मध्यप्रदेश में बिजली संकट से मचा हाहाकार, जाने क्या है बिजली कट की वजह

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जबलपुर: मध्य प्रदेश में बिजली का संकट अभी भी बना हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी चार से छह घंटे बिजली कटौती की जा रही है. हालांकि सरकार डिमांड और सप्लाई में 571 मेगावाट कमी की बात कर रही है जबकि बिजली के जानकार 1500 से 2000 मेगावाट बिजली कम होने की बात कर रहे हैं. शुक्रवार को मध्य प्रदेश में पीक ऑवर में 12 हजार 533 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की गई.

बिजली संकट पर कमलनाथ ने शिवराज सरकार को घेरा था
पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी ट्वीट कर बिजली संकट पर शिवराज सरकार को घेरा था. कमलनाथ ने कहा था, “अभी भी झूठे आंकड़े पेश कर बिजली संकट, जल संकट और कोयले के संकट को नकारा जा रहा है. सरकार इस दिशा में तत्काल आवश्यक सभी कदम उठाकर जनता को राहत प्रदान करे और प्रदेश की जनता को कोयला संकट, बिजली की माँग और आपूर्ति एवं जलसंकट पर वास्तविकता व सच्चाई बताए.”वहीं प्रदेश में बिजली संकट के मद्देनजर ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने बीते दिनों दिल्ली पहुंचकर रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से मिले थे. उन्होंने रेल मंत्री को मप्र के हालात बताए. तोमर ने कहा मप्र में कोयले के परिवहन के लिए रोजाना 12.5 रैक की जरूरत होती है, जबकि 8.6 रैक ही मिल पा रहे हैं. इस कारण रोजाना 15600 मीट्रिक टन कोयला कम मिल रहा है. ऊर्जा मंत्री ने कहा मध्य प्रदेश में थर्मल पॉवर हाउस से बिजली उत्पादन क्षमता 4570 मेगावाट है. तय प्रावधान के मुताबिक 26 दिन का कोयला होना जरूरी है. इन 26 दिनों के लिए 40 लाख 5600 मीट्रिक टन कोयला होना जरूरी है.

कितना कोयला है और कितने की जरूरत है
यहां बता दें कि इस वक्त मध्य प्रदेश के चार थर्मल पावर प्लांट में सिर्फ 2 लाख 60 हजार 500 मिट्रिक टन कोयला ही मौजूद है. फुल कैपिसिटी में पावर प्लांट चलाने के लिए प्रतिदिन कोयले की खपत 80 हजार मिट्रिक टन होती है. इस हिसाब से पावर प्लांट में सिर्फ साढ़े तीन दिन का कोयला है. लेकिन पूरी क्षमता से थर्मल पावर प्लांट न चलाने की वजह से शुक्रवार को सिर्फ 58 हजार मिट्रिक टन कोयला खर्च हुआ जबकि 68 मिट्रिक टन कोयला पावर प्लांट्स में आया.मध्य प्रदेश में बिजली बोर्ड से रिटायर्ड चीफ इंजीनियर आरके अग्रवाल का कहना है कि सरकार जान बूझकर संकट से मुंह मोड़ रही है. ये बिजली अधिकारियों की अदूरदर्शिता थी, जो उन्होंने मार्च के महीने में एनटीपीसी की 1000 मेगावाट बिजली सरेंडर कर दी थी. आज ये बिजली होती तो संकट इतना गंभीर न होता. फिलहाल एनटीपीसी की यह बिजली महाराष्ट्र सहित दूसरे राज्यों को मिल रही है.