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लखनऊ। देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव के लिए दो महीने से भी कम का वक्त बचा है. तमाम राजनीतिक पार्टियां जोर शोर से चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं. राज्य में अपराध, भ्रष्टाचार और विकास को लेकर विपक्ष सत्ता पक्ष पर हमलावर है. ऐसे में आपके मन में भी ये सवाल होगा कि सूबे में इस बार कौनसा मुद्दा सबसे बड़ा है, जिसको भुनाकर विपक्षी पार्टियां सत्ता की कुर्सी पर बैठना चाहेंगी.
सी वोटर के सर्वे के मुताबिक, 16 दिसंबर को 17 फीसदी लोग मानते थे कि ध्रुवीकरण सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है और दो हफ्ते बाद भी इसमें रत्ती भर बदलाव नहीं आया है. हालांकि किसान आंदोलन को आज भी सबसे बड़ा मुद्दा सबसे ज्यादा लोग 22 फीसदी मानते हैं, जबकि जब किसानों की घर वापसी हुई थी, उसके एक दिन बाद 25 फीसदी लोग इसे बड़ा मुद्दा मानते थे.
सरकार का कामकाज पांचवे नंबर पर
कोरोना को दो हफ्ते में सबसे बडा चुनावी मुद्दा मानने वालों की संख्या में एक फीसदी की बढोत्तरी हुई है. जबकि सरकार का कामकाज पांचवे नंबर पर है. इन सबके बीच हिंदू मुसलमान जैसे मुद्दे चुनाव में गरमा रहे हैं, लेकिन मथुरा में मुख्यमंत्री योगी ने जो कुछ कहा, उसको ज्यादातर लोग ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं मानते.
जब सी वोटर ने लोगों से पूछा कि क्या मथुरा का मुद्दा उठाकर बीजेपी ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है? तो 31 फीसदी लोगों ने कहा कि हां, ध्रुवीकरण की राजनीति है, जबकि 57 फीसदी लोगों ने कहा कि नहीं ये ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं है.