तेजस्वी नीतीश के साथ सरकार में अपने चुनावी वादों को किस हद तक पूरा कर पाएंगे?

To what extent will Tejashwi be able to fulfill his election promises in the government with Nitish?
To what extent will Tejashwi be able to fulfill his election promises in the government with Nitish?
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नई दिल्ली। बिहार की सत्ता में वापसी के लिए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने साल 2020 में रोजगार देने से लेकर कर्जमाफी करने तक का ख्वाब दिखाया था, लेकिन उस समय जनादेश बीजेपी-जेडीयू के पक्ष में चला गया था. ऐसे में बिहार की सियासत ने दो साल बाद ऐसी करवट बदली की नीतीश कुमार एनडीए से नाता तोड़कर आरजेडी से हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री बन गए हैं तो तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली है. चाचा-भतीजे गिले-शिवे भुलाकर गले तो मिल गए हैं, लेकिन तेजस्वी यादव क्या नीतीश से अपने चुनावी वादों को पूरा करा पाएंगे?

कितने लोगों को मिलेगा रोजगार
बिहार में सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है. तेजस्वी यादव ने विपक्ष में रहते हुए दावा किया कि युवाओं को सरकार रोजगार नहीं दे रही. देश में सबसे ज्यादा बेरोजगार बिहार में हैं. 2020 के चुनाव में तेजस्वी ने वादा किया था कि सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में बेरोजगारों को नौकरी देंगे. तेजस्वी ने 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था. इसका उन्हें सियासी फायदा भी मिला था. तेजस्वी अब दो साल के बाद सत्ता में आ गए हैं तो बिहार में रोजगार देने की याद दिलाई जा रही है.

हालांकि तेजस्वी ने डिप्टी सीएम पद की शपथ लेते ही कहा है कि एक महीने के अंदर बंपर नौकरियां देंगे. लेकिन नौकरियां पैदा करने के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है. इसके लिए बहुत काम करना होगा. रोजगार देने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात हो गई है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग विभागों से नौकरी निकाली जाएंगी, लेकिन यह नहीं बताया कि पहली कैबिनेट में रोजगार को लेकर क्या कदम उठाएंगे.

तेजस्वी यादव कहते रहे हैं कि उनकी सरकार बनी तो बिहार के युवाओं के लिए 85 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. यही नहीं, तेजस्वी का वादा बिहार में संविदा प्रथा को खत्म कर कर्मचारियों को स्थाई करने का भी है. इसके अलावा सरकार में आने पर उन्होंने सभी विभागों में निजीकरण को समाप्त करने का वादा किया था. ऐसे में जाहिर है कि तेजस्वी यादव अब खुद सत्ता में हैं तो उनके ऊपर ये वादा पूरा करने का बड़ा बोझ होगा. हालांकि, नौकरी में आरक्षण के वादे को नीतीश कुमार पूरा कर सकते हैं, लेकिन संविदा प्रथा खत्म कर स्थाई नौकरी देना आसान नहीं है.

युवाओं को बेरोजगारी भत्ता
तेजस्वी यादव ने चुनाव के दौरान 10 लाख रोजगार का वादा किया था और नौकरी न देने पर युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा कर रखी है. आरजेडी के घोषणा पत्र में बेरोजगार युवाओं को सत्ता में आने पर 1500 रुपये हर महीने बेरोजगारी भत्ता देने का चुनावी वादा किया गया था. आर्थिक रूप में बोझ के तले दबे बिहार में बेरोजगारी भत्ता देना नीतीश सरकार के लिए काफी चुनौती पूर्ण है. ऐसे में देखना है कि तेजस्वी यादव अब सरकार में रहते हुए इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं?

किसानों की कर्जमाफी कैसे होगी
तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव के दौरान वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर किसानों का कर्ज पूरी तरह से माफ कर दिया जाएगा. लगभग हर राज्य में हर पार्टी किसानों की कर्जमाफी अपने चुनावी वादों में शामिल करती है लेकिन इसे पूरी तरह से अंजाम दे पाना आसान नहीं होता है. कांग्रेस भी किसानों की कर्जमाफी को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था. ऐसे में तेजस्वी और कांग्रेस दोनों ही नीतीश कुमार की सरकार के साथ है. ऐसे में किसानों की कर्जमाफी को लेकर नीतीश कैसे और क्या कदम उठाते हैं देखना होगा. इसके अलावा बिहार में किसान आयोग गठन करने का भी वादा तेजस्वी ने कर रखा है.

पेंशन में बढ़ोतरी का वादा
तेजस्वी यादव ने चुनाव के दौरान कई बड़े वादे किए थे, जिनमें बुजुर्गों और गरीबों का मिलने वाली पेंशन को 400 रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर 1000 रुपए करने का वादा किया था. हालांकि, नीतीश कुमार ने पेंशन को पहले ही बढ़ाकर 500 रुपये प्रति माह कर दिया है, लेकिन तेजस्वी के वादे को पूरा करने के लिए उन्हें दोगुना पेंशन करना होगा. इसके अलावा व्यावसायिक आयोग, युवा आयोग और खेल आयोग का गठन करने का भी वादा किया था.

बिहार में कैसे लगेंगे उद्योग?
नीतीश कुमार ने 2020 में बीजेपी के साथ सरकार बनाई तो केंद्र सरकार की तरफ से बिहार में कई नई इंडस्ट्रियां लगाने का वादा किया गया. बीजेपी ने वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद के रास्ते भेजकर सूबे में उद्योग मंत्री का भार सौंपा गया था. उन्होंने बिहार में देश के पहले ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट की शुरूआत की. इसके अलावा बंद पड़े उद्योगों को भी शुरू करने की दिशा में कवायद हो रही थी.

ऐसे में बीजेपी के सत्ता से बाहर होने के बाद तेजस्वी के कंधों पर उद्योग लगने के माहौल को बनाए रखने का होगा, क्योंकि चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि जो भी कारखाने बंद पड़े हैं, उन्हें शुरू किया जाएगा. हालांकि, एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश सरकार को केंद्र में एनडीए सरकार से मिलने मदद जारी रखेगी या नहीं देखना होगा.