अभी अभीः टिकैत बंधुओं पर नई भाकियू का बडा हमला, बोलेः दोनों ने भाकियू को बना डाला…

Just now: New Bhakiyu's big attack on Tikait brothers, said: Both made Bhakiyu...
Just now: New Bhakiyu's big attack on Tikait brothers, said: Both made Bhakiyu...
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मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में नवगठित भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता कर कहा,’ किसान आंदोलन कपिल शर्मा के कामेडी शो की तरह है। उसके नेता भटकाव की ओर हैं। भाकियू में लोकतांत्रिक व्यवस्था नाम की कोई चीज बाकी नहीं रही गई। सफाई दी कि नया संगठन बनाकर उनका मकसद बालियान खाप का निरादर करना कतई नहीं और न ही ऐसा कुछ हो सकता है’

भाकियू अराजनैतिक के मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र सिंह मलिक ने कहा कि लखनऊ में चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर एक नए संगठन का गठन किया गया। जिसमें उस विचारधारा के लोग थे जो यह कहते थे कि भारतीय किसान यूनियन भटकाव की और है, और विचारों से समझौता कर रही। उन्होंने कहा कि बात किसानों की लड़ाई की जरूर है, लेकिन आंदोलन में असल मुद्दों को पीछे रखा जा रहा है, ब्रांडिंग की कोशिश है।

जिस तरह देश में कपिल शर्मा का कामेडी शो चल रहा है। उसी तरह से किसान आंदोलन के नाम पर एक कामेडी शो चलाया जा रहा है। जिसमें राष्ट्रीयता और देशहित कहीं दिखाई नहीं देते। धर्मेन्द्र मलिक ने कहा कि किसान नेता स्व. चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत ने कई आंदोलन इसलिए समाप्त कर दिये थे, उनमें उन्होने महसूस किया था कि आंदोलन भटकाव की और चले गए। कहा कि सरकार से लड़ाई चलती रहेगी।

उन्होंने कहा कि वह किसी एक संगठन को नहीं कह रहे, किसान मोर्चा में बहुत से संगठन थे। उन्होंने कहा कि विचार के लोग विचार और लक्ष्य को नहीं छोड़ सकते। उन्होंने कहा कि एक एसी भावना पैदा की गई कि नया संगठन बालियान खाप पर हमला है। किसी नए संगठन के बनने से किसी खाप पर हमला कैसे हो सकता है। पहले से ही यह परंपरा रही है कि जब भी नया प्रयास किया गया तो उसे खाप के नाम पर तोड़ने का प्रयास किया गया। बालियान खाप के चौधरी सभी के लिए आदरणीय है।

धर्मेन्द्र मलिक ने कहा कि जब भी भाकियू ने सहयोग मांगा सहयोग दिया गया। लेकिन उसके बाद भाकियू में खाप की और किसी ने मुड़कर भी नहीं देखा। संगठन के किसी भी निर्णय में खाप पदाधिकारियों से कुछ नहीं पूछा गया। विचाराधारा एक होती है तो संगठन अलग होने पर भी एक साथ कार्य किया जा सकता है।

जब संयुक्त मोर्चा में 500 किसान संगठन हो सकते हैं तो 501 पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने भाकियू पर हमला बोलते हुए कहा कि भाकियू में हमेशा ही आंतरिक लोकतंत्र का लोप रहा है। किसे कौन सा पद दिया गया इसके लिए कभी कोई चुनाव नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उन पर किसी का दबाव नहीं है।

उनकी कोई फैक्ट्री नहीं चल रही। कहा कि वह लिखकर देने के लिए तैयार है कि उनकी ईओडब्लू से जांच कराए। कहा कि उन लोगों की भी जांच होनी चाहिए जो उन पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि एमएसपी गारंटी कानून आ जाए तो फिर कोई भी कृषि कानून किसी किसान का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। आंदोलन के नाम पर कानून खत्म करने की बात की गई, यदि एमएसपी गारंटी कानून पर समझौता किया होता तो अधिक बेहतर रहता।

गठवाला खाप चौधरी एवं नवगठित भाकियू के संरक्षक चौ. राजेन्द्र सिंह मलिक ने कहा कि आज समाज को भ्रमित किया जा रहा है। 1 मार्च 1987 को भारतीय किसान यूनियन बनी थी। उनके रिश्ते का भाई जयपाल सिंह और सिंभालका का अकबर अली शहीद हुए थे। भारतीय किसान यूनियन के प्रत्येक आंदोलन में उनका सहयोग रहा। लेकिन कोई भी निर्णय लेते समय उनसे कुछ नहीं पूछा गया।

कहा कि चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत महान विचारों वाले व्यक्ति थे। चौ. नरेश टिकैत एक खाप के चौधरी हैं, इस नाते उनका सम्मान करते हैं करते भी रहेंगे। प्रचार किया जा रहा है कि बालियान खाप की पगड़ी छीनने की कोशिश की जा रही है। जबकि एसा कुछ संभव नहीं होता। उनसे पहले सुरक्षा को वह खड़े हैं। चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत के गुजरने के बाद से भाकियू में मनमानी चल रही है।

राजेन्द्र मलिक ने कहा कि किसी से कुछ नहीं पूछा गया। कब धरना दिया कब खत्म कर दिया। इन धरने प्रदर्शन से प्रदेश के किसानों को कुछ नहीं मिला। एक उपलब्धि गिनाकर दिखाएं। अब हमारे पास भी अपना संगठन हैं, वह उसे चलाएं हम अपना संगठन चलाएंगे। जो संगठन किसाान, मजदूर के लिए जितना अच्छा कार्य करेगा वह उतना की मान्य होगा।

निर्वाल खाप के प्रतिनिधि चौ. राजबीर सिंह मुंडेट ने कहा कि भारत की आजादी में सबसे बड़ा योगदान किसान व मजदूरों का रहा। सरकारे बनी लेकिन उन्होंने इस वर्ग का कोई खयाल नहीं रखा। इस देश का असली मालिक चाहे अन्नदाता के रूप में हो चाहे सैनिक के रूप में। सभी किसान के बच्चे ही हैं। सरकार बनती है, यदि सरकार से काम लेंगे तो सरकार काम भी देगी।

नई पीढ़ी काे समझ आ गई है कि सरकार से लड़कर कुछ नहीं मिल रहा। सरकार को समझाकर ही कुछ मिल सकता है। खाप नि:शुल्क न्याय के लिए थी। अब न्याय व्यवस्था अलग हो गई है। खाप का अस्तित्व भी अब उतना कायम नहीं रह पाया है। जो भी संगठन बने हैं, वह किसी हित के लिए बने हैं। सबका अपना लक्ष्य बना है। नया संगठन किसानों की दशा बदलने का काम करेगा।