हरियाणा में जिस नीम के पेड़ के नीचे गुरु तेग बहादुर ने किया आराम, वहां आज है भव्य गुरुद्वारा

The neem tree under which Guru Tegh Bahadur rested in Haryana, today there is a grand gurudwara
The neem tree under which Guru Tegh Bahadur rested in Haryana, today there is a grand gurudwara
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कैथल। वर्ष 1723 ई. में नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर अपने परिवार के साथ दिल्ली जाते हुए कैथल में रुके थे। डोगरा गेट के पास एक नीम का पेड़ था, उसके नीचे उन्होंने आराम किया। कुछ दिन तक वह यहां रहे भी। जब तक गुरु तेग बहादुर कैथल में रहे, हर रोज इस नीम के पेड़ के नीचे बैठते और ध्यान लगाते थे। यह नीम का पेड़ आज भी खड़ा है और उस जगह पर अब एक भव्य गुरुद्वारा स्थापित है। इसे नौवीं पातशाही गुरुद्वारा नीम साहिब कहा जाता है। यह जिले में सिख संगत की श्रद्धा का सबसे प्रमुख गुरुघर है। बताते हैं कि गुरु तेग बहादुर सुबह स्नान के बाद नीम के पेड़ के नीचे ध्यान लगाते था। ध्यान लगाते समय उन्हें उनके अनुयायियों ने देख लिया। एक दिन एक अनुयायी गंभीर बुखार से पीड़ित हो गया। गुरु तेग बहादुर ने उसे खाने के लिए नीम के पत्ते दिए और वह बिल्कुल ठीक हो गया।

श्री गुरुद्वारा नीम साहिब में दो लंगर हाल, एक सरोवर और कुछ कमरें यहां बनाए गए हैं। जबकि एक हॉल कार्यक्रमों के लिए बनाया गया है। हाल ही गुरुद्वारे में अंदर स्थापित सरोवर के सुधार के लिए निर्माण कार्य करवाए गए हैं। गुरुद्वारे के बगल में स्थित करीब 10 एकड़ जमीन भी है, जो गुरुद्वारे की ही है। यहां पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से कुछ समय गुरु तेग बहादुर के नाम से कालेज बनाने की मांग की गई थी, लेकिन इस पर सरकार की ओर से इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई कार्य नहीं किया गया।

औरंगजेब का विरोध किया
नौवें गुरु तेग बहादुर ने हिंदुओं के हक में औरंगजेब का डटकर विरोध किया। औरंगजेब उन दिना में कश्मीरी पंडितों तथा अन्य हिन्दुओं को जबरदस्ती इस्लाम धर्म अपनाने को मजबूर करता था। जो उसकी बात नहीं मानता था, उसकी हत्या कर दी जाती थी। वर्ष 1675 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने उन्हें इस्लाम स्वीकार करने को कहा। उन्होंने इसका विरोध करते हुए शीश कटवाना उचित समझा। बजाय इसके कि वह अपने केश कटवाकर इस्लाम धर्म अपना लें। गुरुद्वारा शीश गंज साहिब उन्हीं की याद में स्थापित है।