दो कमाऊ बेटे और चार बेटियों ने बुजुर्ग को साथ रखने से किया मना, यूरिन बैग पकड़े दर-दर की ठोकरें खा रहा पिता

Two earning sons and four daughters refuse to keep the elderly together, the father is stumbling after holding the urine bag
Two earning sons and four daughters refuse to keep the elderly together, the father is stumbling after holding the urine bag
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है क्योंकि अक्सर कहा जाता है कि जिसकी औलादें हो उसे बुढ़ापे की क्या चिंता पर ऐसा 85 साल बुजुर्ग के साथ नहीं है। शहर में तीन दिन से बुजुर्ग पिता को घर भेजने के लिए दो बेटों की काउंसिलिंग चल रही थी पर सारी कोशिशें बेकार हो गई। अपने बेटों की हरकतों से तंग आकर बुजुर्ग ने साथ जाने से मना कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने बुजुर्ग की तहरीर पर दोनों बेटों के खिलाफ मारने-पीटने के साथ-साथ प्रताड़ित करने का मुकदमा दर्ज कर लिया। बुजुर्ग पिता को जब बेटें थाने लेने पहुंचे तो उन्होंने उनकी तरफ देखने तक से मना कर दिया। बेटों की करतूतों से परेशान पिता ने कहा कि वृद्धाश्रम में सिर पर छत है और इज्जत की दो रोटी तो मिलेगी। चार दिन की जिंदगी यहीं पर काट लूंगा, पर इनके साथ नहीं जाऊंगा।

बुजुर्ग पिता को किसी बच्चे ने नहीं दी पनाह
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को वन स्टॉप सेंटर की टीम ने 85 वर्षीय बुजुर्ग रामेश्वर प्रसाद को सरोजनीनगर के वृद्धाश्राम में पहुंचाया था क्योंकि बुजुर्ग का आरोप था कि उसके दोनों बेटों ने उसे प्रताड़ित किया है। इतना ही नहीं बड़े बेटे ने तो घर से अपमानित करके घर से निकाल दिया था। वन स्टॉप सेंटर की टीम की मदद से उन्होंने केस दर्ज करवाया है। बीमारी की हालत में हाथ में यूरिन बैग पकड़े बुजुर्ग दर दर की ठोकरे खा रहे थे लेकिन उनके किसी भी बच्चे ने उनको पनाह नहीं दी, जिसके बाद सड़क पर थे। दो कमाऊ बेटे और चार बेटियों के होते हुए भी वह दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हैं। बेटों ने उन्हें घर से निकाल दिया तो वहीं बेटी ने भी साफ कह दिया कि बेटे हैं तो उनके पास जाओ, हम नहीं रख सकते।

मारपीट करने के साथ प्रताड़ित करते है बेटे
बुजुर्ग रामेश्वर प्रसाद हाथ में थैला लिए, यूरिन बैग लिए सड़क पर पड़े थे। वहां से गुजर रही प्रियंका सिंह की सूचना पर 181 वन स्टॉप सेंटर की टीम ने पिछले सोमवार को सरोजनीनगर स्थित एसएस वृद्धाश्रम में आश्रय दिलवाया। इसके बाद सेंटर में काउंसिलिंग के दौरान रामेश्वर ने एक पत्र लिखकर अपना दर्द बयां किया। उन्होंने बताया कि पुराना टिकैतगंज में घर हैं। खड़े मसाले का काम था पर उम्र बढ़ने के साथ वह भी बंद हो गया। चार बेटियां है जिनकी शादी हो चुकी है। दोनों बेटे ड्राइवर है, जिन्होंने घर से निकाल दिया। जिसके बाद तबीयत खराब हुई तो बलरामपुर अस्पताल में जाकर भर्ती हो गया पर वहां से शनिवार को डिस्चार्ज कर दिया। उसके बाद बेटी के घर गए तो उसने भी पनाह नहीं दी।

नम आंखों से बुजुर्ग पिता ने बयां किया अपना दर्द
रामेश्वर प्रसाद ने नम आंखों से बताया कि कमाई बंद हुई तो मैं बोझ बन गया। इतना ही नहीं बड़ा लड़का तो दो बार मार भी चुका है। बढ़ती उम्र की वजह से कोई काम भी कर सकता है, खाने और दवा की दिक्कत हो रही है। इससे अच्छा है किसी वृद्धाश्रम में जगह दिलवा दीजिए। 181 वन स्टॉप सेंटर प्रभारी अर्चना सिंह ने बताया कि जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनीता सिंह ने तुरंत बुजुर्ग को आश्रय दिलवाया। इस मामले को लेकर डीपीओ विकास सिंह के निर्देश पर मंगलवार को सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत बेटों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। वहीं प्रभारी निरीक्षक बाजारखाला विनोद कुमार यादव के मुताबिक, जांच की जा रही है।