पाकिस्तान में रोटी के लिए जंग; आटा बांट रहे सरकारी ट्रक पर लोगों ने किया हमला

The war for bread in Pakistan; People attacked government truck distributing flour
The war for bread in Pakistan; People attacked government truck distributing flour
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नई दिल्ली। गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान की माली हालत काफी खराब है। पाकिस्तान में लोगों पाई-पाई के मोहताज हो गए हैं। आसमान छू रही महंगाई में लोग सड़कों पर न उतर आए इसलिए सरकार की तरफ से मुफ्त में आटा बांटने का अभियान चलाया जा रहा है। मगर आलम ऐसा है कि लोग आटा बांटने वाले ट्रक पर धावा बोल दे रहे हैं। पेशावर के हजार खवानी इलाके में मुफ्त सरकारी आटे के ट्रक पर नागरिकों ने धावा बोल दिया, पुलिस और जिला प्रशासन भी बेबस नजर आई। दूसरी ओर खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने मुफ्त आटा बांटने के संबंध में पेशावर में कई ट्रक को अलॉट किया लेकिन वहां भगदड़ और लोगों के बीच अफरा-तफरी देखने को मिली।

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, आटा बांटने के लिए हजार खवानी पार्क और हयाताबाद स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में सेंटर अलॉट किया गया था, मगर लोगों की भीड़ ने इस व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। इस संबंध में खैबर पख्तूनख्वा के मुख्य सचिव नदीम असलम चौधरी ने नए आटा वितरण सेंटर का दौरा किया लेकिन वहां भी स्थिति कुछ ऐसी ही नजर आई।

सबकुछ महंगा हो गया
पाकिस्तानी हुकूमत इस वक्त भारी आर्थिक संकट का सामना कर रही है। आईएमफ से लोन अभी तक नहीं मिल पाया है। दूसरी ओर शहबाज शरीफ की सरकार लोगों पर करों का भारी बोझ डाल रही है। इसके अलावा महंगाई ने भी लोगों की कमर तोड़ दी है। राशन से लेकर फलों की कीमतें भी आसमान छू रहे हैं। पाकिस्तान में मुद्रास्फीति की दर 50 साल के उच्च स्तर 31.5 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

केले, खजूर और अंगूर तक के दाम बढ़े
रमजान पर महंगाई का आलम यह है कि सबकुछ महंगा हो गया है। कराची के स्थानीय व्यवसायी मुहम्मद इशाक ने अरब न्यूज़ को बताया, “सब कुछ महंगा हो गया है और खजूर की कीमतें भी बढ़ गई हैं। मैंने पिछले साल 350 रुपये ($ 1.24) के लिए जो खरीदा था, वह 1000 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जा रहा है।” वहीं, केले के दाम 500 रुपए प्रति दर्जन तक पहुंच गए हैं। इसके अलावा अंगूर ग्राहकों तक 1600 प्रति किलो तक पहुंच रहा है।

कीमतों में वृद्धि के कारण 2022 की तुलना में फलों की बिक्री में गिरावट आई है। विक्रेताओं ने इसके पीछे आयात प्रतिबंधों और स्थानीय फसलों के बर्बाद होने को बड़ी वजह बताया है। पिछले साल जून से अक्टूबर तक पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ आई थी, जिसमें दो तिहाई पाकिस्तान डूब गया था।