यूपी: हाई कोर्ट ने चकबंदी विभाग पर लगाया 50 हजार रुपये का जुर्माना, सात साल से किराया नहीं देने पर कोर्ट सख्त

UP: High Court imposed a fine of Rs 50,000 on Consolidation Department, court strict for not paying rent for seven years
UP: High Court imposed a fine of Rs 50,000 on Consolidation Department, court strict for not paying rent for seven years
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मिर्जापुर में चकबंदी कार्यालय व अदालत के लिए किराये पर लिए गए भवन का सात साल बाद भी किराया और बिजली बिल नहीं चुकाने को बेहद गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने बाजार दर से किराये का पुनर्निर्धारण कर 8 फीसदी ब्याज सहित भुगतान करने का निर्देश दिया है। सात साल तक उपयोग की गई बिजली का बिल अदा करने के लिए दो हफ्ते दिए गए हैं। कोर्ट ने याची का मकान किराये पर लेने के सात साल बाद मामूली रकम की मंजूरी देने को भी मनमाना व अवैध करार दिया है। सरकार को निर्देश दिया है कि वह याची को परेशान करने पर दो हफ्ते में 50 हजार रुपये हर्जाने का भुगतान करे।

न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी और न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मेघनाथ चौरसिया की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया। याची मेघनाथ ने कोर्ट को बताया कि चकबंदी विभाग ने मिर्जापुर की लालगंज तहसील के सेमरा कलां गांव में रातेह चौराहे पर 20 दिसंबर 2015 को उसका मकान बहुत कम किराये में तय किया। इसमें कार्यालय व अदालत बैठी। किराये के अनुमोदन के लिए मंडलायुक्त को भेजा गया। इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो याची ने शिकायत की। इसके बावजूद न तो किराया दिया गया, न ही बिजली बिल का ही भुगतान किया गया। कहीं सुनवाई न होने पर याचिका दायर करनी पड़ी।

कोर्ट ने दबाव बनाया तो बताया गया कि आयुक्त ने किरायेदारी का अनुमोदन देने से इंकार कर दिया है। कहा, प्राइवेट भवन किराये पर नहीं ले सकते। कोर्ट के निर्देश पर सचिव राजस्व/चकबंदी आयुक्त का हलफनामा दाखिल किया गया। बताया गया कि किरायेदारी नामंजूर कर दी गई है और किराये व बिजली बिल मद में 5 लाख 20 हजार रुपये का बजट दिया गया है। कोर्ट ने इसे काफी कम माना और कहा 88 महीने तक तय किराये का भुगतान नहीं किया और सात साल बाद इतनी कम राशि स्वीकृत कर अवैध कृत्य किया है। कोर्ट ने मार्केट दर से किराया तय करते हुए भुगतान करने का आदेश दिया है।