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लखनऊ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड इलाके में इन दिनों खाद की किल्लत है। किसानों को डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) नहीं मिल पा रही। खाद की कमी का मामला पिछले दिनों भाजपा विधायकों-सांसदों की क्षेत्रवार बैठक में भी उठा था। तब बृज क्षेत्र और कई अन्य इलाके के जनप्रतिनिधियों ने डीएपी की उपलब्धता न होने का मामला उठाया था। रबी की फसल की बुवाई के वक्त डीएपी की कमी किसानों की परेशानी बढ़ा रही है।
केंद्र द्वारा उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ाने का फैसला तो ले लिया गया लेकिन बाजार में इसकी उपलब्धता में सुधार होने में कुछ वक्त लग सकता है। इसका असर दिखने लगा है। पश्चिमी यूपी मे खासतौर से आलू की पैदावार वाले इलाके और बुंदेलखंड के दलहन क्षेत्र में किसानों की शिकायत है कि उन्हें डीएपी नहीं मिल पा रही। जबकि रबी फसलों की बुवाई का काम शुरू हो चुका है। यह करीब दिसंबर मध्य तक चलेगा। इस मामले की शिकायतें विभाग और शासन तक भी पहुंची हैं। किसानों से डीएपी पर निर्भरता कम करने के सुझाव के साथ ही जमाखोरी रोकने के निर्देश दिए गए हैं।
कृषि निदेशक विवेक सिंह ने बताया कि डीएपी की कुछ कमी की शिकायत मिली है लेकिन एनकेपी की उतनी किल्लत नहीं है। किसानों को केवल डीएपी पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए। अब जैविक खेती की ओर बढ़ना ही सबसे बेहतर विकल्प है।