उत्तराखंड में अनूठी पहल… शराब और दहेज पर बैन, शगुन में 1 रुपया देकर होगी दुल्हन की विदाई

Unique initiative in Uttarakhand... Ban on alcohol and dowry, bride's farewell will be done by giving 1 rupee in omen
Unique initiative in Uttarakhand... Ban on alcohol and dowry, bride's farewell will be done by giving 1 rupee in omen
इस खबर को शेयर करें

पिथौरागढ़ : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में चीन सीमा से सटे गांवों में रहने वाले रंग जनजाति के लोगों ने अनूठी पहल की है. यहां शगुन के तौर पर 1 रुपया देकर दुल्हन को विदा किया जाएगा और टॉफी खिलाकर दूल्हा और दुल्हन का मुंह मीठा कराया जाएगा. साथ ही शादी विवाह समारोह में शराब के साथ ही डीजे पर भी बैन लगाने की निर्णय लिया गया है. लोगों का मानना है कि धीरे-धीरे पहाड़ की मूल संस्कृति खत्म होती जा रही है. इसी को देखते हुए पिथौरागढ़ में चीन सीमा के नजदीक रहने वाली रंग जनजाति ने अपनी सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए अनोखी मुहिम शुरू की है.

पिथौरागढ़ में रंग जनजाति की अनूठी पहल
धारचूला में रंग समुदाय से जुड़े विभिन्न गांवों के लोगों ने एक बैठक में फैसला लिया कि विवाह समारोहों में डीजे के साथ ही शराब भी पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होगी. साथ ही दुल्हन को शगुन के रूप में 1 रुपया देकर विदा किया जाएगा. इससे अमीरी और गरीबी का भेद भी दूर होगा.

रंग जनजाति की अनूठी पहल
अक्सर देखा जाता है कि शादी समारोहों में फिजूल खर्ची होती है. साथ ही समारोहों में शराब का प्रचलन भी तेजी से बढ़ रहा है. इसे देखते हुए समुदाय के लोगों ने नियम बनाए हैं. इसमें अब दूल्हे की तरफ से मात्र एक रुपया शगुन दुल्हन को देना होगा. मिठाइयों की जगह टॉफियों से मुंह मीठा किया जाएगा. बताते चले कि रं समुदाय में दहेज प्रथा पहले से ही नहीं है, लेकिन अब दुल्हन की मेहंदी की रस्म के दिन भी सिर्फ उसी के परिवार वाले और रिश्तेदार शामिल होंगे. बाकी लोगों के लिए विवाह में ही भोजन की व्यवस्था की जाएगी. साथ ही पहाड़ों पर बारातियों को शगुन देने की परंपरा भी है. इसे अब रं समुदाय के लोगों ने बंद कर दिया है.

रंग समुदाय की यशोदा तिनकरी का कहना है कि समुदाय के विवाह कार्यक्रमों के साथ ही अन्य आयोजनों में एकरूपता लाने के लिए यह निर्णय लिया गया है. पहले से ही समाज में कई नियम बने हुए हैं लेकिन उन्होंने 6 गांवों के साथ बैठक करके समाज के लिए कड़े नियम बना दिए हैं. इससे पारंपरिक विरासत बची रहेगी.