उत्तराखंड में लैंड जिहाद का खतरा, बीजेपी नेता की मांग-विशेष समुदाय के सभी धार्मिक प्रतिष्ठान पर लगे पूर्ण बैन

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देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले लैंड जिहाद का मुद्दा गरमाता जा रहा है. बीजेपी की ओर से लगातार इस मुद्दे को उठाया जा रहा है. बीजेपी नेता अजेंद्र अजय की मांग है कि सुरक्षा की खातिर एक विशेष समुदाय के सभी धार्मिक प्रतिष्ठान पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर देने चाहिए. हालांकि कांग्रेस इसे वोट की राजनीति मान रही है लेकिन संत-समाज से बीजेपी को इस मुद्दे पर समर्थन मिलता दिख रहा है.

पहले लव जिहाद से परेशान थे पर अब तो लैंड जिहाद की एक तरह से शुरुआत सी हो चली है और वो भी उत्तराखंड से जो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगा हुआ है. अगर नहीं रोका अभी तो पूरे देश को बहुत बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा. ऐसा मानना है भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और संघी अजेंद्र अजय का जिनके पास उत्तराखंड बीजेपी के भी कई महत्वपूर्ण पद रहे हैं और जो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के कई कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तैयार करते हैं और निकट भविष्य में भी ये जिम्मेदारी उनके ही पास है.

बीजेपी नेता अजेंद्र अजय साफ शब्दों में न केवल एक विशेष समुदाय के सभी धार्मिक प्रतिष्ठान प्रतिबंधित करने में लगे हैं बल्कि आने वाले वक्त में भी विशेष समुदाय के किसी भी धार्मिक प्रतिष्ठान के विरोध में मुखर हो गए हैं.

लैंड जिहाद को देश को सबसे बड़ा खतरा बताते हुए बीजेपी नेता ने आजतक से खास बातचीत में बताया कि प्रदेश में हमेशा से सनातन परंपरा रही है. यह संतों की भूमि है. जहां हमेशा से संत तपस्या करते आए हैं और युगों-युगों तक ऐसे ही ये देवभूमि देवताओं का घर मानी जाती रहेगी. लिहाजा इस गंभीर मुद्दे पर न केवल मैंने पत्र लिखा है बल्कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से खुद मुलाकात भी की है. प्रदेश के मुख्यमंत्री भी इस मुद्दे को लेकर अत्यंत गंभीर हैं और सकारात्मक रुख अपना रहे हैं.

उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि जमीन के क्रय-विक्रय पर भी कड़े नियम लागू करने की जरूरत है ताकि समस्या से आसानी से निपटा जा सके. बीजेपी नेता की मानें तो पलायन की वजह से प्रदेश के उन स्थानों पर जहां देवी-देवताओं का वास है विशेष समुदाय की जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. इससे पहले बीजेपी नेता बॉलीवुड की फिल्म केदारनाथ के विरोध में उतरे थे और आखिरकार इस फिल्म पर पूरे प्रदेश में सरकार को प्रतिबंध लगाना पड़ा था.

बांटने की राजनीति गलतः कांग्रेस
इस मुद्दे पर जब कांग्रेस प्रवक्ता डॉक्टर प्रतिमा सिंह से आजतक ने बात की तो उन्होंने बताया कि चुनाव के समय हिंदुत्व का एजेंडा कोई नया नहीं है. उत्तराखंड के साथ ही कई राज्यों में विधानसभा चुनाव सिर पर है, ऐसे में ये बांटने की राजनीति बेहद शर्म का विषय है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पिछले 7 सालों में कुछ नहीं कर पाई और राज्य सरकार इतने बड़े मेंडेट के बाद भी 4 सालों में उत्तराखंड के लिए कुछ नहीं कर पाई तो अब लड़ाने का काम करने पर उतारू है.

वहीं लैंड जिहाद के मुद्दे पर कांग्रेस की फायर ब्रांड नेत्री और गढ़वाल प्रभारी गरिमा दसौनी ने आजतक से बात करते हुए कहा कि बीजेपी को अगर इसमें इतनी ही बुराई लगती है और खतरा लगता है तो सबसे पहले वो अपने पूरे देश से इससे संबंधित सभी प्रकोष्ठ बंद करें और सभी ऐसे लोगों से पार पाएं जो इस विशेष समुदाय से आते हैं.

उन्होंने कहा कि बीजेपी बेरोजगारी, महंगाई, महिला सुरक्षा, देवस्थानम बोर्ड जैसे किसी मुद्दे पर तो बोलने की कंडीशन में नहीं है और यही कारण है कि वो चुनाव आते ही जनता को भटकाने का काम कर रही है क्योंकि इस बार इनका सूपड़ा पूरी तरह से साफ होने वाला है इसलिए ये लव जिहाद और लैंड जिहाद के मुद्दे पर ओछी राजनीति करने पर उतारू है.

संत समाज का मिल रहा साथ
इस मामले पर भले ही बीजेपी को कांग्रेस ने घेर लिया हो मगर प्रदेश के सभी धामों से संत समाज का साथ मानो बीजेपी को मिलने लगा है, फिर चाहे वो गंगोत्री हो यमुनोत्री धाम हो या फिर केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम. संत-समाज एक सुर में बोलने लगा है कि ये एक अच्छा कदम साबित होगा. लिहाजा लव जिहाद के साथ ही लैंड जिहाद को भी रोकने की सख्त जरूरत है.

बीजेपी नेता अजेंद्र ने जुलाई में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर इस विषय को उठाया था और उन्हें एक पत्र सौंपा था. पत्र में उन्होंने इस हेतु एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग उठाई थी, जो इस संबंध में विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर नए कानून के प्रारूप को तैयार कर सके.

पत्र में उन्होंने आध्यात्मिक और सुरक्षा कारणों के चलते विषय पर ठोस निर्णय लेने का अनुरोध किया था. पत्र में कहा गया है कि देवभूमि उत्तराखंड आदिकाल से अध्यात्म की धारा को प्रवाहित करता आया है.