यूपी की 136 सीटों पर रालोद की नजर, इस सीट से जयंत खुद लडेंगे चुनाव

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मेरठ। राष्ट्रीय लोकदल और सामाजिक तौर पर वेस्ट यूपी के जाटलैंड के चौधरी कहे जाने वाले पूर्व पीएम चरण सिंह और अजित सिंह की विरासत संभालने की जिम्मेदारी अब जयंत चौधरी के हाथ आ गई है। अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के बहाने चौधरी जयंत आरएलडी की कमान अपने कंधों पर लेकर यूपी की जाटों का प्रभाव वाली 136 सीटों पर नजर होने के संकेत दिए हैं। वेस्ट यूपी के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा, अलीगढ़ छह मंडल में 26 जिले हैं।

इन जिलों में 136 विधानसभा सीटे हैं। रस्म पगड़ी में जुटी जाट भीड़ के बाद जनता का साथ और खापों के आशीर्वाद से 2022 में पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी को चुनावी समीकरण बदलने की उम्मीद है। छपरौली जयंत के दादा और पिता (चरण सिंह-अजित सिंह) का मजबूत किला रहा है। साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद हुए धुव्रीकरण के बाद भी 2017 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी ने यहां से बेहतर प्रदर्शन किया था। सियासी हलकों में संभावना जताई जा रही है कि 2022 में खुद जयंत छपरौली से चुनावी मैदान में हुंकार भर सकते हैं।

छपरौली चौधरी परिवार की गढ़ था, अभी है, आगे की तैयारी..
छपरौली में ही आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी को विरासत संभालने के लिए पगड़ी पहनाई गई। इस विधानसभा सीट ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह का खूब साथ निभाया है। दादा और पिता की विरासत से अब जयंत चौधरी को बड़ी आस है। बागपत और बड़ौत ने भले ही कई बार आरएलडी का साथ छोड़ा, लेकिन छपरौली के लोग उनके साथ खड़े रहे। छपरौली को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि कहा जाता है। यहां से 84 साल पहले उनको विधानसभा में पहुंचाया था।

साल 1937 से 1977 तक चौधरी चरण सिंह छपरौली से लगातार विधायक बने। यूपी के सीएम बने। इसी जाटलैंड बागपत से चौधरी चरण सिंह तीन बार सांसद बने। अजित सिंह छह बार लोकसभा सीट जीते, लेकिन उनकी जीत में छपरौली का बड़ा योगदान रहा था। यह सिलसिला जारी है। 2017 में भी आरएलडी को यूपी में सिर्फ छपरौली सीट पर ही जीत मिली थी। यह बात दिगर है है कि वहां के विधायक सहेंद्र सिंह बाद में बीजेपी में शामिल हो गए।

6 मंडल, 26 जिलों की 136 सीटों पर है किसानों (जाटों) का असर…
जयंत चौधरी ने संकेत दिया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को पूरी ताकत झोंकनी हैं। आरएलडी सूत्रों का कहना है कि 2014 के बाद कमजोर हुई पार्टी किसान आंदोलन के बाद मजबूत हुई हैं। सामाजिक तानाबाना फिर मजबूत हुआ हैं। खाप पंचायतों का साथ दिल से मिल रहा है, ऐसे में जयंत चौधरी छपरौली से 2022 के विधानसभा चुनाव में ताल ठोक सकते हैं। रस्म पगड़ी में यूपी ही नहीं, हरियाणा-पंजाब की खाप भी जयंत को आशीर्वाद देने छपरौली पहुंची थी।

पार्टी थिंक टैंक का मानना है के बीजेपी के सत्ता से हटने के बाद जो भी सरकार बनेगी, वह बिना आरएलडी के नहीं बनेगी। सरकार में आरएलडी की बड़ी हिस्सेदारी होगी। बड़ा दल समाजवादी पार्टी हैं, उससे पहले से ही आरएलडी की तालमेल हैं।

36 बिरादरी ने बांधी पगड़ी से जयंत में दिख रहा जोश
जयंत चौधरी की रस्म पगड़ी में खाप चौधरियों के साथ 36 बिरादरी की तरफ से पगड़ी बांधी गई। तब भावुक जयंत ने कहा भी आपके सम्मान में तो झुकूंगा, लेकिन इस पगड़ी को कहीं झुकने नहीं दूंगा। दरअसल, किसान कृषि बिल को लेकर सरकार के खिलाफ हुंकार भर रहे हैं।