आने वाले दिनों में बदलेगी उत्‍तराखंड के प्रमुख शहरों की तस्वीर

The picture of major cities of Uttarakhand will change in the coming days
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देहरादून। प्रदेश के बड़े और मध्यम श्रेणी के प्रमुख शहरों की आने वाले दिनों में तस्वीर बदलेगी। राज्य के बजट में इसके लिए कई प्रविधान किए गए हैं। यद्यपि, बुनियादी ढांचे से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन और मानीटरिंग की चुनौती भी सरकार के सामने रहेगी। उधर, छोटे शहरों के कायाकल्प के दृष्टिगत उन्हें बड़ी योजनाओं के लिए अभी प्रतीक्षा करनी होगी।

यह किसी से छिपा नहीं है कि शहरी क्षेत्रों पर जनदबाव निरंतर बढ़ रहा है। जिस हिसाब से शहरों में आबादी बढ़ रही है, उससे वहां बुनियादी ढांचागत सुविधाएं कम पडऩे लगी हैं। फिर चाहे देहरादून, हल्द्वानी, रुद्रपुर, काशीपुर, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश, कोटद्वार जैसे बड़े शहर हों अथवा 93 अन्य मध्यम व छोटे शहर, सभी जगह स्थिति लगभग एक जैसी है। शहरी क्षेत्रों में बेहतर बुनियादी सुविधाएं, आर्थिक विकास, उद्योग, आवास, नवाचार, नगर निकायों की खराब माली हालत, शहरी क्षेत्रों में पार्किंग सुविधा, ड्रेनेज सिस्टम, बेहतर सड़कें जैसी अनेक चुनौतियां मुंहबाए खड़ी हैं।

धामी सरकार ने इन चुनौतियों से पार पाने के लिए शहरी क्षेत्रों में चरणबद्ध ढंग से आगे बढऩे का निश्चय किया है। बजट में शहरी विकास के दृष्टिगत किए गए प्रविधान तो यही दर्शाते हैं। देहरादून व नैनीताल जैसे शहरों के लिए उत्तराखंड इंटीग्रेटेड एंड रेसिलिएंट अर्बन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट, हल्द्वानी के लिए इंटीग्रेटेड अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और मध्यम श्रेणी के 16 शहरों डोईवाला, विकासनगर, रुद्रपुर, काशीपुर, पिथौरागढ़, श्रीनगर, जोशीमठ, गोपेश्वर, बागेश्वर, अल्मोड़ा, जसपुर, सितारगंज, टनकपुर, चम्पावत, किच्छा व खटीमा के लिए अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट इन सेंकेडरी टाउन जैसी परियोजनाएं तैयार की गई हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी में 136.28 करोड़
अटल नवीनीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन में 100.70 करोड़
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत 10 करोड़ का प्रविधान
स्मार्ट सिटी योजना में देहरादून शहर के लिए 205 करोड़
निकायों की माली हालत सुधारने की चुनौती

राज्य के नगर निकायों की स्थिति से हर कोई वाकिफ है। केंद्र एवं राज्य सरकारों से मिलने वाले बजट से निकाय विकास कार्य कराने तक सीमित होकर रह गए हैं। उन्हें छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी सरकार का मुंह ताकना पड़ता है। ऐसे में निकायों की आय के स्रोत में वृद्धि की चुनौती है। नगर निकाय अपने पैरों पर खड़े हो सकें, इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इस मोर्चे पर सरकार को गंभीरता से कदम बढ़ाने होंगे।