अतीक के बेटों को लेकर यूपी पुलिस की नई तैयारी, घबराई शाइस्‍ता की अर्जी

UP Police's new preparation regarding Atiq's sons, Shaista's application panicked
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प्रयागराज। Prayagraj Shootout: माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन ने उमेश पाल की हत्या के बाद पुलिस द्वारा बेटों को उठाने के मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उधर, पुलिस अतीक के बेटों पर गैंगस्‍टर लगाने की तैयारी में है। इसके लिए रिपोर्ट तैयार की जा रही है। हाईकोर्ट में खालिद अजीम उर्फ अशरफ की बीवी जैनब फातिमा, अतीक की बहन आयशा नूरी और भांजी को अवैध अभिरक्षा में लिए जाने को लेकर भी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई। याचिकाओं में इन सभी को कोर्ट ने पेश किए जाने की मांग की गई । याचियों के वकीलों ने कोर्ट से याचिका पर शुक्रवार को ही सुनवाई के लिए आग्रह किया लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया।

याचिकाओं में कहा गया है कि अतीक के नाबालिग बेटों मोहम्मद अहजम और मोहम्मद आबान, अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा, अतीक की बहन आयशा नूरी और भांजी को पुलिस गत 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या के बाद उठा ले गई है और कोई जानकारी नहीं दे रही है। पुलिस इन्हें पांच दिन से अवैध हिरासत में रखे है और कुछ बता नहीं रही है।

अतीक के बेटों का पहले भी आ चुका है नाम

अतीक अहमद के बेटों आपराधिक घटनाओं में इसके पहले भी नाम आ चुका है। प्रॉपर्टी डीलर मोहित जायसवाल ने लखनऊ में अतीक समेत अन्य के खिलाफ अपहरण और रंगदारी की एफआईआर दर्ज कराई थी। इस केस में अतीक के बेटे उमर का नाम सामने आया था। लखनऊ पुलिस कार्रवाई के नाम पर सिर्फ छापामारी कर रही थी लेकिन सीबीआई ने उसे वांटेड कर दो लाख का इनाम कर दिया। इस पूरे गैंग पर कार्रवाई की गई। लेकिन लखनऊ पुलिस ने संगठित अपराध होने के बाद भी गैंगस्टर की कार्रवाई नहीं की। इसी तरह अतीक के दूसरे बेटे अली के खिलाफ जीशान ने करेली थाने में रंगदारी और जानलेवा हमले की रिपोर्ट दर्ज कराई। दस के खिलाफ कार्रवाई हुई।

इसके बाद पूरामुफ्ती थाने में भी जानलेवा हमला और रंगदारी की रिपोर्ट दर्ज हुई। दोनों ही केस में संगठित अपराध की बात सामने आई लेकिन प्रयागराज पुलिस ने भी गैंगस्टर की कार्रवाई नहीं की। एफआईआर होते ही पुलिस अफसरों ने कहा था कि अतीक के बेटे पर गैंगस्टर लगेगा लेकिन लगा नहीं। अतीक के तीसरे बेटे असद पर उमेश पाल की हत्या की साजिश का आरोप लगा है। इस केस में संगठित अपराध का मामला सामने आया है। उमेश ने एक गैंग बनाकर वारदात को अंजाम दिया लेकिन अभी तक किसी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में एफआईआर दर्ज नहीं की गई।

तो क्या सिपाही चला रहे धूमनगंज थाना
धूमनगंज थाने को दो दिनों से सिपाही चला रहे हैं क्योंकि थाना प्रभारी बाहर हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि प्रभारी निरीक्षक से मांगी गई रिपोर्ट में थाने के हेड मुहर्रिर के द्वारा लगातार मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत को लिखित रूप से यह बताया जा रहा है।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार गौतम कि न्यायालय में अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन की ओर से दी गई अर्जी पर कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी तो दो मार्च को धूमनगंज थाने के हेड मुहर्रिर ने लिखकर न्यायालय को दिया कि प्रभारी निरीक्षक थाना धूमनगंज थाने से बाहर गए हुए हैं। इस रिपोर्ट पर अधिवक्ताओं ने आपत्ति की तो न्यायालय ने पुन स्पष्ट आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया पर थाने से कोई आख्या न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की गई।

अतीक के भाई अशरफ के ससुर मंसूर अहमद ने न्यायालय के समक्ष एक प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया था कि अशरफ की पत्नी व बेटी को धूमनगंज पुलिस उठाकर ले गई है। सर्च वारंट जारी किया जाए। इस पर न्यायालय ने धूमनगंज थाने के प्रभारी निरीक्षक से रिपोर्ट देने का आदेश दिया तो तीन मार्च को न्यायालय के समक्ष धूमनगंज थाने के हेड मुहर्रिर कृष्णानंद राय ने रिपोर्ट दी कि प्रभारी निरीक्षक थाने से बाहर गए हुए हैं।

