानबीन शुरू की तो अंदेशा लगा कि कहीं लूटपाट के इरादे से तो नहीं हुई। लिहाजा, ये जांच की हुई कि घर से क्या कीमती सामान लूटा गया। इसकी पड़ताल हुई। लेकिन ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे पता चले कि कोई कीमती सामान लूटा गया हो।

अब कातिल का पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज को चेक किया। क्योंकि एक कैमरा घर के बाहर ही लगा था। लेकिन जांच में पता चला कि सीसीटीवी कैमरा लगा तो है लेकिन उसकी रिकॉर्डर डीवीआर गायब है। इसलिए पुलिस का शक और बढ़ गया कि ये डबल मर्डर लूटपाट के इरादे से तो अंजाम नहीं दिया गया। बल्कि ये कहीं ना कहीं साजिश का हिस्सा है। अब सवाल ये था कि आखिर इस डबल मर्डर को किस साजिश के लिए अंजाम दिया गया। उसके पीछे की वजह क्या कोई पुरानी दुश्मनी या कोई विवाद तो नहीं है। इस बार में जब श्रीकृष्ण स्वरूप से पूछा गया तो उन्होंने किसी तरह के विवाद या दुश्मनी से साफतौर पर इनकार कर दिया। आसपास के लोगों से पूछताछ करने के बाद भी कुछ भी ऐसा नहीं पता चला जिससे लगे कि कोई रंजिश या दुश्मनी हो। ऐसे में पुलिस के लिए ये केस पूरी तरह से ब्लाइंड मर्डर बन गया।

पड़ोस के सीसीटीवी में 4 सेकेंड के लिए मिला सुराग, पर पहचान नहीं
अब दिल्ली पुलिस ने आसपास के कुछ सीसीटीवी फुटेज की जांच की। उसमें देखा गया कि कोई शख्स जो अपने चेहरे कोगमछे से पूरी तरह से ढका हुआ है। वो सिर्फ 4 सेकेंड के लिए उस फुटेज में दिखता है। जिसमें शायद वो डीवीआर लेकर जा रहा है। इस तरह फुटेज में उसका चेहरा नहीं दिखाई देता है। ऐसे में एक सीसीटीवी फुटेज तो मिला, लेकिन पुलिस को उससे कोई खास सुराग नहीं मिला। अब पुलिस फिर से खाली हाथ हो गई। ये शख्स कौन है। इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई।

पुलिस ने फील्ड जांच की फिर एक ई-रिक्शा वाले ने कुछ बताया
Crime Kahani : अब पुलिस हर तरह से कोई सुराग नहीं लगा पाई। तब आसपास के एरिया में पूछताछ शुरू की। ऐसा इसलिए किया क्योंकि जो शख्स 4 सेकेंड की फुटेज में दिखा था वो पैदल ही जाते हुए मिला था। ऐसे में ये साफ था कि या तो वो आसपास का रहने वाला होगा जो पैदल एयरफोर्स अकाउंटेंट के घर तक आया था। या फिर दूसरी वजह हो सकती थी कि वो किसी किराए की गाड़ी से अपने घर तक पहुंचा हो। आसपास के लोगों में ऐसा कोई नहीं मिला जो उस नकाब वाले को पहचान सके। इसलिए पुलिस ने पालम के दुकानदारों और ई-रिक्शा वालों से पूछताछ की।

पुलिस ने उस सीसीटीवी फुटेज को दिखाकर पूछताछ शुरू की। उसी दौरान एक ई-रिक्शा वाले ने बताया कि उस दिन एक लड़के को मेट्रो स्टेशन तक छोड़ा था। वो चेहरे पर गमछा बांधे था। उसके हाथ में खून लगा था। उससे खून के बारे में पूछा था तो उसने कहा था कि चोट लग गई है। इसक बाद उसे मेट्रो तक छोड़ दिया था। लेकिन वो उसे पहचानता नहीं है।

अब पुलिस को फिर से उससे कोई खास सुराग नहीं मिला। तब पुलिस ने उस ई-रिक्शे वाले से पूछा कि कोई और खास बात जो उससे जुड़ा हो। जो तुम्हे याद हो। तब उसने बताया कि हां एक बात और है। उससे किराए को लेकर थोड़ी देर तक बहस हुई थी। क्योंकि मेट्रो तक जाने का किराया 30 रुपये तय हुआ था। वहां पहुंचने पर उसने 20 रुपये का एक और 10 रुपये का एक नोट दिया। लेकिन 10 रुपये का नोट काफी फटा हुआ था। जिसे लेने से मैंने मना कर दिया था। इस पर उसने कहा था कि अब कोई दूसरा नोट उसके पास नहीं है। ऐसे में हमने भी कहा कि वो 10 रुपये छोड़ नहीं सकता है। किसी भी तरह से उसे पैसे तो चाहिए। जिसे लेकर दोनों में विवाद हुआ था। फिर मैंने कहा था कि अगर चेंज पैसे नहीं हैं तो पेटीएम ही कर दो। इस पर उसने पूरे 30 रुपये कैश ले लिए थे और उतने ही रुपये पेटीएम कर दिए थे।

