
- पहलवानों के झूठ पर सनसनीखेज खुलासा! नाबालिग पहलवान के पिता कर दिया पूरा मामला साफ - June 7, 2023
- सूटकेस में मिली हाथ पर त्रिशूल के टैटू वाली लडकी की लाश, हत्यारे को देख उडे सबके होश - June 7, 2023
- दूल्हा-दुल्हन की सुहागरात पर हार्ट अटैक से एक साथ मौत, ऐसा क्यों हुआ? विशेषज्ञ ने बताई ये वजह - June 7, 2023
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार के कार्यकाल के दौरान आयुष कॉलेजों में सीट आवंटन में हुई गड़बड़ी की अब सीबीआई जांच हो. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मिर्जापुर के निजी आयुर्वेद कॉलेज संचालिका ऋतु गर्ग की याचिका पर सुनवाई करते हुए ऋतु गर्ग को जहां सशर्त जमानत दी है. वहीं इस पूरे घोटाले में बीजेपी सरकार के पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी व विभाग के अपर मुख्य सचिव की मिलीभगत को देखते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.
बीते नवंबर महीने में प्रदेशभर के आयुष कॉलेजों में एडमिशन और सीट आवंटन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पर लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. मामले की जांच यूपी एसटीएफ को दी गई. जांच में पता चला निजी कॉलेजों में छात्रों को सीट आवंटन करने के नाम पर करोड़ों की घूसखोरी की गई है. इस घूस का हिस्सा योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में आयुष मंत्री रहे धर्म सिंह सैनी के पास तक पहुंचाया गया है.
CBI जांच के आदेश
पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी के निजी सचिव राजकुमार दिवाकर और आयुर्वेद निदेशालय के प्रभारी डॉ उमाकांत यादव के बयान से पता चला है कि निजी कॉलेजों ने छात्रों को काउंसलिंग के दौरान UG कोर्स में उनके कॉलेज में सीट आवंटित करने के लिए 1 करोड़ 10लाख और पीजी कोर्स में सीट आवंटित करने के लिए 50 लाख रुपये तक की घूस देने की पेशकश की गई थी. इस मामले में प्रदेशभर के तमाम निजी आयुर्वेद कॉलेज जांच के दायरे में आए. इसी कड़ी में मिर्जापुर के आयुर्वेद कॉलेज से जुड़ी रितु गर्ग को गिरफ्तार किया गया. रितु गर्ग की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस राजीव सिंह ने सुनवाई करते हुए जहां रितु गर्ग को सशर्त जमानत देने का आदेश दिया, वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट ने आयुर्वेद निदेशालय के कार्यालय प्रभारी डॉ उमाकांत यादव के बयान को आधार मानते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.
UPSTF को जांच के दौरान उमाकांत यादव ने बयान दिया कि साल 2019 के सीट आवंटन में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई. उमाकांत यादव ने एसटीएफ को बताया कि सहारनपुर के जामिया तिब्बिया यूनानी कॉलेज के संचालक डॉ अनवर शहीद और मुजफ्फरनगर के भारत आयुर्वेद कॉलेज के डॉक्टर अकरम उनसे और डायरेक्टर आयुष चिकित्सा सैमसंग से मिलने आए और कहा कि प्रदेशभर के निजी आयुर्वेद कॉलेज यूजी कोर्स के लिए 1 करोड़ 10लाख और पीजी कोर्स के लिए 50 लाख रुपये इकट्ठा कर दे सकते हैं. इस पेशकश पर डायरेक्टर एसएन सिंह ने कहा मंत्री के निजी सचिव राजकुमार दिवाकर से बात कर मामला सेट करते हैं. उसी शाम डायरेक्टर ने निजी कॉलेज में एडमिशन का प्रस्ताव तैयार कर मंत्री से मिलने पहुंचे, जहां निजी सचिव राजकुमार दिवाकर से मुलाकात के बाद मामला तय हुआ और 10 लाख एडवांस लिए गए.
कुछ ऐसे हुआ पैसों का बंटबारा
डॉक्टर अकरम और डॉक्टर अनवर की तरफ से दिए गए 10 लाख एडवांस रुपयों में 2 लाख रुपये उमाकांत को 2 लाख मंत्री के निजी सचिव राजकुमार दिवाकर को और 6 लाख एसएन सिंह के हिस्से में आए. इसके बाद 1करोड़ रुपये आए. जिसमें से 35 लाख रुपये मंत्री धर्म सिंह सैनी को उनके सरकारी आवास पर दिए गए. 24 लाख रुपए संयुक्त सचिव आयुष चिकित्सा लक्ष्मण सिंह 20 लाख रुपये एसएन सिंह को, 10 लाख रुपये उमाकांत यादव और 26 लाख रुपये शासन के अफसरों को बांटने के लिए रखे गए. पीजी की सीट के लिए भी 50 लाख रुपये आए जिसमें 30 लाख रुपये मंत्री को, 5 लाख रुपये डायरेक्टर एसएन सिंह, 5 लाख रुपये उमाकांत यादव को दिए गए.
इतना ही नहीं यूपी एसटीएफ को दिए बयान में डॉक्टर उमाकांत ने कहा कि निजी कॉलेजों को एनओसी देने के नाम पर 4 से 5 लाख रुपये की घूस भी ली जाती रही है.
आखिर ऑफलाइन ही हुई काउंसलिंग
STF की जांच के दौरान पता चला कि नियमानुसार ऑनलाइन काउंसलिंग Uptron Electronics को करवानी थी. लेकिन Uptron इलेक्ट्रॉनिक्स ने यह ठेका V3 soft solutions को दे दिया और V3 soft solutions ने इसके लिए Techno ocean IT solutions को काम सौंप दिया. तीन कंपनियों को ऑनलाइन काउंसलिंग कराने का ठेका ट्रांसफर हुआ. उसके बाद भी काउंसलिंग ऑफलाइन ही कराई गई. जांच के आधार पर जस्टिस राजीव सिंह की सिंगल बेंच ने आयुष घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है.
बता दें कि इस मामले में जांच कर रही UPSTF में अब तक 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. जांच के दौरान पता चला प्रदेशभर में आयुष कोर्स के लिए 7338 सीट हैं. 1181 छात्रों के रिकॉर्ड Neet लिस्ट में है. इनमें से 927 छात्रों को सीट मिली, लेकिन सीट पाने वाले 891 छात्रों का रिकॉर्ड भी NEET लिस्ट में था ही नहीं. यानी मनमाने ढंग से घूस लेकर छात्रों को निजी और सरकारी कॉलेजों में सीट आवंटित की गई जिस पर अब सीबीआई जांच के आदेश हुए हैं.