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दुनिया में कई तरह के एग्जॉटिक जानवर पाए जाते हैं. इनमें से कुछ को लोग शौक से पालते हैं. कुछ इतने रेयर (Rare Animals) हैं कि उन्हें पालना गैरकानूनी है. लेकिन लोग स्मगल जार इन बेशकीमती जानवरों की खरीद-फरोख्त करते हैं. इन जानवरों की कीमत में आम आदमी का पूरा जीवन गुजर सकता है. लेकिन शौक़ीन रईस लोग इन्हें ब्लैक मार्केट (Black Market) से खरीद कर उनकी स्मगलिंग का हिस्सा बनते हैं. वैसे तो दुनिया में ऐसे कई बेशकीमती जीव हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी छिपकली (Rare Expensive Lizards) के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बेहद कीमती है.
हम बात कर रहे गीको छिपकली (Gecko Lizards) की. वैसे तो आपने अपने घर की दीवार पर कई बार छिपकलियों को चलते देखा होगा. इन्हें देखकर कई तो डर से चीखने लगते हैं. लेकिन जिस छिपकली की हम बात कर रहे हैं, उन्हें खरीदने के लिए लोग मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार रहते हैं. इस छिपकली को स्मगल किया जाता है और इस एक छिपकली की कीमत में इंसान बीएमडब्लू जैसी महंगी लग्जरी गाड़ी आराम से खरीद सकता है.
भारत में पाई जाती है गीको
ये बेशकीमती छिपकली दुनिया के सिर्फ दो हिस्सों में पाई जाती है. एक है भारत का बिहार. और दूसरा बिहार से ही सटा नेपाल का इलाका. इन दो एरियाज में गीको मिलते हैं. इन्हें भारत में बेचना या खरीदना गैरकानूनी है. इस वजह से स्मगलर्स इन्हें चोरी-चुपके से पकड़ कर विदेशों में मुंह मांगे दाम में बेचते हैं. एक गीको की कीमत उसके साइज के हिसाब से सत्तर से अस्सी लाख तक हो सकती है. बाहर इसे खरीदने वाले कई खरीददार मिल जाते हैं. सिर्फ एक गीको बेचकर स्मगलर माला-माल हो जाता है.
गीको Wildlife Protection Act, 1972 के शिड्यूल थ्री के तहत लिस्टेड है. इनका शिकार गैरकानूनी है क्यूंकि अब ये काफी कम मात्रा में बच गए हैं. इनका शिकार मुख्यत इनकी कई तरह की बीमारियों के दवा में इस्तेमाल के कारण होता है. कहा जाता है कि गीको छिपकली का मांस मर्दानगी बढ़ाता है. साथ ही ये नपुंसकता, डायबिटीज, एड्स और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों में भी काफी फायदेमंद है. इस वजह से इनका शिकार बेतहाशा किया जाने लगा. खासकर चीन में तो इसका उपयोग ट्रेडिशनल दवाइयों में किया जाता है. स्मगलर्स इन्हें पकड़कर ऐसे ही देशों में बेचकर पैसे कमाते हैं.