शाइस्ता की अर्जी पर नहीं दी रिपोर्ट
शाइस्ता परवीन के प्रार्थना पत्र पर सीजेएम कोर्ट में पुलिस ने कोई रिपोर्ट नहीं पेश की। हालांकि सुनवाई हुई और अदालत ने धूमनगंज थाना के भारसाधक अधिकारी से 4 मार्च तक अपनी आख्या पेश करने का आदेश दिया। अधिवक्ता विजय मिश्रा ने आपत्ति की कि कोर्ट ने थाना धूमनगंज से स्पष्ट आख्या तीन मार्च को पेश करने के लिए कहा था लेकिन संबंधित अधिकारी ने कोई आख्या प्रस्तुत नहीं की। कोर्ट ने थाना धूमनगंज के भारसाधक अधिकारी को पुन आदेशित किया कि वह आवेदिका की अर्जी के मामले में स्पष्ट आख्या नियमानुसार कोर्ट के समक्ष 04 मार्च तक पेश करें।

जैनब मामले में भी सिपाही ने दी रिपोर्ट
अशरफ के ससुर मंसूर अहमद की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर शुक्रवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में सुनवाई हुई। आख्या पर आवेदक के अधिवक्ता ने कड़ा विरोध किया कि उक्त रिपोर्ट थाने के भारसाधक अधिकारी ने अग्रसारित नहीं की है, जो आपत्तिजनक हैं। साथ ही थाना पूरामुफ्ती द्वारा इस संबंध में कोई आख्या प्रेषित नहीं की गई हैं। आख्या के बिन्दु पर कोर्ट ने थाना धूमनगंज एवं पूरामुफ्ती के भारसाधक अधिकारी को आदेशित किया कि आवेदक के प्रार्थनापत्र के संबंधम में नियमानुसार अपनी आख्या 04 मार्च 2023 तक प्रस्तुत करें।

गुलाम के भाई से भाजपा का किनारा
उमेश पाल हत्याकांड में शामिल शूटर गुलाम के भाई और महानगर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष राहिल हसन से पार्टी ने पल्ला झाड़ लिया है। भाजपा के महानगर अध्यक्ष गणेश केसरवानी ने शुक्रवार को सफाई दी है कि विधानसभा चुनाव से पहले 2021 के अंत में सिराजुद्दीन को अल्पसंख्यक मोर्चा का महानगर अध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि बाद में अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रांतीय अध्यक्ष बासित अली ने राहिल को महानगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। मोर्चा के सभी पदाधिकारियों में आपस में सामंजस न बैठने और संगठन के कार्यों में अनुशासनहीनता के कारण तकरीबन नौ महीने बाद चार सितंबर 2022 को अल्पसंख्यक मोर्चा की पूरी कमेटी भंग करते हुए राहिल को पार्टी से निकाल दिया गया था। पिछले छह महीनों से राहिल का पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है।

अपहरण के मुकदमे में सुनवाई जारी
उमेश पाल के अपहरण के मुकदमे में शुक्रवार को दोपहर दो बजे से सुनवाई हुई। बचाव पक्ष की ओर के अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा। बहस शनिवार को भी जारी रहेगी। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील वैश्य ने बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार उमेश पाल अपहरण के मुकदमे की सुनवाई दिन प्रतिदिन चल रही है। मुकदमे का फैसला 16 मार्च तक होना है। मुकदमे की सुनवाई शनिवार चार मार्च को दो बजे विशेष न्यायधीश की अदालत में होगी। बता दें कि 24 फरवरी को इसी मुकदमे की सुनवाई के बाद घर पहुंचे उमेश पाल की हत्या कर दी गई थी।

अशरफ की पत्नी, बहन समेत तीन का चालान
अशरफ की पत्नी, बहन और एक लड़की को जबरदस्ती पकड़ने का मामला कोर्ट पहुंचा तो शुक्रवार शाम पुलिस हरकत में आ गई। तीनों महिलाओं का शांतिभंग में चालान कर दिया। इससे पूर्व उनसे गहन पूछताछ की गई थी लेकिन उमेश पाल के शूटरों के बारे में उनसे कोई जानकारी नहीं मिली।

फरारी के दौरान अशरफ कौशाम्बी के हटवा स्थित अपनी ससुराल में तीन साल तक छिपा रहा। उमेश पाल हत्याकांड में फरार हुए अतीक के बेटे की तलाश में पुलिस ने अशरफ के ससुराल में छापामारी की थी। वहां से अशरफ की पत्नी जेनब फातिमा समेत तीन महिलाओं को पकड़ा था। इनमें अतीक की बहन भी शामिल थी। वह मेरठ से अशरफ के ससुराल पहुंची थी। उसने पुलिस से बदसलूकी भी की थी। इन तीनों को पकड़कर महिला पुलिस ने अतीक के बेटे के बारे में पूछताछ की लेकिन पता चला कि असद उनके घर पर नहीं पहुंचा था।

कॉल डिटेल से भी उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। इस बीच अशरफ की पत्नी के अधिवक्ता ने बिना कारण उनको कस्टडी में रखने का आरोप लगाते हुए कोर्ट से मदद की गुहार लगाई। कोर्ट के संज्ञान लेने के पूर्व ही एसीपी की कोर्ट ने तीनों को शांतिभंग में चालान कर मुचलके पर छोड़ दिया। कैंट थाने से अशरफ के रिश्तेदार उन्हें ले गए।