
अहमदाबाद: नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला गया चौथा टेस्ट ड्रॉ पर खत्म हुआ। बावजूद इसके टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 2-1 से मात दी। उधर पहले टेस्ट में न्यूजीलैंड के श्रीलंका को हराते ही भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी पहुंच गया। यह सीरीज विराट कोहली के लिए भी बेहद खास रही क्योंकि उनके तीन साल तीन महीने बाद अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा। मैच के बाद पूर्व कप्तान ने ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर्स से दिल खोलकर बातचीत की।
विराट कोहली ने कहा कि उनके पास अपने आलोचकों को साबित करने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन 186 रन बनाने के बाद उन्होंने मैदान पर अपनी मौजूदगी साबित करने की महसूस की। बकौल कोहली, ‘मैं अब उस जगह पर नहीं हूं जहां मैं बाहर जाऊंगा और किसी को गलत साबित करूंगा। मुझे यह भी बताने की जरूरत नहीं कि मैं मैदान पर क्यों हूं। जब मैं 60 रन पर था, तो हमने सकारात्मक खेलने का फैसला किया। लेकिन हमने श्रेयस अय्यर) को खो दिया।’
विराट कोहली ने कहा, ‘एक खिलाड़ी के रूप में मुझसे जो उम्मीदें हैं, वे मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं। मुझे लगता है कि टेस्ट क्रिकेट में मैं अपनी गति उस गति के साथ नहीं खेल पाया, जैसा मैं पिछले 10 साल से खेल रहा हूं। तो यही एक चीज थी जो मैं करने की कोशिश कर रहा था। मुझे लगा कि मैं नागपुर में पहली पारी से अच्छी बल्लेबाजी कर रहा हूं, लेकिन हम टीम के लिए बल्लेबाजी पर फोकस कर रहे हैं। जिस क्षमता से मैंने अतीत में बैटिंग की है। उस दृष्टिकोण से मैं निराश था, लेकिन विश्वास था कि मैं अच्छा खेल रहा हूं और अगर मुझे अच्छे विकेट पर मौका मिला तो मैं बड़ा प्रदर्शन कर सकता हूं।’
विराट कोहली ने 1024 दिन के इंतजार के बाद टेस्ट शतक लगाया। यह उनका टेस्ट में 28वां और इंटरनेशनल क्रिकेट में 75वां शतक था। यह एक सपाट पिच थी, लेकिन बल्लेबाजी करना कभी भी आसान नहीं था क्योंकि स्टीव स्मिथ अक्सर लेग-साइड को सील कर दे रहे थे और अपने गेंदबाजों को विकेट के एक तरफ गेंदबाजी करने के लिए कहते थे।