अब ये बात सुनते ही पुलिस की आंखों में चमक आ गई। तुरंत उसके पेटीएम की डिटेल ली। इसके बाद उस नंबर का पता लगाया जिससे उस लड़के ने पेटीएम किया था। उस फोन नंबर की डिटेल निकाली तो पता चला कि वो किसी अभिषेक के नाम पर है। आगे ज

ांच हुई तो पता चला कि ये नंबर तो श्रीकृष्ण स्वरूप की पत्नी बबीता के भतीजे अभिषेक का ही था। ये वही लड़का था जो पुलिस की जांच के दौरान भी वहां पहुंचा था। पोस्टमॉर्टम कराने से लेकर हर जगह वो पहुंचा रहता था। कई बार तो उसने पुलिस से भी सवाल किए थे कि आखिर इस घटना के पीछे कौन हो सकता है। पुलिस क्यों नहीं उसे पकड़ पा रही है। लेकिन जैसे ही पेटीएम नंबर से पुलिस को अभिषेक की डिटेल मिली तो तुरंत ये समझ में आ गया कि कातिल वही है। क्योंकि जांच के दौरान उसने कभी नहीं ये बताया कि वो पहले घर तक आया था और फिर ई-रिक्शा से मेट्रो और फिर अपने घर तक गया था। लेकिन पुलिस को अब ये पता लगाना था कि आखिर अभिषेक ने दो-दो कत्ल क्यों किए। इसके पीछे की क्या वजह रही होगी।

बुआ और अपने रिश्ते के भाई की हत्या के पीछे आई ये बड़ी वजह
Crime Story in hindi : पुलिस ने जब अभिषेक से पूछताछ शुरू की तो उसने हत्या करने की बात कबूल कर ली। इसक पीछे की वजह क्या है। ये पूछा गया तब उसने बताया। उसने कहा कि कुछ महीने पहले उक परिवार में शादी थी। कोरोना की वजह से पैसों की तंगी थी। तब उसने बुआ से 50 हजार रुपये से उधार लिए थे। लेकिन उन पैसों को वो लौटा नहीं पा रहा था। इसे लेकर बुआ उसे अक्सर ताने देतीं थीं।

6 जुलाई को घटना वाले दिन उनके घर किसी और काम से आया था। घर आकर काफी देर तक अपने रिश्ते के भाई गौरव के साथ टीवी देखा। कुछ देर बीतने के बाद बुआ ने फिर से 50 हजार रुपये नहीं लौटाने को लेकर ताना मारने लगीं। बस इस बात से अभिषेक को काफी गुस्सा आया। क्योंकि वो कई बार कह चुका था कि अभी हालत टाइट है। इसके बाद भी वो पैसे मांग रहीं हैं। इसी बात से गुस्से में आकर अभिषेक ने डंबल उठाया और कमरे में घुसकर बुआ बबीता पर हमलावर हो गया। उन्हें पीट-पीटकर मार डाला। उस समय गौरव अपने कमरे में था। फिर अभिषेक ने गौरव को भी उसी डंबल से पीट-पीटकर मार डाला। इसके बाद कैमरे का डीवीआर निकाला और अपने चेहरे को गमछे से बांधकर वहां से तेजी से निकल गया।

ई-रिक्शा को पैसे देने के लिए उसके पास खुले पैसे भी थे। लेकिन 10 रुपये का वो नोट फटा नहीं होता वो पेटीएम से पेमेंट नहीं करता। अगर वो पेमेंट नहीं करता तो शायद इस ब्लाइंड मर्डर केस को भी खोला जाना उतना आसान नहीं होता। इस तरह 10 रुपये के फटे हुए एक नोट ने कातिल का पता बता दिया। जिस डंबल से बबीता और उनके बेटे की हत्या की गई उससे दोनों एक्सरसाइज करने के लिए हाल में ही खरीदे थे। क्योंकि उस समय कोरोना चल रहा था। श्रीकृष्ण स्वरूप ने बताया कि पत्नी हाल में ही कोरोना से ठीक होकर रिकवरी कर रहीं थीं। बेटा भी बेरोजगार होकर घर पर ही था। दोनों उसी डंबल से उन दिनों एक्सरसाइज करते थे। लेकिन घटना वाले दिन उन्हीं डंबल को अभिषेक ने अपना हथियार बना लिया।